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किताबों से बाहर मिलेगी सीख: निपुण हरियाणा मिशन के तहत बदला होमवर्क का प्रारूप, अब रसोई बनेगी प्रयोगशाला
कुलदीप शुक्ला, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Mon, 29 Dec 2025 02:06 PM IST
सार
दादा-दादी से बातचीत कर पुराने समय की शादियों, खान-पान, रहन-सहन और मान्यताओं को जानेंगे। माता-पिता के साथ बैठकर हरियाणवी लोक गीत सुनेंगे, उनके अर्थ समझेंगे और पारंपरिक वेशभूषा के बारे में सीखेंगे। इससे बच्चों को अपनी जड़ों से जुड़ने का मौका मिलेगा। उद्देश्य साफ है-रटने वाली पढ़ाई से आगे बढ़कर सीखने को जीवन से जोड़ना।
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स्कूल
- फोटो : Istock
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विस्तार
हरियाणा में एक जनवरी से शुरू हो रही शीतकालीन छुट्टियों में इस बार बच्चों का होमवर्क सिर्फ कॉपी-किताब तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि पूरा घर उनकी कक्षा बन जाएगा।
निपुण हरियाणा मिशन के तहत शिक्षा निदेशालय ने तीसरी, चौथी और पांचवीं कक्षा के विद्यार्थियों को ऐसा शीतकालीन गृहकार्य दिया है जो उन्हें संस्कृति, परंपरा, बाजार, रसोई और परिवार के अनुभवों से सीधे जोड़ेगा। इस नए प्रयोग में बच्चे अब केवल सवाल हल नहीं करेंगे। वे अपने आसपास की दुनिया को समझेंगे।
दादा-दादी से बातचीत कर पुराने समय की शादियों, खान-पान, रहन-सहन और मान्यताओं को जानेंगे। माता-पिता के साथ बैठकर हरियाणवी लोक गीत सुनेंगे, उनके अर्थ समझेंगे और पारंपरिक वेशभूषा के बारे में सीखेंगे। इससे बच्चों को अपनी जड़ों से जुड़ने का मौका मिलेगा। उद्देश्य साफ है-रटने वाली पढ़ाई से आगे बढ़कर सीखने को जीवन से जोड़ना।
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दादा-दादी से बातचीत कर पुराने समय की शादियों, खान-पान, रहन-सहन और मान्यताओं को जानेंगे। माता-पिता के साथ बैठकर हरियाणवी लोक गीत सुनेंगे, उनके अर्थ समझेंगे और पारंपरिक वेशभूषा के बारे में सीखेंगे। इससे बच्चों को अपनी जड़ों से जुड़ने का मौका मिलेगा। उद्देश्य साफ है-रटने वाली पढ़ाई से आगे बढ़कर सीखने को जीवन से जोड़ना।