‘पुरुषों को स्त्री न बनना सिखाया जाता है’, ईशान खट्टर ने पुरुषत्व पर दी अपनी राय; बताया सिनेमा का उद्देश्य
Ishaan Khatter On Female Gaze: ईशान खट्टर ने पुरुषत्व और नारीवाद को लेकर अपनी राय जाहिर की। उन्होंने बताया कि कैसे उनके दृष्टिकोण में आया बदलाव।
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अभिनेता ईशान खट्टर का मानना है कि हमेशा से पुरुष एक अच्छा पुरुष बनने की बजाय एक महिला न बनने का प्रयास करते हैं। पुरुषवादी समाज और फिल्मों में दिखाए जाने वाले अल्फामैन कल्चर के बीच ईशान खट्टर ने पुरुषत्व और पुरुषवादिता को लेकर अपने विचार साझा किए। एक्टर ने ये माना कि उनके करियर में महिला फिल्ममेकर्स का काफी योगदान रहा है और एक नारिवाद के दृष्टिकोण ने ही उनके करियर को अलग पहचान भी दी है।
मुझे अकेली मेरी मां ने बड़ा किया है
युवा ऑल स्टार्स राउंडटेबल 2025 में पहुंचे ईशान खट्टर ने पुरुषत्व के बारे में अपनी राय साझा करते हुए कहा कि पुरुषों को पुरुष बनना नहीं सिखाया जाता। उन्हें बस स्त्री न बनना सिखाया जाता है। पुरुष होने का मेरा बहुत कुछ अर्थ पुरुष और स्त्री के बीच के संबंधों से जुड़ा है। मेरे लिए पुरुषत्व की परिभाषा इस तथ्य से तय होती है कि मेरा पालन-पोषण एक अकेली मां ने किया है। जाहिर है कि ईशान अभिनेता राजेश खट्टर और नीलिमा अजीम के बेटे हैं। ईशान जब महज छह साल के थे तभी उनके माता-पिता अलग हो गए थे।
करियर में 50% महिला फिल्ममेकर्स के साथ काम कर चुके ईशान
2017 में शुरू हुए अपने करियर में ईशान मीरा नायर, नूपुर अस्थाना और प्रियंका घोष जैसी महिला फिल्ममेकर्स के साथ काम कर चुके हैं। इन महिला कहानीकारों के निर्देशन में काम करने से ईशान के नारीवादी दृष्टिकोण को समझने में मदद मिली। इस बारे में बात करते हुए अभिनेता ने कहा कि क्योंकि मैं नारीवादी दृष्टिकोण का हिस्सा रहा हूं और इसे करीब से देखा है, इसलिए मैं उसे कुछ हद तक समझ पाया हूं। अब तक के अपने आठ साल के करियर में मुझे लगता है कि मैंने 50 प्रतिशत महिला फिल्म निर्माताओं के साथ काम किया है। एक अलग नजरिया समझना बहुत बड़ी ताकत होती है और सिनेमा का यही उद्देश्य है। हम सभी यही करते हैं। हमारा काम सहानुभूति दिखाना है।
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‘होमबाउंड’ में नजर आए हैं ईशान
वर्कफ्रंट की बात करें तो ईशान खट्टर आखिरी बार इसी साल रिलीज हुई फिल्म ‘होमबाउंड’ में नजर आए हैं। नीरज घेवान द्वारा निर्देशित इस फिल्म को भारत की तरफ से ऑस्कर में भेजा गया है।