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Bihar Election 2025: पिछले तीन चुनावों में किसे मिला पटना प्रमंडल का साथ? जानें यहां की चर्चित सीटें और समीकरण

Sandhya संध्या
Updated Thu, 30 Oct 2025 07:43 AM IST
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सार

Bihar Election 2025: बिहार में कुल 243 सीटों में से 43 सीटें पटना प्रमंडल के अंदर आती हैं। इसमें छह जिले हैं। पिछले तीन चुनावों में यहां दो बार महागठबंधन तो एक बार एनडीए ने बढ़त बनाई थी। 

Bihar Election 2025 patna division assembly election 2010 2015 2020 result
बिहार चुनाव 2025 चर्चित सीटें - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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बिहार विधानसभा चुनाव में सियासी दलों का प्रचार जोर पकड़ चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अपने-अपने दलों और गठबंधन के उम्मीदवारों के लिए प्रचार में उतर चुके हैं। आगामी 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में राज्य के मतदाता वोट डालेंगे। 14 नवंबर को नतीजे आएंगे। बिहार नौ प्रमंडलों में बंटा हुआ है। अमर उजाला की इस सीरीज में हम आपको बिहार में नौ प्रमंडलों के पिछले चुनावी नतीजों के बारे में बताएंगे। किस प्रमंडल में किस दल या गठबंधन का जोर रहा है। आज बात पटना प्रमंडल की। पटना प्रमंडल में कुल छह जिले आते हैं। इसमें पटना, नालंदा, भोजपुर, बक्सर, रोहतास और कैमूर शामिल हैं। पटना बिहार की राजधानी है। यहीं से बिहार की राजनीति की दिशा और दशा तय होती है।  

पटना प्रमंडल का सियासी समीकरण क्या है? पिछली बार यहां के सियासी समीकरण किसके पक्ष में रहे थे? 2020 किस दल को कितनी सीटों पर सफलता मिली थी? इस बार की चर्चित सीटें कौन सी हैं? आइये जानते हैं…

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पटना क्षेत्र का सियासी समीकरण क्या है?

प्रदेश में 243 सीटों में से 43 सीटें पटना प्रमंडल में आती हैं। इस क्षेत्र में कुल छह जिले आते हैं। सबसे ज्यादा 14 विधानसभा सीटें पटना जिले में है। इसी तरह नालंदा, भोजपुर और रोहतास में सात-सात सीटें हैं। सबसे कम चार-चार सीटें बक्सर और कैमूर जिले में हैं। यह प्रमंडल का करीब 16,960 वर्ग किलोमीटर में फैला है। 

2020 में पटना प्रमंडल में कैसे रहे थे नतीजे? 

2020 के विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच में था। 243 सदस्यीय विधानसभा में एनडीए ने 125 सीटें जीतीं थीं। इनमें सबसे ज्यादा 74 सीटें भाजपा 74 के खाते में गई थीं। जदयू को 43, वीआईपी और हम को 4-4 सीट पर सफलता मिली थी।  राज्य की 110 सीटें महागठबंधन के खाते में गई थीं। 75 सीटें जीतकर राजद राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। इसके साथ ही कांग्रेस को 19, वामदलों को 16 सीट पर जीत मिली थी। इनमें 12 सीटें भाकपा (माले) और दो-दो सीटें भाकपा और माकपा के खाते में गईं थी। अन्य दलों की बात करें तो एआईएमआईएम ने 5, बसपा ने 1, लोजपा ने 1 और निर्दलीय उम्मीदवार ने 1 सीट जीती थी। 

पटना प्रमंडल के परिणाम की बात करें तो यहां के नतीजे महागठबंधन के पक्ष में रहे थे। पटना प्रमंडल की 29 सीटों पर महगठबंधन की जीत मिली थी। वहीं, एनडीए को 13 सीटों से संतोष करना पड़ा था। एक सीट बसपा के खाते में गई थी। दलवार आंकडों की बात करें तो पटना प्रमंडल की 18 सीटें राजद के खाते में गई थीं। वहीं, छह सीटों पर भाकपा माले और पांच सीट पर कांग्रेस को जीत मिली थी। इसी तरह एनडीए में भाजपा ने आठ, जदयू ने पांच सीट पर जीत दर्ज की थी।

पटना प्रमंडल में एनडीए को हार का सामना करना पड़ा, लेकिन प्रदेश भर के नतीजों में उसे बहुमत मिला और नीतीश कुमार एक बार फिर से मुख्यमंत्री बने। जीत के बाद नीतीश ने सातवीं बार बिहार के  मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। हालांकि, 2022 में उन्होंने पाला बदला और महागठबंधन के साथ मिलकर फिर से मुख्यमंत्री  पद की शपथ ली। 2024 के लोकसभा चुनाव से ऐन पहले नीतीश वापस एनडीए में आ गए और फिर से मुख्यमंत्री पद की नौवीं बार शपथ ली।

2015 में कैसे थे नतीजे?

प्रदेश में 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में एनडीए और महागठबंधन के बीच में मुकाबला हुआ। इस चुनाव में महागठबंधन में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी भी शामिल थी। जदयू के अलावा राजद और कांग्रेस ने साथ मिलकर यह चुनाव लड़ा। वहीं, एनडीए में भाजपा के साथ लोजपा, जीतन राम मांझी की हम और उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा शामिल थे। नतीजों की बात करें तो इस चुनाव में एनडीए को 110 और महागठबंधन को 125 सीटें मिलीं थीं। वहीं अन्य के खाते में सात सीटें गईं थीं। 

2015 में पटना प्रमंडल में किसे मिली बढ़त?

पटना प्रमंडल की बात करें तो इस क्षेत्र का चुनाव परिणाम भी महागठबंधन के पक्ष में गया था। महागठबंधन को इस इलाके की 43 में से 28 सीटें मिली थीं। वहीं, एनडीए केवल 13 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाया। अन्य के पक्ष में दो सीटें गई थीं। दलवार आंकड़े की बात की जाए तो राजद को 15, जदयू को 11 और कांग्रेस को दो सीटों पर सफलता मिली थी। एनडीए में भाजपा को 12 सीटों पर जीत मिली थी। भाजपा की सहयोगी रालोसपा को एक सीट पर जीत मिली थी। वहीं, अन्य दलों की बात करें तो एक सीट भाकपा माले के खाते में गई थी। वहीं, मोकामा सीट पर निर्दलीय अनंत कुमार सिंह जीते थे। 

 2010 में कैसे थे नतीजे?

2008 में परिसीमन के बाद यहां 2010 में पहली बार चुनाव हुए थे। इस चुनाव में एकतरफा एनडीए को जीत मिली थी। एनडीए में जदयू और भाजपा ने एक साथ चुनाव लड़ा था। वहीं राजद और लोजपा साथ थे। वहीं, कांग्रेस ने सभी 243 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। इस चुनाव में एनडीए को 243 में से 206 सीटों पर एकतरफा जीत मिली। राजद-लोजपा गठबंधन को महज 25 तो कांग्रेस को चार सीटों से संतोष करना पड़ा। बाकी सात सीटों में से छह नीर्दलियों के खाते में गई। वहीं, चकाई सीट पर झामुमो के सुमित कुमार सिंह जीते थे। दलवार आंकड़ों की बात की जाए तो एनडीए की 206 सीटों में से 115 जदयू और 91 सीटें भाजपा के खाते में गई थीं। वहीं, राजद को 22 और लोजपा को 3 सीटों पर जीत मिली थी।  

2010 में पटना प्रमंंडल में किसे मिली बढ़त?

2010 में पटना प्रमंडल क्षेत्र का चुनाव परिणाम भी एनडीए के पक्ष में गया था। एनडीए के पक्ष में 35 सीटें  गईं थीं। इनमें से 19 में जदयू और 16 में भाजपा को जीत मिली थी। राजद गठबंधन के पास सात सीटें गईं थीं। इनमें से छह में राजद को जीत मिली, जबकि एक सीट पर लोजपा जीती थी। रोहतास जिले की ढेहरी सीट से निर्दलीय ज्योति रश्मि ने जीत का परचम लहराया था। 

 

इस चुनाव में पटना प्रमंडल की कौन सीटें हैं चर्चा में?

पटना प्रमंडल की सबसे चर्चित सीटों की बात करें तो इनमें बांकीपुर, मोकामा, दानापुर, मनेर, फुलवारी शरीफ, काराकट और बक्सर सीटें शामिल हैं। इनके अलावा पटना साहिब सीट किसी उम्मीदवार को होने की जगह न होने की वजह से चर्चा  में है। 

आइये इन सीटों के बारे में जानते हैं…

पटना साहिब: यहां नंद किशोर यादव लगातार सात बार विधायक रहे थे। इस बार भाजपा ने उनका टिकट काट दिया है। उनकी जगह रत्नेश कुशवाहा को मैदान में उतारा गया है। रत्नेश भाजपा के प्रदेश सचिव हैं। बिहार भाजपा में लोकसभा प्रभारी रहे हैं। प्रदेश अनुशासन समिति के सदस्य और भाजपा जल प्रबंधन मंच के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के रूप में काम कर चुके हैं। वह पटना महानगर भाजपा के उपाध्यक्ष और कार्यसमिति सदस्य भी रहे हैं। रत्नेश के सामने महागठबंधन की ओर से कांग्रेस के शशांत शेखर मैदान में हैं। वहीं, जनसुराज ने यहां से भाजपा की पूर्व नेता विनीता मिश्रा को टिकट दिया है। करीब 26 साल से भाजपा से जुड़ी रहीं विनीता इसी साल जनसुराज में शामिल हुई हैं। 

बांकीपुर: इस क्षेत्र से अन्य चर्चित उम्मीदवार नीतिन नबीन हैं, वह बांकीपुर सीट से चार बार विधायक रह चुके हैं। 2025 के लिए भी भाजपा ने इन्हें मैदान में उतारा है। 2020 के चुनाव में इन्होंने शत्रुघन सिन्हा के बेटे लव सिन्हा को भारी मतों के साथ हराया था। इस बार यहां से राजद ने रेखा कुमारी को टिकट दिया है। वहीं, जनसुराज ने वंदना कुमार को मैदान में उतारा है। 

दानापुर: यहां से भाजपा ने पूर्व सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव को टिकट दिया है। रामकृपाल 2024 के लोकसभा चुनाव में पाटलीपुत्र सीट हार गए थे। उन्हें लालू यादव की बेटी मीसा भारती ने शिकस्त दी थी। रामकृपाल यादव के सामने राजद ने रीत लाल राय को उतारा है। रीत लाल 2020 के विधानसभा चुनाव में यहां से जीते थे।  

काराकट: 2024 के लोकसभा चुनाव में काराकट लोकसभा सीट चर्चा में थी, अब काराकट विधानसभा सीट भी भोजपुरी स्टार पवन सिंह की वजह से ही चर्चा में है। तब पवन सिंह निर्दलीय मैदान में उतरे थे। अब उनकी पत्नी ज्योति सिंह निर्दलीय मैदान में हैं। ज्योति और पवन के बीच चल रहे विवाद को भी इस वजह से हवा मिल गई है। जदयू ने यहां से महाबली सिंह तो भाकपा माले से अरुण सिंह मैदान में हैं।  

अन्य सीटों की बात करें तो मोकामा में बाहुबली और जदयू उम्मीदवार अनंत सिंह, मनेर में राजद के भाई विरेंद्र, बक्सर सीट पर पूर्व आईपीएस आनंद मिश्र और फुलवारी शरीफ में राजद से वापस जदयू में आए श्याम रजक की प्रतिष्ठा दांव पर है। 

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