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सरकार तानाशाही कर शांतिपूर्ण प्रदर्शन की आवाज दबाना चाहती है : मुंशीराम
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फतेहाबाद। बैठक में सरकार की नीतियों पर विरोध जताते रिटायर्ड कर्मचारी। स्त्रोत रिटायर्ड कर्मचारी
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फतेहाबाद। रिटायर्ड कर्मचारी संगठन फतेहाबाद की मासिक बैठक पुराना पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में जिला प्रधान मुंशीराम कंबोज की अध्यक्षता में आयोजित हुई। बैठक का संचालन जिला सचिव सुभाष चंद्र चौहान और पूर्व डीपीआरओ आत्माराम ने किया। बैठक में रिटायर्ड कर्मचारियों की लंबित मांगों पर चर्चा की गई और 26 नवंबर के सफल प्रदर्शन के लिए कर्मचारियों का आभार जताया गया।
संगठन ने 25 नवंबर को जंतर-मंतर पर हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान पेंशन बहाली संघर्ष समिति के राज्य प्रधान विजेंद्र धारीवाल व दो अन्य कर्मचारियों पर दर्ज एफआईआर का कड़ा विरोध करते हुए इसे तुरंत रद्द करने की मांग की। कर्मचारी नेताओं निहाल सिंह मताना और हरीचंद ने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर एफआईआर सरकार की बौखलाहट का परिणाम है और इससे आंदोलन दब नहीं सकता।
बैठक में सरकारी व सार्वजनिक क्षेत्र में निजीकरण बंद करने, अस्थाई कर्मचारियों को पक्का करने, कम्यूटेशन अवधि 15 से घटाकर 11 वर्ष करने, ठेका प्रथा समाप्त करने, समान काम–समान वेतन लागू करने तथा 60, 70 और 75 वर्ष की आयु पर पेंशन में क्रमशः 5, 10 और 15 प्रतिशत वृद्धि की मांग भी दोहराई गई। बैठक में बलराज सिंह भूना, चन्द्रभान चोपड़ा, ओमप्रकाश ढाका, कैलाश प्रसाद, जोत सिंह, सुभाष शीला, मास्टर सुरजभान, इन्द्रजीत सिंह, जयप्रकाश, डॉ. रामफल, गुगन राम, विरेन्द्र सिंह और रणबीर सिंह माैजूद रहे।
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संगठन ने 25 नवंबर को जंतर-मंतर पर हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान पेंशन बहाली संघर्ष समिति के राज्य प्रधान विजेंद्र धारीवाल व दो अन्य कर्मचारियों पर दर्ज एफआईआर का कड़ा विरोध करते हुए इसे तुरंत रद्द करने की मांग की। कर्मचारी नेताओं निहाल सिंह मताना और हरीचंद ने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर एफआईआर सरकार की बौखलाहट का परिणाम है और इससे आंदोलन दब नहीं सकता।
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बैठक में सरकारी व सार्वजनिक क्षेत्र में निजीकरण बंद करने, अस्थाई कर्मचारियों को पक्का करने, कम्यूटेशन अवधि 15 से घटाकर 11 वर्ष करने, ठेका प्रथा समाप्त करने, समान काम–समान वेतन लागू करने तथा 60, 70 और 75 वर्ष की आयु पर पेंशन में क्रमशः 5, 10 और 15 प्रतिशत वृद्धि की मांग भी दोहराई गई। बैठक में बलराज सिंह भूना, चन्द्रभान चोपड़ा, ओमप्रकाश ढाका, कैलाश प्रसाद, जोत सिंह, सुभाष शीला, मास्टर सुरजभान, इन्द्रजीत सिंह, जयप्रकाश, डॉ. रामफल, गुगन राम, विरेन्द्र सिंह और रणबीर सिंह माैजूद रहे।