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Bhiwani News: अपने संघर्ष से ताकत पाकर दूसरों के मानवाधिकारों की आवाज बने सुशील

Amar Ujala Bureau अमर उजाला ब्यूरो
Updated Wed, 10 Dec 2025 01:41 AM IST
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Drawing strength from his own struggle, Sushil became a voice for the human rights of others.
सुशील वर्मा
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भिवानी। खुद के लिए संघर्ष कर हौसला जुटाया तो दूसरों के मानवाधिकारों के लिए पीड़ितों की आवाज बनकर गूंजे भिवानी के ढाणी माहू निवासी, बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पूर्व सदस्य सुशील वर्मा। साहस, संवेदनशीलता और दृढ़ निश्चय के साथ आगे बढ़ते हुए उन्होंने न केवल कई ऐतिहासिक निर्णय दिलाने में भूमिका निभाई बल्कि असंख्य लोगों के जीवन में बदलाव लाने का साहसिक कार्य भी किया। पिछले 20 सालों से सुशील वर्मा ने आम लोगों के अधिकारों के लिए कड़ा संघर्ष किया। उनके द्वारा उठाए गए कई मुद्दे ऐसी मिसाल बने जिसने पीड़ितों को न्याय की राह दिखाई और उनके जीवन को नई दिशा दी।
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तेजाब हमला पीड़िता मामले में आरोपी को पहुंचाया सलाखों के पीछे
सदर थाना क्षेत्र के एक गांव की 17 वर्षीय तेजाब हमला पीड़िता पर हुए अमानवीय अत्याचार में सुशील वर्मा ने आरोपी पिता की करतूत के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने स्वयं इसकी सूचना पुलिस को दी जिसके बाद आरोपी पिता के खिलाफ मामला दर्ज हुआ और उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। यह मामला गांव में दबा हुआ था किसी ने न तो पुलिस को इसकी शिकायत दी और न ही आवाज उठाई थी। पीड़िता रोहतक पीजीआई में कई महीनों तक दाखिल रहकर अपनों द्वारा दिए गए जख्मों का इलाज कराती रही। पिता ने उसके चेहरे पर तेजाब डालकर आंगन में बनी हौदी में डुबोकर मारने की कोशिश की थी। उसकी चीख-पुकार दबाने के लिए आरोपी ने ऊंची आवाज में म्यूजिक भी बजाया था।
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मनीषा मौत मामले में सीबीआई जांच की आवाज उठाई
ढाणी लक्ष्मणपुर निवासी मनीषा मौत मामला भले ही आज भी रहस्य बना है लेकिन इसकी सीबीआई जांच की पहली आवाज सुशील वर्मा ने ही उठाई। उन्होंने स्थानीय पुलिस की जांच पर सवाल खड़े किए और सीबीआई जांच की मांग को लेकर एनएचआरसी (राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग) तक शिकायत पहुंचाई। बाद में यह मामला पूरे देश में गूंजा और न्याय की लड़ाई के लिए परिजन भी खुलकर सामने आए। वर्तमान में सीबीआई इस मामले की जांच में जुटी है।

चलती बसों में आग की घटनाओं का मुद्दा उठाया
देशभर में चलती बसों में आग लगने की घटनाओं से असुरक्षित बस डिजाइन के खिलाफ सुशील वर्मा ने राष्ट्रीय स्तर पर आवाज उठाई। उन्होंने नूंह, जैसलमेर, गुंटूर सहित कई स्थानों पर हुई दर्दनाक घटनाओं का हवाला देते हुए एनएचआरसी में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के बाद एनएचआरसी ने संबंधित अथॉरिटी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया। इसके परिणामस्वरूप आयोग ने देशभर के सभी राज्यों और केंद्र सरकार को ऐसी असुरक्षित बसों को रिकॉल करने के निर्देश दिए। यह फैसला लाखों यात्रियों की सुरक्षा के लिए ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

पुलिस यातना झेल चुके प्रशांत की बने ताकत
सुशील वर्मा ने भिवानी जिले के 19 वर्षीय प्रशांत पर पुलिस द्वारा की गई यातना का मामला भी मजबूती से उठाया। प्रशांत को झूठे मामले में फंसाकर पुलिस हिरासत में यातनाएं दी गई थीं। ऐसे मामलों में अधिकतर पीड़ित चुप हो जाते हैं लेकिन सुशील वर्मा ने इस मामले को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट और अंततः एनएचआरसी तक पहुंचाया। उनकी संघर्षशीलता से पीड़ित परिवार को न्याय की उम्मीद मिली।

आभूषण व्यापारी की अवैध हिरासत मामले में गृह सचिव को जारी करवाया नोटिस
फतेहाबाद के आभूषण व्यापारी नरेश सोनी की सीआईए फतेहाबाद टीम द्वारा की गई अवैध हिरासत और उत्पीड़न के खिलाफ भी सुशील वर्मा ने एनएचआरसी में विस्तृत शिकायत दाखिल की। इसके परिणामस्वरूप हरियाणा के गृह सचिव को नोटिस जारी हुआ और आरोपी कर्मियों के खिलाफ आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित किया गया। यह मामला पुलिस अत्याचार के खिलाफ एक महत्वपूर्ण मिसाल बना।

महिला अध्यक्षों की जगह पति व परिजनों द्वारा सत्ता चलाने का मामला उठाया
नगर परिषदों में महिला अध्यक्षों की जगह उनके पति या परिजनों द्वारा सत्ता चलाने के मामलों को सुशील वर्मा ने मानवाधिकार उल्लंघन मानते हुए निर्णायक लड़ाई लड़ी। उन्होंने इस संबंध में मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज की। इस शिकायत के आधार पर आयोग ने केंद्र सरकार और सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए।

आवा पजावा की जमीन से अवैध कब्जे हटवाए
सुशील वर्मा ने कुम्हार समाज की आवा पजावा जमीन पर से अवैध कब्जे हटवाने की दिशा में भी अहम पहल की। आजादी के बाद कुम्हार समुदाय को मिट्टी के भट्ठे चलाने के लिए भूमि आवंटित की गई थी लेकिन वर्षों में शक्तिशाली लोगों ने इन जमीनों पर कब्जा कर लिया। वर्मा ने यह मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सामने उठाया। आयोग ने देशभर के सभी जिला उपायुक्तों को कब्जे हटाकर कुम्हार समाज को उनकी जमीन वापस दिलाने के आदेश दिए। कई जिलों में जमीनें वापस मिलने लगीं जिससे पूरे समुदाय को बड़ी राहत मिली।

कचरा बीनने वालों पर अत्याचार का मामला उठाया
जीरकपुर (पंजाब) में कचरा बीनने वाले गरीब मजदूरों का नगर पालिका और पुलिस द्वारा चालान काटने तथा उत्पीड़न का मामला भी सुशील वर्मा ने उठाया। उन्होंने आयोग में शिकायत दर्ज कराई। इस पर आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो स्वयं जीरकपुर पहुंचे वहां विशेष कैंप लगाया गया और अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि किसी भी कचरा बीनने वाले का उत्पीड़न न किया जाए।

सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी लागू करवाने में दिया योगदान
बाल अधिकार आयोग के सदस्य रहते हुए सुशील वर्मा ने स्कूल वाहनों की सुरक्षा को लेकर विस्तृत पहल की। उनके प्रयासों से सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी लागू की गई जिससे लाखों बच्चों की यात्रा सुरक्षित हुई।

भिवानी नगर परिषद में करोड़ों के भ्रष्टाचार का किया खुलासा
सुशील वर्मा ने नगर परिषद भिवानी में करोड़ों रुपये के घोटाले का पर्दाफाश किया। इसके बाद इस घोटाले की सीबीआई ने जांच शुरू की। सीबीआई नगर परिषद में हुए कई बड़े घोटालों की जांच कर रही है जिसमें तत्कालीन चुने गए प्रतिनिधियों की संदिग्ध भूमिका भी सामने आई है।

तोशाम क्षेत्र के किसानों को दिलवाया पानी
तोशाम क्षेत्र में किसानों को पानी न मिलने से फसलें सूख रही थीं। सुशील वर्मा ने किसानों के अधिकारों के लिए अनशन किया और प्रशासन पर दबाव बनाया। अंततः नहरों में पाइप लाइनों के जरिए खेतों तक पानी पहुंचाने का काम हुआ जिससे हजारों किसानों को राहत मिली।
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