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बनारस में ‘अवतार’ फिल्म का देवनागरी लोगो रिलीज, हॉलीवुड और वाराणसी का नया मेल

Kiran Jain किरण जैन
Updated Thu, 11 Dec 2025 09:50 PM IST
सार

Hollywood Film Avatar Devanagari logo: हॉलीवुड फिल्म ‘अवतार: फायर एंड ऐश’ अपने हिंदी लोगो को लेकर चर्चा में है। फिल्म के इवेंट के लिए वाराणसी को चुना गया है। इस तरह हॉलीवुड फिल्ममेकर इंडियन ऑडियंस को अट्रैक्ट करना चाहते हैं। 

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Devanagari logo of the Hollywood Film Avatar in Banaras
फिल्म 'अवतार: फायर एंड ऐश' - फोटो : एक्स (ट्विटर)
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विस्तार
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वाराणसी में एक खास कार्यक्रम के दौरान हॉलीवुड की आगामी फिल्म ‘अवतार: फायर एंड ऐश’ का ऑफिसियल  हिंदी लोगो जारी किया गया। यह पहली बार है जब अवतार फिल्म सीरीज का कोई लोगो देवनागरी लिपि में पेश किया गया है। वाराणसी को इस आयोजन के लिए चुना जाना फिल्म जगत और ऑडियंस  के बीच चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि यह शहर लंबे समय से भारतीय और विदेशी दोनों तरह की फिल्मों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है।

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जियो स्टार के प्रवक्ता ने बताया हिंदी लोगो का कारण
लोगो लॉन्च के दौरान जिओ स्टार के प्रवक्ता, अजीत अंधारे ने विस्तार से बताया कि टीम ने हिंदी लोगो जारी करने का निर्णय क्यों लिया। उन्होंने कहा, ‘अवतार: फायर एंड ऐश’ का हिंदी लोगो इसलिए लॉन्च किया गया क्योंकि अवतार का मूल विचार हमारी ही संस्कृति और हमारी भाषा से जुड़ा हुआ है। फिल्म में जो सोच और जो भाव दिखाए गए हैं, वे लंबे समय से हमारे समाज और परंपराओं का हिस्सा रहे हैं। जब यह विचार भारत की सांस्कृतिक सोच से निकला है, तो हमें लगा कि इसे उसी भाषा और उसी लिपि में पेश करना सही रहेगा, जहाँ से यह सोच शुरू हुई। इसी कारण हमने पहली बार इस फिल्म की पहचान देवनागरी लिपि में पेश की है।

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उन्होंने आगे कहा, ‘अवतार’ को हिंदी में लिखना सिर्फ अनुवाद करने जैसा काम नहीं है बल्कि यह उन सांस्कृतिक जड़ों का सम्मान है जिन्होंने इस विचार को जन्म दिया। हमें लगा कि जिस संस्कृति से यह विचार आया है उसी की भाषा और लिपि में इसे पेश करना सबसे ठीक और सार्थक कदम है।'
इस बयान से स्पष्ट है कि यह कदम सिर्फ प्रचार या बाजार नीति नहीं, बल्कि इंडियन ऑडियंस और इंडियन सांस्कृतिक विचारों को सम्मान देने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

फिल्म की थीम और वाराणसी का संबंध
फिल्म का टाइटल ‘अवतार: फायर ऐंड ऐश’ आग और राख पर आधारित है। वाराणसी में इन दोनों से जुड़े धार्मिक और सामाजिक अनुष्ठान लंबे समय से देखे जाते हैं। इसलिए कई विशेषज्ञ मानते हैं कि फिल्म की थीम और बनारस की परंपराओं में स्वाभाविक जुड़ाव है। यही वजह है कि शहर को लोगो लॉन्च के लिए चुना जाना काफी उपयुक्त माना जा रहा है। 

 

Devanagari logo of the Hollywood Film Avatar in Banaras
फिल्म 'अवतार: फायर एंड ऐश' - फोटो : एक्स (ट्विटर)

हॉलीवुड और वाराणसी का जुड़ाव
बनारस का संबंध हॉलीवुड से पहले भी रहा है। ‘द क्यूरियस केस ऑफ बेंजामिन बटन’ की शूटिंग के दौरान ब्रैड पिट वाराणसी आए थे और उन्होंने यहां की गलियों और घाटों को नजदीक से देखा था। मशहूर अभिनेता मॉर्गन फ्रीमैन अपनी डॉक्यूमेंट्री ‘द स्टोरी ऑफ गॉड’ के लिए काशी आए थे। उन्होंने शहर के धार्मिक माहौल को बेहद दिलचस्प बताया था। इसके अलावा कई विदेशी डॉक्यूमेंट्री और फोटो प्रोजेक्ट भी यहाँ शूट किए जाते रहे हैं, क्योंकि वाराणसी भारतीय संस्कृति और जीवन को सीधे तौर पर दिखाने वाला शहर माना जाता है। अंतरराष्ट्रीय फिल्मों में दीपा मेहता की ‘वाटर’ भी बनारस के माहौल को दिखाती है।

बड़े भारतीय प्रोजेक्ट और ग्लोबल रुचि
भारतीय बड़े प्रोजेक्ट्स में भी बनारस का महत्व लगातार बढ़ रहा है। निर्देशक एस. एस. राजामौली अपनी अगली फिल्म ‘वाराणसी' बना रहे हैं, जिसमें महेश बाबू और प्रियंका चोपड़ा के नाम चर्चा में हैं। यह एक बड़े पैमाने की पौराणिक एक्शन-अडवेंचर फिल्म बताई जा रही है और इसकी स्ट्रीमिंग राइट्स को लेकर अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म पहले ही रुचि दिखा रहे हैं। इससे यह साफ है कि भारतीय फिल्में अब वैश्विक दर्शकों को भी आकर्षित कर रही हैं।

बॉलीवुड फिल्मों में वाराणसी की झलक
कई बॉलीवुड और अंतरराष्ट्रीय फिल्मों में वाराणसी की गलियाँ, घाट और यहाँ की खास जिंदगी दिखाई गई है। ‘रांझणा’ की शूटिंग नंदेश्वर घाट, अस्सी घाट, गोडौलिया और रामनगर में हुई थी। ‘मसान’ बनारस के माहौल में चल रही दो कहानियों के ज़रिए जीवन और मृत्यु को दिखाती है। ‘लागा चुनरी में दाग’ में गंगा किनारे के कई दृश्य हैं। ‘मोहल्ला अस्सी’ अस्सी घाट और उसके आसपास के बदलावों पर बनी है।
‘ब्रह्मास्त्र: पार्ट वन – शिवा’ में काशी विश्वनाथ मंदिर और रामनगर किले के सीन्स  शामिल हैं। ‘जॉली एलएलबी 2’ के कुछ हिस्से भी यहीं फिल्माए गए थे। ‘भैयाजी सुपरहिट’ एक बनारसी डॉन की कहानी दिखाती है। ‘बारह बाय बारह’ मणिकर्णिका घाट और यहाँ की परंपराओं को दर्शाती है।
कुल मिलाकर वाराणसी में ‘अवतार: फायर ऐंड ऐश’ का देवनागरी लोगो लॉन्च होना केवल एक कार्यक्रम नहीं था। यह इस बात का संकेत है कि भारतीय भाषा, भारतीय शहर और भारतीय सांस्कृतिक विचार अब अंतरराष्ट्रीय फिल्मों की रणनीति और प्रस्तुति में महत्वपूर्ण स्थान हासिल कर रहे हैं। आने वाले समय वाराणसी जैसे शहर वैश्विक फिल्म उद्योग के लिए और भी अहम हो सकते हैं, क्योंकि यहाँ की सांस्कृतिक पहचान और इतिहास दुनिया को लगातार आकर्षित कर रहे हैं। 

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