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Hisar News: सोने सी चांदी...बॉक्सर नरेंद्र और अंकुश पंघाल फाइनल में चूके
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मुक्के का दम दिखाते नरेंद्र।
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हिसार। विश्व मुक्केबाजी कप में वीरवार को फाइनल मुकाबलों में गांव सोरखी के नरेंद्र बेरवाल और भेरिया निवासी अंकुश पंघाल भले ही जीत न पाए, लेकिन जीत के प्रति उनके संघर्ष ने दिल जीत लिया। नरेंद्र ने 90 से ऊपर किलोग्राम भार वर्ग में रजत पदक पर कब्जा किया। फाइनल वे उज्बेकिस्तान के बॉक्सर से हार गए। वहीं भेरिया निवासी अंकुश पंघाल की आंख पर चोट लगने से वे भी मैच हार गए और उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा। उधर, दोनों खिलाडि़यों के गांव में उत्साह का माहौल दिखा। परिजनों ने कहा कि स्वर्ण पदक की उम्मीद थी, लेकिन रजत जीतने पर भी हमें उतनी ही खुशी है। लोग परिजनों को बधाई देने के लिए घर पहुंचे।
बॉक्सर नरेंद्र के जगदीश ने बताया कि बेटे ने 2009 में बॉक्सिंग की शुरुआत की थी। 2013 में खेल कोटे से भारतीय सेना में नौकरी हासिल की। वह अब तक राष्ट्रीय से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पदक अपने नाम कर चुका है। वर्ष 2019 में नरेंद्र साउथ एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। वहीं, 2022 में एशियन चैंपियनशिप में कांस्य पदक पर कब्जा जमाया। नरेंद्र ने फोन पर बातचीत में बताया कि विश्व मुक्केबाजी कप को लेकर पिछले काफी समय से तैयारी में जुटे हुए थे, मगर उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा। पिता ने कहा कि रजत पदक जीतना भी बड़ी बात है। बेटे ने बेहतर प्रदर्शन किया। मुझे उस पर गर्व है।
अंकुश के चांदी जीतने पर परिवार में खुशी का माहौल
अंकुश पंघाल के परिजनों, खेल प्रेमियों और कोच को स्वर्ण पदक की पूरी उम्मीद थी। मगर फाइनल मुकाबले में पहले ही राउंड में प्रतिद्वंद्वी इंग्लैंड के बॉक्सर का सिर अंकुश की आंख पर लगा। इस पर आइब्रो के पास कट लग गया और खून बहने लगा। इसके बावजूद हौसला नहीं तोड़ा। अंकुश को रजत पदक से संतोष करना पड़ा। अंकुश के कोच प्रदीप सावंत ने कहा कि वह भी अंकुश के साथ गए हुए हैं। अंकुश को चोट नहीं लगती तो वह पक्का स्वर्ण पदक लेकर आता। फिर भी उसने बेहतरीन प्रदर्शन कर 80 किलोग्राम भारवर्ग में रजत पदक पर कब्जा किया। वहीं, अंकुश का मैच परिवार के सदस्यों ने मोबाइल पर देखा। मैच शुरू होने से पहले पिता और माता ने बेटे की जीत की प्रार्थना की। रजत पदक जीतने पर परिवार में खुशी का माहौल है। बधाई के लिए परिजनों के पास रिश्तेदारों के फोन आने लगे। गांव पहुंचने पर विजयी जुलूस निकाला जाएगा। अंकुश पंघाल ने आठ साल पहले बॉक्सिंग से अपने कॅरिअर की शुरुआत की थी। कोच प्रदीप ने बताया कि अंकुश 12 साल की उम्र से मेरे पास अभ्यास के लिए आने लगा था। पिता सुरेश कुमार ने कहा कि बेटे ने अच्छी फाइट खेली है। प्रतिद्वंद्वी बॉक्सर सीनियर था फिर भी बेटे ने बेहतर प्रदर्शन किया। गांव पहुंचने पर स्वागत किया जाएगा।
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बॉक्सर नरेंद्र के जगदीश ने बताया कि बेटे ने 2009 में बॉक्सिंग की शुरुआत की थी। 2013 में खेल कोटे से भारतीय सेना में नौकरी हासिल की। वह अब तक राष्ट्रीय से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पदक अपने नाम कर चुका है। वर्ष 2019 में नरेंद्र साउथ एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। वहीं, 2022 में एशियन चैंपियनशिप में कांस्य पदक पर कब्जा जमाया। नरेंद्र ने फोन पर बातचीत में बताया कि विश्व मुक्केबाजी कप को लेकर पिछले काफी समय से तैयारी में जुटे हुए थे, मगर उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा। पिता ने कहा कि रजत पदक जीतना भी बड़ी बात है। बेटे ने बेहतर प्रदर्शन किया। मुझे उस पर गर्व है।
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अंकुश के चांदी जीतने पर परिवार में खुशी का माहौल
अंकुश पंघाल के परिजनों, खेल प्रेमियों और कोच को स्वर्ण पदक की पूरी उम्मीद थी। मगर फाइनल मुकाबले में पहले ही राउंड में प्रतिद्वंद्वी इंग्लैंड के बॉक्सर का सिर अंकुश की आंख पर लगा। इस पर आइब्रो के पास कट लग गया और खून बहने लगा। इसके बावजूद हौसला नहीं तोड़ा। अंकुश को रजत पदक से संतोष करना पड़ा। अंकुश के कोच प्रदीप सावंत ने कहा कि वह भी अंकुश के साथ गए हुए हैं। अंकुश को चोट नहीं लगती तो वह पक्का स्वर्ण पदक लेकर आता। फिर भी उसने बेहतरीन प्रदर्शन कर 80 किलोग्राम भारवर्ग में रजत पदक पर कब्जा किया। वहीं, अंकुश का मैच परिवार के सदस्यों ने मोबाइल पर देखा। मैच शुरू होने से पहले पिता और माता ने बेटे की जीत की प्रार्थना की। रजत पदक जीतने पर परिवार में खुशी का माहौल है। बधाई के लिए परिजनों के पास रिश्तेदारों के फोन आने लगे। गांव पहुंचने पर विजयी जुलूस निकाला जाएगा। अंकुश पंघाल ने आठ साल पहले बॉक्सिंग से अपने कॅरिअर की शुरुआत की थी। कोच प्रदीप ने बताया कि अंकुश 12 साल की उम्र से मेरे पास अभ्यास के लिए आने लगा था। पिता सुरेश कुमार ने कहा कि बेटे ने अच्छी फाइट खेली है। प्रतिद्वंद्वी बॉक्सर सीनियर था फिर भी बेटे ने बेहतर प्रदर्शन किया। गांव पहुंचने पर स्वागत किया जाएगा।