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UP Board 2020 Result: 12वीं के बाद अपनाएं ये क्षेत्र और दुनिया की इस बड़ी समस्या को करें दूर

एजुकेशन डेस्क, अमर उजाला Published by: Garima Garg Updated Sun, 10 May 2020 08:17 AM IST
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UP Board 2020 Result: Know about this water harvesting
प्रतीकात्मक तस्वीर - फोटो : Pixabay
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यूपी में 10वीं 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं तय समय पर संपन्न हुई। इससे अलग कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन का तीसरा चरण भी शुरू हो गया है। भविष्य की चिंता करते हुए छात्र केवल इस सोच मे हैं कि कौन सा क्षेत्र उनको करियर को एक नई दिशा देगा। 
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12वीं साइंस विषय के छात्र सबसे पहले इंजीनियरिंग के क्षेत्र में करियर बनाने के बारे में सोचते हैं। बता दें कि हर साल इंजीनियरिंग में दाखिले के लिए लाखों की संख्या में स्टूडेंट्स शामिल होते हैं। लेकिन हर उम्मीदवार को सीट नहीं मिल सकती। हालांकि आपको इसके लिए परेशान बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए। क्योंकि अगर आपने कक्षा 12वीं की पढ़ाई साइंस विषय के साथ की है, तो आपके पास सिर्फ इंजीनियरिंग या मेडिकल ही विकल्प नहीं है।
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इससे अलग ऐसे कई क्षेत्र हैं, जो नये हैं और तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। इंजीनियरिंग से अलग ये वो क्षेत्र हैं जहां प्रोफेशनल्स की मांग तेजी से बढ़ रही है। इतना ही नहीं, अगर आपने इनमें विशेषज्ञता हासिल कर ली, तो आपकी सैलरी भी बंपर होगी। हम आगे पढ़ेंगे की साइंस विषय के साथ भविष्य में किन क्षेत्रों में करियर बनाया जा सकता है। 

समूचा विश्व पानी की किल्लत से जूझ रहा है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं है कि अगला विश्व युद्ध सभी देश पानी के लिए लड़ेंगे। इसलिए आज लोगों में जल संचयन की जागरूकता फैलाकर पानी की आवश्यकता बताना समय की मांग है। इसके लिए सरकारें और औद्योगिक प्रतिष्ठान अब वाटर हार्वेस्टिंग / कंजर्वेशन एंड मैनेजमेंट पर ज्यादा जोर दे रही हैं, क्योंकि इन समस्याओं से निपटने के लिए वाटर मैनेजमेंट के ट्रेड प्रोफेशनल्स को ही व्यावहारिक जानकारी होती है। ऐसे प्रशिक्षित लोग पानी रीसाइकिलिंग की अच्छी समझ रखते हैं। जाहिर है लगातार बढ़ते जल संकट को कंट्रोल में लाने के लिए आगे के वर्षों में भी वाटर साइंटिस्ट, एन्वायर्नमेंट इंजीनियर, टेंड वाटर कंजर्वेशनिस्ट या वाटर मैनेजमेंट जैसे प्रोफेशनल्स की डिमांड बनी रहेगी।

UP Board Result 2020

हर साल यह देखने में आया है कि देश में कहीं से बारिश के मौसम में एक क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति होती है। तो दूसरे क्षेत्रों में भयंकर सूखा होता है। इसके प्रमुख कारण है कि वर्षा जल का उचित संचयन न होना या फिर धरती से निकाले गए जल को वापस धरती में न लौटाना। वैज्ञानिक तरीके हैं, जिनमें सबसे कारगर तरीका है वाटर हार्वेस्टिंग। इसका फायदा यह होगा, कि किसानों की मानसून पर निर्भरता कम हो जाएगी और पानी के अभाव में खराब हो रही लाखों हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई हो सकेगी । उम्मीद है कि गहराते इस जल संकट को दूर करने के लिए आने वाले समय में इस वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल निजी तौर पर भी और अधिक बढ़ेगा।

जल प्रबंधन और संरक्षण पर आधारित कई तरह के कोर्स आजकल देश के विभिन्न सरकारी और निजी संस्थानों में संचालित हो रहे हैं। जहां से आप वाटर साइंस, वाटर कंजर्वेशन, वाटर मैनेजमेंट, वाटर हार्वेस्टिंग ऐंड मैनेजमेंट नाम से एक ऐसा ही सर्टिफिकेट कोर्स संचालित हो रहा है। जिसे 10वीं के बाद किया जा सकता है। स्टूडेंट्स को बारिश के पानी को संरक्षित करने, वर्षाजल मापन तथा वाटर टेबल आदि बेसिक चीजों की जानकारी दी जाती है। अगर आप बॉयोलॉजी विषय से 12वीं पास है और इस क्षेत्र में कोई अंडरग्रेजुएट कोर्स करना चाहते हैं। तो एक्वा साइंस या वाटर साइंस में बीएससी और एसएससी कर सकते हैं। 

 
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