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350वां शहीदी दिवस: सीएम सैनी बोले- हरियाणा संतों की धरती, गुरु तेग बहादुर का बलिदान मानवता के लिए प्रेरणादायक

अमर उजाला ब्यूरो, चंडीगढ़ Published by: शाहिल शर्मा Updated Tue, 25 Nov 2025 02:10 PM IST
सार

सीएम सैनी ने कुरुक्षेत्र के ज्योतिसर में आयोजित होने वाले 350वें शहीदी दिवस समागम के दौरान गुरु जी के बलिदान को समस्त मानवता के लिए प्रेरणादायक बताया।

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CM Saini on 350th Martyrs Day in Kurukshetra
हरियाणा के सीएम नायब सैनी - फोटो : संवाद
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गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस को लेकर सीएम सैनी ने एक संदेश पत्र जारी किया है। अपने पत्र में उन्होंने लिखा कि भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर में श्री गुरु तेग बहादुर जी का व्यक्तित्व सदियों से अमिट, उत्ताल और अमर बना हुआ है। वे पीढ़ी-दर-पीढ़ी मानवता के सच्चे रक्षक, अत्याचार के खिलाफ अदम्य साहस के प्रतीक और धार्मिक स्वतंत्रता के महान संरक्षक के रूप में विख्यात हैं। सीएम सैनी ने कुरुक्षेत्र के ज्योतिसर में आयोजित होने वाले 350वें शहीदी दिवस समागम के दौरान गुरु जी के बलिदान को समस्त मानवता के लिए प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि यह कुर्बानी केवल एक समुदाय या क्षेत्र तक सीमित नहीं थी, बल्कि 'वसुधैव कुटुम्बकम्' के सिद्धांत को जीवंत करने वाली थी।
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सीएम सैनी ने समारोह स्थल का निरीक्षण करते हुए मीडिया से बातचीत में गुरु जी के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि गुरु जी का बचपन का नाम त्यागमल था और वे छठे गुरु श्री हरगोबिंद साहिब जी व माता नानकी जी के पुत्र थे। उनका जन्म 1 अप्रैल 1621 को अमृतसर में हुआ, जहां आज गुरुद्वारा 'गुरु का महल' सुशोभित है। सैनी ने कहा, "जब-जब मानवता पर अत्याचार हुए, तब-तब महापुरुषों का अवतरण हुआ। गुरु जी के समय मुगल बादशाह औरंगजेब के इस्लामीकरण के प्रयासों से त्रस्त कश्मीरी पंडितों ने आनंदपुर साहिब में गुरु जी से रक्षा की विनती की। 
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बालक गोबिंद राय (भविष्य के गुरु गोबिंद सिंह) के प्रेरणा-वचन पर गुरु जी ने दिल्ली की ओर प्रस्थान किया और अपना शीश कुर्बान कर धर्म की रक्षा की। यदि यह बलिदान न होता, तो आज का हिन्दुस्तान कैसा होता, कल्पना से परे है।"मुख्यमंत्री ने हरियाणा को गुरुओं व संतों की धरती बताते हुए गौरवान्वित भाव व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "यह हमारा सौभाग्य है कि कुरुक्षेत्र की पवित्र भूमि पर महाभारत का युद्ध लड़ा गया, जहां महाराजा कुरु ने हल चलाया और श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दिया। यहीं आठ गुरु साहिबान गुरु नानक देव से गोबिंद सिंह तक के चरण पड़े।

सीएम सैनी ने 2015 में शुरू 'संत-महापुरुष सम्मान एवं चिंतन प्रसार योजना' का उल्लेख किया, जिसमें गुरु नानक देव, गुरु तेग बहादुर, गुरु गोबिंद सिंह, बाबा बंदा सिंह बहादुर, धन्ना भगत, कबीर, नामदेव व रविदास जैसे महापुरुषों के विचारों का प्रचार हो रहा है। यमुनानगर के लोहगढ़ (बाबा बंदा सिंह की राजधानी) में मार्शल आर्ट इंस्टीट्यूट व गुरु तेग बहादुर मेडिकल कॉलेज बन रहा है। सिरसा के गुरुद्वारा चिल्ला साहिब को 72 कनाल भूमि निःशुल्क दी गई। अंबाला में 28 गुरुद्वारे हैं, जिसमें लखनौर साहिब प्रमुख। सीएम ने सिरसा के चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय में 'गुरु तेग बहादुर चेयर', अंबाला पॉलिटेक्निक का नाम परिवर्तन, करनाल में मेमोरियल, टोहाना-जीन-नारनौल मार्ग को 'गुरु तेग बहादुर मार्ग', कैथल में 'गुरु तेग बहादुर वन' व यमुनानगर के किशनपुरा में कृषि महाविद्यालय का जिक्र किया। 

इन प्रयासों से गुरु जी का त्याग व मानवता संदेश भावी पीढ़ियों तक पहुंचेगा। समागम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि हैं। वे ज्योतिसर में महाभारत अनुभव केंद्र का लोकार्पण करेंगे, गुरु जी की स्मृति में सिक्का व डाक टिकट जारी करेंगे, कॉफी टेबल बुक का अनावरण करेंगे तथा ब्रह्मसरोवर पर महाआरती में भाग लेंगे। 
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