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सत्यनारायण नंदलाल नुवाल: कभी कर्ज से हुई शुरुआत, अब विदेश तक कारोबार; शून्य से आगाज कर बनाई अपनी खास पहचान
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शुभम कुमार
Updated Mon, 26 May 2025 07:41 AM IST
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सार
सोलर इंडस्ट्रीज इंडिया लिमिटेड के मालिक सत्यनारायण नंदलाल नुवाल ने चुनौतियों से कभी हार नहीं मानी। बजाय इसके खाली जेब और भूखे पेट भी वह लगातार मेहनत करते रहे। इस जुनून ने ही उन्हें इस मुकाम पर पहुंचाया कि आज वह केवल भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों में भी मशहूर हैं...

सत्यनारायण नंदलाल नुवाल
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
सपने तो हर कोई देखता है, लेकिन उन्हें हासिल करने का जज्बा महज चुनिंदा लोगों में ही होता है। जो इन्सान ऐसा करने में कामयाब हो जाता है, वह न सिर्फ समाज के लिए मिसाल बनता है, बल्कि एक नई इबारत भी लिखता है। ऐसे लोगों के पास शुरुआत करने के लिए हौसला, दृढ़ संकल्प, आत्मविश्वास और जुनून के अलावा कुछ नहीं होता। आज हम एक ऐसे ही सफल आंत्रप्रेन्योर की कहानी बयां करने जा रहे हैं, जिनके जीवन में तमाम कठिनाइयां आईं, लेकिन उन्होंने समस्याओं को अपने हौसलों पर हावी नहीं होने दिया और एक नया मुकाम हासिल किया।
वह शख्सियत हैं सात अरब डॉलर (फोर्ब्स 2025 के अनुसार) की संपत्ति के मालिक और सोलर इंडस्ट्रीज इंडिया लिमिटेड के बोर्ड के संस्थापक तथा कार्यकारी अध्यक्ष सत्यनारायण नंदलाल नुवाल। एक समय ऐसा था, जब उनके पास परिवार का भरण-पोषण करने के लिए पैसे नहीं हुआ करते थे। इस कारण उन्हें कई छोटे-मोटे काम तक करने पड़े, रातें रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर गुजारनी पड़ीं। बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहे।
जिम्मेदारियों से छूटी पढ़ाई
सत्यनारायण नंदलाल नुवाल का जन्म राजस्थान के भीलवाड़ा में एक सामान्य परिवार में हुआ था। उनके पिता पटवारी थे। साल 1971 में जब पिता रिटायर हो गए, तो परिवार की आर्थिक हालत खराब हो गई। इस कारण उनको दसवीं के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी और वह परिवार का खर्च उठाने लगे। महज 19 वर्ष की उम्र में वैवाहिक बंधन में बंध जाने के कारण जिम्मेदारियों का बोझ और बढ़ गया।
परिवार का भरण-पोषण करने के लिए उन्होंने फाउंटेन पेन की स्याही बेचने का काम शुरू किया। हालांकि, इस काम में उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली। इसके बाद वह कुछ समय के लिए अपने गुरु के साथ मथुरा जाकर रहने लगे और वहीं पर छोटा-मोटा काम करके जैसे-तैसे जीविका चलाने लगे। यह पहला मौका था, जब उन्हें खुद का धंधा करने का विचार आया।
ये भी पढ़ें:- आय का जरिया: रिटायरमेंट के बाद भी हर महीने पाएं तय रकम, छात्रों के लिए भी फायदेमंद है SWP प्लान
प्लेटफॉर्म पर गुजारी रातें
आजीविका की तलाश करते-करते सत्यनारायण नुवाल महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के बल्हारशाह पहुंच गए। वहां जाकर उन्होंने एक छोटी-सी केमिकल और ट्रेडिंग फर्म में काम करना शुरू किया, लेकिन दुर्भाग्यवश यहां भी कुछ खास हाथ नहीं लगा। इसके बाद तो उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई। उस वक्त उनके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि किराए का भी घर ले सकें, इसलिए कई रातें उन्होंने स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर सोकर बिताईं। एक दिन उनकी मुलाकात अब्दुल सत्तार अल्लाहभाई से हुई, जो सड़क बनाने और खदान खोदने में इस्तेमाल होने वाले विस्फोटकों के डीलर थे। यही वह मुलाकात थी, जिसने सत्यनारायण नुवाल के जीवन को एक नई दिशा दी।
कर्ज से की शुरुआत
उस समय विस्फोटकों की आपूर्ति काफी सीमित थी। सत्यनारायण नुवाल ने अल्लाहभाई से 1,000 रुपये प्रतिमाह पर एक गोदाम और विस्फोटकों को बेचने का लाइसेंस ले लिया। शुरुआत में वह 250 रुपये प्रति किलो के हिसाब से विस्फोटक खरीदते थे और उसे 800 रुपये प्रति किलो में बेचते थे। साल 1995 में उन्होंने एसबीआई बैंक से 60 लाख रुपये का लोन लेकर विस्फोटक निर्माण की छोटी इकाई शुरू की। कोल इंडिया लिमिटेड उनका भरोसेमंद और बड़ा ग्राहक बना। धीरे-धीरे सत्यनारायण नुवाल और उनकी कंपनी की किस्मत ने रफ्तार पकड़ ली, जो आज तक बनी हुई है।
विदेश में भी है कारोबार
आज सोलर इंडस्ट्रीज इंडिया विस्फोटक, ग्रेनेड, सैन्य उपकरण, प्रोपेलेंट, रॉकेट, पिनाक और अग्नि मिसाइलों के लिए विस्फोटक निर्माण करने वाली अग्रणी कंपनियों में अपना नाम दर्ज कर चुकी है। कंपनी के नागपुर में दो बड़े कारखाने हैं और भारत के आठ राज्यों में 25 से अधिक उत्पादन इकाइयां संचालित हो रही हैं। सोलर इंडस्ट्रीज इंडिया कंपनी भारत के अलावा गाम्बिया, नाइजीरिया, तुर्की, दक्षिण अफ्रीका, घाना, ऑस्ट्रेलिया और तंजानिया जैसे देशों में भी अपने कारोबार का सिक्का जमा चुकी है।
ये भी पढ़ें:- निवेश मंत्रा: ब्लूचिप बनने की दौड़ में ये कंपनियां, बढ़त की संभावना वाले शेयरों में निवेश का मिलेगा फायदा
युवाओं को सीख

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जिम्मेदारियों से छूटी पढ़ाई
सत्यनारायण नंदलाल नुवाल का जन्म राजस्थान के भीलवाड़ा में एक सामान्य परिवार में हुआ था। उनके पिता पटवारी थे। साल 1971 में जब पिता रिटायर हो गए, तो परिवार की आर्थिक हालत खराब हो गई। इस कारण उनको दसवीं के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी और वह परिवार का खर्च उठाने लगे। महज 19 वर्ष की उम्र में वैवाहिक बंधन में बंध जाने के कारण जिम्मेदारियों का बोझ और बढ़ गया।
परिवार का भरण-पोषण करने के लिए उन्होंने फाउंटेन पेन की स्याही बेचने का काम शुरू किया। हालांकि, इस काम में उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली। इसके बाद वह कुछ समय के लिए अपने गुरु के साथ मथुरा जाकर रहने लगे और वहीं पर छोटा-मोटा काम करके जैसे-तैसे जीविका चलाने लगे। यह पहला मौका था, जब उन्हें खुद का धंधा करने का विचार आया।
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प्लेटफॉर्म पर गुजारी रातें
आजीविका की तलाश करते-करते सत्यनारायण नुवाल महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के बल्हारशाह पहुंच गए। वहां जाकर उन्होंने एक छोटी-सी केमिकल और ट्रेडिंग फर्म में काम करना शुरू किया, लेकिन दुर्भाग्यवश यहां भी कुछ खास हाथ नहीं लगा। इसके बाद तो उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई। उस वक्त उनके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि किराए का भी घर ले सकें, इसलिए कई रातें उन्होंने स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर सोकर बिताईं। एक दिन उनकी मुलाकात अब्दुल सत्तार अल्लाहभाई से हुई, जो सड़क बनाने और खदान खोदने में इस्तेमाल होने वाले विस्फोटकों के डीलर थे। यही वह मुलाकात थी, जिसने सत्यनारायण नुवाल के जीवन को एक नई दिशा दी।
कर्ज से की शुरुआत
उस समय विस्फोटकों की आपूर्ति काफी सीमित थी। सत्यनारायण नुवाल ने अल्लाहभाई से 1,000 रुपये प्रतिमाह पर एक गोदाम और विस्फोटकों को बेचने का लाइसेंस ले लिया। शुरुआत में वह 250 रुपये प्रति किलो के हिसाब से विस्फोटक खरीदते थे और उसे 800 रुपये प्रति किलो में बेचते थे। साल 1995 में उन्होंने एसबीआई बैंक से 60 लाख रुपये का लोन लेकर विस्फोटक निर्माण की छोटी इकाई शुरू की। कोल इंडिया लिमिटेड उनका भरोसेमंद और बड़ा ग्राहक बना। धीरे-धीरे सत्यनारायण नुवाल और उनकी कंपनी की किस्मत ने रफ्तार पकड़ ली, जो आज तक बनी हुई है।
विदेश में भी है कारोबार
आज सोलर इंडस्ट्रीज इंडिया विस्फोटक, ग्रेनेड, सैन्य उपकरण, प्रोपेलेंट, रॉकेट, पिनाक और अग्नि मिसाइलों के लिए विस्फोटक निर्माण करने वाली अग्रणी कंपनियों में अपना नाम दर्ज कर चुकी है। कंपनी के नागपुर में दो बड़े कारखाने हैं और भारत के आठ राज्यों में 25 से अधिक उत्पादन इकाइयां संचालित हो रही हैं। सोलर इंडस्ट्रीज इंडिया कंपनी भारत के अलावा गाम्बिया, नाइजीरिया, तुर्की, दक्षिण अफ्रीका, घाना, ऑस्ट्रेलिया और तंजानिया जैसे देशों में भी अपने कारोबार का सिक्का जमा चुकी है।
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युवाओं को सीख
- जिस तरह कड़ी से कड़ी जुड़कर जंजीर बनती है, वैसे कदम दर कदम चलकर इन्सान अपनी तकदीर बनाता है।
- कठिन परिश्रम वह कीमत होती है, जो व्यक्ति को सफलता प्राप्त करने के लिए चुकानी पड़ती है।
- सफलता बड़ी और शानदार हो, इसके लिए सोच का भी उसी मुताबिक होना जरूरी है।
- जीवन में सफलता का मार्ग कभी भी आसान नहीं होता है।