ध्वजारोहण समारोह: पीएम ने मैकाले की नीति को बताया मानसिक गुलामी की जड़, इससे मुक्ति के संकल्प का किया आह्वान
पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कि अभी भी देश मानसिक गुलामी की चपेट में है। उन्होंने कहा कि आज से 190 साल पहले, 1835 में मैकाले नाम के एक अंग्रेज ने भारत को अपनी जड़ों से उखाड़ने के बीज बोए थे।
विस्तार
आज राम जन्मभूमि मंदिर में झंडा फहराया गया। इस दौरान पीएम मोदी भी वहां मौजूद रहे। अपने भाषण के दौरान उन्होंने कहा कि अभी भी देश मानसिक गुलामी की चपेट में है। अभी भी गुलामी की इस मानसिकता ने डेरा डाला हुआ है। इस दौरान उन्होंने लॉर्ड मैकाले का भी जिक्र किया। मैकाले को भारत की शिक्षा प्रणाली और भारतीय दंड संहिता (IPC) के निर्माण के लिए जाना जाता है। पीएम मोदी ने कहा कि आज से 190 साल पहले, 1835 में मैकाले नाम के एक अंग्रेज ने भारत को अपनी जड़ों से उखाड़ने के बीज बोए थे।
ऐसे में आइए जानते हैं कि लॉर्ड मैकाले कौन था, वह भारत कब और क्यों आया, मैकाले को भारत में किसलिए जाना जाता है और वर्तमान में मैकाले के काम को लेकर क्या मत हैं...
मैकाले की नीति ने विकसित की गुलामी की मानसिकता: पीएम मोदी
मैकाले की शिक्षा नीति को भारतीयों में गुलामी की मानसिकता विकसित करने वाला बताते हुए पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा, "आज से 190 साल पहले, 1835 में मैकाले नाम के एक अंग्रेज ने भारत को अपनी जड़ों से उखाड़ने के बीज बोए थे। मैकाले ने भारत में मानसिक गुलामी की नींव रखी थी। आने वाले 10 वर्षों में उस अपवित्र घटना को 200 वर्ष पूरे हो रहे हैं। हमें आने वाले 10 वर्षों में लक्ष्य लेकर चलना है कि भारत को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहेंगे।"
कौन थे लॉर्ड मैकाले?
मैकाले का पूरा नाम लॉर्ड थॉमस बैबिंगटन मैकाले (Thomas Babington Macaulay) है। वह ब्रिटिश इतिहासकार, राजनेता और निबंधकार थे। उनका जन्म 25 अक्तूबर 1800 को इंग्लैंड में हुआ था। वह ब्रिटिश संसद के सदस्य रहे और 1834 में भारत के गवर्नर जनरल की काउंसिल के सदस्य के रूप में भारत आए। भारत में उनका कार्यकाल 1834 से 1838 तक रहा। उन्हें शिक्षा प्रणाली के निर्माण और कानूनी सुधारों में प्रमुख भूमिका के लिए जाना जाता है।
भारत आकर मैकाले ने क्या किया?
भारत आने के बाद मैकाले को शिक्षा से संबंधित विषयों पर काम करने की जिम्मेदारी मिली। 2 फरवरी 1835 को उन्होंने "मिनट ऑन इंडियन एजुकेशन" (Minute on Indian Education) नाम से एक रिपोर्ट तैयार की, जिसे "मैकाले की शिक्षा नीति" के नाम से जाना जाता है। इस रिपोर्ट में उन्होंने अंग्रेजी भाषा को भारतीय शिक्षा का माध्यम बनाने और पारंपरिक भारतीय शिक्षा, जैसे संस्कृत और फारसी को अप्रासंगिक घोषित किया।
उन्होंने लिखा कि अंग्रेजी के माध्यम से ऐसे "क्लर्क" तैयार किए जाएं जो ब्रिटिश प्रशासन के लिए काम कर सकें। उनका प्रसिद्ध कथन था कि अंग्रेजी शिक्षा के द्वारा "हम भारतीयों में से एक ऐसा वर्ग तैयार करें जो रक्त और रंग से तो भारतीय हो लेकिन स्वाद, विचार और बौद्धिकता से अंग्रेजों जैसा हो।"
इसके अलावा, 1837 में उन्होंने "इंडियन पीनल कोड" (IPC) का मसौदा तैयार किया, जो बाद में 1860 में लागू हुआ।
मैकाले को किसलिए जाना जाता है?
- भारत में अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली की नींव रखने के लिए
- भारतीय दंड संहिता (IPC) तैयार करने में भूमिका के लिए
- भारतीय सामाजिक ढांचे पर दीर्घकालिक प्रभाव छोड़ने के लिए
वर्तमान में उनके कार्यों पर मत
आज मैकाले को लेकर मत अत्यंत विभाजित है। एक वर्ग मानता है कि मैकाले ने भारतीय शिक्षा को आधुनिक स्वरूप दिया और अंग्रेजी भाषा के माध्यम से भारत को वैश्विक स्तर पर जुड़ने का अवसर मिला। आज भारत की अंग्रेजी दक्षता के चलते आईटी, बिजनेस, मेडिकल व अन्य क्षेत्रों में प्रगति हुई।
दूसरा वर्ग मानता है कि उनकी नीति ने भारतीय पारंपरिक शिक्षा प्रणाली को कमजोर किया, मानसिक गुलामी को बढ़ावा दिया और भारतीय सांस्कृतिक विरासत को नुकसान पहुंचाया। उन्हें "सांस्कृतिक उपनिवेशवाद" (Cultural Imperialism) का प्रतीक माना जाता है जिसने भारतीय पहचान को अंग्रेजी ढांचे में ढालने की कोशिश की।