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'अच्छे दिन आने वाले हैं…' का नारा देने वाले पीयूष पांडे का निधन, 70 की उम्र में विज्ञापन गुरु ने ली आखिरी सांस
एंटरटेनमेंट डेस्क, अमर उजाला
Published by: कामेश द्विवेदी
Updated Fri, 24 Oct 2025 09:57 AM IST
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सार
Piyush Pandey Death: भारतीय विज्ञापन जगत के प्रतीक पीयूष पांडे का निधन हो गया। उन्होंने 70 वर्ष की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
पीयूष पांडे
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
भारतीय विज्ञापन जगत की आत्मा और चेहरे को बदलने वाले प्रखर व्यक्तित्व पीयूष पांडे का शुक्रवार को 70 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। भारतीय विज्ञापन जगत को उसकी आवाज और दिशा देने वाले व्यक्ति के रूप में जाने जाने वाले पीयूष पांडे ने ओगिल्वी इंडिया में चार दशक से ज्यादा का समय बिताया। पीयूष पांडे के निधन से लोगों में शोक की लहर है।
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कौन थे पीयूष पांडे?
पीयूष पांडे का जन्म 1955 में जयपुर, राजस्थान में हुआ था। 1982 में वो ओगिल्वी में शामिल हुए। 27 साल की उम्र में, उन्होंने अंग्रेजी-प्रधान विज्ञापन जगत में कदम रखा और उसे हमेशा के लिए बदल दिया। एशियन पेंट्स ("हर खुशी में रंग लाए"), कैडबरी ("कुछ खास है"), फेविकोल और हच जैसे ब्रांडों में आवाज देकर विज्ञापनों की दुनिया में एक अलग मिशाल पेश की। अपने अभियानों के जरिए, पीयूष पांडे ने हिंदी और बोलचाल के भारतीय मुहावरों को मुख्यधारा के विज्ञापनों में शामिल किया। उनकी भाषा में हास्य और अपनेपन का अनुभव होता था। उनके एक पुराने सहयोगी ने कहा, "उन्होंने न सिर्फ भारतीय विज्ञापन की भाषा बदली, बल्कि उसका व्याकरण भी बदल दिया।" पीयूष पांडे को 2016 में भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा, 2024 में उन्हें LIA लीजेंड अवॉर्ड भी मिला।
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'अबकी बार मोदी सरकार' नारा दिया
पीयूष पांडे ने भारत के सबसे यादगार राजनीतिक नारों में से एक, "अब की बार, मोदी सरकार" को भी गढ़ने का काम किया था। इसके अलावा उन्होंने 'अच्छे दिन आने वाले हैं' का नारा भी दिया था। ये नारे जन-जन तक पहुंचे थे। इसने उनकी पहचान को और समृद्धशाली बना दिया था।
एक नजर पीयूष पांडे के परिवार पर
पीयूष पांडे के 7 बहन और 2 भाई थे। इनमें फिल्म निर्देशक प्रसून पांडे और गायिका-अभिनेत्री इला अरुण शामिल थीं। इसके अलावा पीयूष पांडे के पिता एक बैंक में नौकरी करते थे।