Haryana: सबसे बड़ी जीत दर्ज करने वालों में थे मनोहर लाल, हुड्डा और दुष्यंत, जानें किसे मिली थी सबसे छोटी जीत
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विस्तार
हरियाणा में इस वक्त सियासी पारा चढ़ा हुआ है। चुनाव की तारीखों के एलान के बाद सभी दल चुनाव मैदान में उतर चुके हैं। उम्मीदवार तय करने की कवायद भी शुरू है, सभी दल इसके लिए लगातार बैठकें कर रहे हैं। नतीजे 8 अक्तूबर को आएंगे। तब पता चलेगा कि किसने कहां से बाजी मारी? किसे आसान जीत मिली और कौन हारते-हारते जीत गया।
चुनावों में लोगों की दिलचस्प उन सीटों पर भी रहती है, जहां उम्मीदवार कुछ मतों से मुकाबला जीतते हैं। दूसरी ओर कई सीटें ऐसी भी होती हैं, जहां प्रत्याशी बड़े मतों के अंतर से चुनाव में जीत दर्ज करते हैं।आइए जानते हैं 2019 में हरियाणा में सबसे कम और सबसे ज्यादा अंतर से हार-जीत वाली सीटों के बारे में...

पहले जानते हैं कि 2019 के नतीजे कैसे थे?
पिछले विधानसभा चुनाव में 90 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को सबसे ज्यादा 40 सीटें मिली थीं। कांग्रेस 31 सीटें जीतकर मुख्य विपक्षी पार्टी बनी थी। विधानसभा चुनाव में जजपा 10 सीटें जीतने में सफल रही थी। सात निर्दलीय, इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) एक और हरियाणा लोकहित पार्टी को एक सीट पर जीत मिली थी।
सत्ताधारी भाजपा बहुमत के आंकड़े से दूर रह गई थी। 90 सदस्यों वाली विधानसभा में बहुमत के लिए 46 सीटों पर जीत जरूरी थी। चुनाव के बाद 10 सीटों वाली जजपा के साथ पार्टी ने गठबंधन किया और राज्य की सत्ता में वापसी की। 27 अक्तूबर, 2019 को मनोहर लाल ने हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। किंग मेकर बने दुष्यंत चौटाला ने उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

2019 में सबसे कम अंतर वाली सीटें कौन सी थीं?
बीते विधानसभा चुनाव में 1000 से कम अंतर वाली तीन सीटें थीं। ये सीटें थीं सिरसा, पुन्हाना और थानेसर। भाजपा, कांग्रेस और हरियाणा लोक हित पार्टी के खाते में एक-एक सीट गई थी।
सात सीटें ऐसी रहीं, जहां जीत का अंतर 1000 से 2000 वोटों के बीच था। इनमें से चार सीटों पर कांग्रेस जबकि तीन सीट पर भाजपा के उम्मीदवार जीते थे। ये सात सीटें थीं- रतिया (एससी), कैथल, रेवाड़ी, यमुनानगर, खरखौदा (एससी), मुलाना (एससी) और असंध।
कितनी सीटों पर जीत का अंतर 2000 से 5000 वोटों के बीच था?
पिछले चुनाव में 15 सीटें ऐसी रहीं जहां जीत का अंतर 2000 से 5000 वोटों के बीच था। इनमें से सात सीटों पर कांग्रेस, पांच सीटों पर भाजपा, दो सीटों पर जजपा और एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार को जीत मिली थी। ये सीटें थीं बड़खल, राय हथीन, फतेहाबाद, होडल (एससी), नीलोखेड़ी (एससी), रादौर, रोहतक, फरीदाबाद एनआईटी, सफीदों, नूंह, गोहाना, बरोदा, बरवाला और गुहला (एससी)।
5,000 से 10,000 की बीच अंतर वाली सीटें कौन सी थीं?
2019 में हुए विधानसभा चुनाव की सात सीटें ऐसी रहीं जहां जीत का अंतर 5,000 से 10,000 वोटों के बीच था। इनमें से छह सीटों पर भाजपा जबकि बची हुई एक सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी को सफलता मिली थी।
2019 में सबसे कम अंतर से कौन जीता था?
बीते हरियाणा विधानसभा चुनाव में 1000 से कम अंतर वाली तीन सीटें थीं। सबसे कम अंतर वाली जीत सिरसा सीट पर हुई थी। यहां हरियाणा लोक हित पार्टी के गोपाल कांडा केवल 602 वोटों से चुनाव जीते थे। दूसरी सबसे कम अंतर वाली जीत गुरुग्राम जिले के पुन्हाना सीट पर मिली थी। यहां कांग्रेस के प्रत्याशी मोहम्मद इलियास 816 वोटों से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। वहीं तीसरी सबसे छोटी जीत कुरुक्षेत्र जिले की थानेसर सीट पर हुई थी। यहां भाजपा प्रत्याशी सुभाष सुधा को 842 वोटों से जीत मिली थी।

सबसे बड़ी जीत किसके खाते में गई थी?
पिछले विधानसभा चुनाव में पांच सबसे बड़ी जीतों की बात करें तो इनमें दो सीटें भाजपा और जजपा तो एक सीट कांग्रेस के खाते में गई थी। सबसे बड़ी जीत करने वाले कांग्रेस के भूपेंद्र सिंह हुड्डा थे। रोहतक जिले की गढ़ी सांपला-किलोई सीट से पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा 58,312 वोटों के अंतर से चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे। इसके बाद फतेहाबाद जिले की टोहना सीट से जजपा के देवेंदर बबली 52,302 वोटों से चुनाव जीते थे।
तीसरी सबसे बड़ी जीत पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के नाम रही थी। जींद जिले की उचाना कलां सीट से उतरे दुष्यंत 47,452 मतों से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे।
चौथी सबसे बड़ी जीत हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नाम रही थी। करनाल सीट से उतरे भाजपा के मनोहर लाल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 45,188 मतों से हराया था।
पांचवीं सबसे बड़ी जीत भाजपा के मूलचंद शर्मा ने हासिल की थी। फरीदाबाद जिले की बल्लभगढ़ सीट पर मूलचंद 41,713 मतों से चुनाव जीते थे।