सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Haryana ›   Bhiwani News ›   Explain the harms of stubble burning and suggest management options

Bhiwani News: पराली जलाने के नुकसान बताए, प्रबंधन के विकल्प सुझाए

संवाद न्यूज एजेंसी, भिवानी Updated Thu, 04 Dec 2025 01:23 AM IST
विज्ञापन
Explain the harms of stubble burning and suggest management options
सीबीएलयू में आयोजित कार्यक्रम में संबो​धित करती डॉ. करिश्मा, जिला विस्तार विशेषज्ञ। स्वयं
विज्ञापन
भिवानी। चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय (सीबीएलयू) और राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय (जीजीएसएसएस) धनाना में फसल अवशेष प्रबंधन विषय पर बुधवार को जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों और युवाओं को पराली जलाने से होने वाले दुष्प्रभावों तथा फसल अवशेषों के सतत प्रबंधन के विकल्पों के बारे में जागरूक करना था।
Trending Videos

कार्यक्रम में मुख्य व्याख्यान डॉ. करिश्मा जिला विस्तार विशेषज्ञ द्वारा प्रस्तुत किया गया। उन्होंने पराली जलाने से होने वाली समस्याओं—जैसे वायु प्रदूषण, मिट्टी की उर्वरता में कमी, सूक्ष्म जीवों का नाश, तथा मानव एवं पशु स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि इस गंभीर समस्या का समाधान सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, बेलर जैसे आधुनिक कृषि उपकरणों के उपयोग से संभव है, जिनसे खेतों में ही फसल अवशेषों का समुचित प्रबंधन किया जा सकता है।
विज्ञापन
विज्ञापन

डॉ. करिश्मा ने बायो-डीकम्पोजर तकनीक पर भी प्रकाश डाला, जो फसल अवशेषों को प्राकृतिक रूप से विघटित कर मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने में मदद करती है और पराली जलाने की आवश्यकता को समाप्त करती है। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने फसल अवशेषों के विभिन्न उपयोगी एवं मूल्यवर्धित उपयोगों के बारे में बताया।
सीबीएलयू में आयोजित कार्यक्रम में 150 छात्र उपस्थित रहे। अतिथियों का प्राणी विज्ञान विभाग, चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय भिवानी की सहायक प्राध्यापिकाएं डॉ. आशा और डॉ. मोनिका जांगड़ा की ओर से स्वागत किया गया। जीजीएसएसएस धनाना में आयोजित कार्यक्रम में 100 छात्राओं ने उत्साहपूर्वक सहभागिता की। कार्यक्रम में डॉ. मीनू, जिला विस्तार विशेषज्ञ (कीट विज्ञान) भी मौजूद रहीं।
उन्होंने बताया कि फसल अवशेषों का उचित प्रबंधन कीटों के प्रकोप को कम करने में भी सहायक होता है, क्योंकि इससे कई हानिकारक कीटों का जीवन-चक्र खेतों में आगे नहीं बढ़ पाता। कार्यक्रम का समापन विद्यार्थियों के साथ संवाद सत्र से हुआ जिसमें उन्होंने फसल अवशेष प्रबंधन तकनीकों, सरकारी योजनाओं और किसानों की ओर से सामना की जाने वाली चुनौतियों से जुड़े प्रश्न पूछे।
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed