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Hisar News: कंबोडिया के जंगलों में बंधक बनाया, जो भी भागने की कोशिश करता सीधे गोली मार दी जाती थी
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हिसार। म्यांमार से रेस्क्यू कर लाए गए युवा अब भी खौफ में हैं। वहां भुगतीं यातनाएं नींद में भी डराती हैं। 11 दिन पहले स्वदेश लौटे इन युवाओं ने बताया कि बंधक बनाने के बाद उनके कुछ साथियों ने भागने की कोशिश की थी। हमारी आंखों से सामने ही छह लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। पुलिस ने इन्हें किसी भी तरह की जानकारी सार्वजनिक करने से मना किया है। इसके बावजूद नाम व पहचान उजागर न किए जाने के भरोसे के बाद इन्होंने एजेंटों के जाल में फंसकर जो दर्द झेला उसकी दास्तां बयां की।
हिसार से 10 युवा थाइलैंड गए थे। इनमें से कोई किसी को नहीं जानता था। अधिक पैसे दिलवाने का लालच देकर जब इन्हें म्यांमार और वहां से कंबोडिया के जंगलों में ले जाकर बंधक बनाया गया तब एक-दूसरे से पहचान हुई। हिसार के शांत विहार निवासी 40 वर्षीय युवक ने बताया कि वह वैध तरीके से वीजा- पासपोर्ट लेकर थाइलैंड गया था। वहां जाकर एक एजेंट से संपर्क किया तो उसने 80 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन दिलाने का ऑफर दिया। इसके बाद उसे म्यामारं और कंबोडिया के जंगलों में ले गए। वहां पर एजेंटों ने काल सेंटर बना रखे थे।
एजेंटों के गुर्गे अपने हाथों में ऑटोमैटिक मशीनगन रखते थे जो भी वहां से भागने का प्रयास करता उसको सीधे गोली मार देते थे। वहां से भागकर आने के लिए एक नदी को पार करना पड़ता था। कुछ लोगों ने उस नदी को पार करने के लिए अपनी सोने की चेन, मोबाइल सभी कुछ दे दिया। नदी पार करने वाले ही थे तो नाव पलट गई। इस बीच उन्हें बंधक बनाने वाले वहां आ गए। उन्होंने भागने की कोशिश कर रहे युवकों को गोली मार दी। इस डर के कारण सभी लोग वहीं बंधक रहकर करीब ढाई माह तक काम करते रहे।
बेटा सकुशल वापस आ गया यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है...
सूर्य नगर से गए एक युवक के पिता ने बताया कि उनके दो बेटे हैं। बड़ा बेटा मेडिकल लाइन में काम करता है। दूसरा बेटा भी12वीं करने के बाद निजी अस्पताल में काम करने लगा था। अगस्त में वह किसी दोस्त के संपर्क में आकर विदेश चला गया। उसने मुझे नहीं बताया कि वह विदेश जा रहा है। वहां जाकर उसने कोई पैसे नहीं भेजे। बेटे को बंधक बनाए जाने की सूचना पुलिस से मिली। पुलिसकर्मियों ने बताया कि आपके बेटे को विदेश में बंधक बना लिया गया है। उसके मोबाइल पर फोन मत करना। घर आने के बाद उससे बातचीत की तो पता लगा कि उसके साथ मारपीट नहीं की गई थी। उन्हें डरा-धमकाकर काम कराया जा रहा था। अब मैं उसको कभी दूसरे देश नहीं जाने दूंगा। वह सकुशल वापस आ गया यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है। अपने घर में जैसी भी रोटी होगी उसी से काम चलाएंगे।
जीने की उम्मीद छोड़ दी थी, लगता था यहां से कभी निकल नहीं पाऊंगा
गांव हरिता निवासी युवक ने बताया कि उसने तो जीने की उम्मीद छोड़ दी थी। लगता था कि अब यहां से कभी नहीं निकल पाऊंगा। मेरे व साथियों पर 24 घंटे नजर रखी जाती थी। हमारे फोन उनके कब्जे में रहते थे। सारी रिकॉर्डिंग वह लोग सुनते थे। अच्छा पैसा कमाने के चक्कर में विदेश गए थे। उम्मीद नहीं थी कि इस तरह किसी स्कैम में फंस जाएंगे। मौत को बहुत करीब से देखा है। उन दिनों को जीवन में कभी नहीं भूल पाएंगे। मैं किसी भी युवा को विदेश जाकर नौकरी के लिए सुझाव नहीं दूंगा। वैध तरीके से सरकारी सिस्टम के जरिए ही जाएं। कम पैसे मिलें तो भी इसी तरीके को अपनाएं।
मोबाइल फोन दूतावास में जमा करवाए
विदेश गए इन युवकों में हरिता गांव के तीन, सूर्य नगर, शांत विहार, ऋषिनगर और गांव बड़वा का एक-एक युवक शामिल था। तीन अन्य गांवों के हैं। इनको भारत लाने के बाद सभी के मोबाइल भारतीय दूतावास में जमा किए गए हैं। ये फोन थाइलैंड में खरीदे थे जिनके बिल इनके पास नहीं थे। इंटरनेशनल रैकेट की पूरी जांच व साक्ष्यों के लिए मोबाइल जब्त किए गए हैं।
अधिकृत एजेंट के जरिए ही विदेश जाएं युवा
युवाओं को अधिकृत एजेंट के जरिए ही विदेश जाना चाहिए। किसी भी व्यक्ति पर भरोसा न करें। जल्द पैसा कमाने के लालच में फंसने से ही काम खराब हो जाता है। हमेशा वैध तरीका ही अपनाना चाहिए। दूसरे देशों में अलग स्थिति अलग कानून होते हैं। वहां से रेस्क्यू करना भी बेहद कठिन होता है। - शशांक कुमार सावन, एसपी, हिसार
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हिसार से 10 युवा थाइलैंड गए थे। इनमें से कोई किसी को नहीं जानता था। अधिक पैसे दिलवाने का लालच देकर जब इन्हें म्यांमार और वहां से कंबोडिया के जंगलों में ले जाकर बंधक बनाया गया तब एक-दूसरे से पहचान हुई। हिसार के शांत विहार निवासी 40 वर्षीय युवक ने बताया कि वह वैध तरीके से वीजा- पासपोर्ट लेकर थाइलैंड गया था। वहां जाकर एक एजेंट से संपर्क किया तो उसने 80 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन दिलाने का ऑफर दिया। इसके बाद उसे म्यामारं और कंबोडिया के जंगलों में ले गए। वहां पर एजेंटों ने काल सेंटर बना रखे थे।
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एजेंटों के गुर्गे अपने हाथों में ऑटोमैटिक मशीनगन रखते थे जो भी वहां से भागने का प्रयास करता उसको सीधे गोली मार देते थे। वहां से भागकर आने के लिए एक नदी को पार करना पड़ता था। कुछ लोगों ने उस नदी को पार करने के लिए अपनी सोने की चेन, मोबाइल सभी कुछ दे दिया। नदी पार करने वाले ही थे तो नाव पलट गई। इस बीच उन्हें बंधक बनाने वाले वहां आ गए। उन्होंने भागने की कोशिश कर रहे युवकों को गोली मार दी। इस डर के कारण सभी लोग वहीं बंधक रहकर करीब ढाई माह तक काम करते रहे।
बेटा सकुशल वापस आ गया यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है...
सूर्य नगर से गए एक युवक के पिता ने बताया कि उनके दो बेटे हैं। बड़ा बेटा मेडिकल लाइन में काम करता है। दूसरा बेटा भी12वीं करने के बाद निजी अस्पताल में काम करने लगा था। अगस्त में वह किसी दोस्त के संपर्क में आकर विदेश चला गया। उसने मुझे नहीं बताया कि वह विदेश जा रहा है। वहां जाकर उसने कोई पैसे नहीं भेजे। बेटे को बंधक बनाए जाने की सूचना पुलिस से मिली। पुलिसकर्मियों ने बताया कि आपके बेटे को विदेश में बंधक बना लिया गया है। उसके मोबाइल पर फोन मत करना। घर आने के बाद उससे बातचीत की तो पता लगा कि उसके साथ मारपीट नहीं की गई थी। उन्हें डरा-धमकाकर काम कराया जा रहा था। अब मैं उसको कभी दूसरे देश नहीं जाने दूंगा। वह सकुशल वापस आ गया यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है। अपने घर में जैसी भी रोटी होगी उसी से काम चलाएंगे।
जीने की उम्मीद छोड़ दी थी, लगता था यहां से कभी निकल नहीं पाऊंगा
गांव हरिता निवासी युवक ने बताया कि उसने तो जीने की उम्मीद छोड़ दी थी। लगता था कि अब यहां से कभी नहीं निकल पाऊंगा। मेरे व साथियों पर 24 घंटे नजर रखी जाती थी। हमारे फोन उनके कब्जे में रहते थे। सारी रिकॉर्डिंग वह लोग सुनते थे। अच्छा पैसा कमाने के चक्कर में विदेश गए थे। उम्मीद नहीं थी कि इस तरह किसी स्कैम में फंस जाएंगे। मौत को बहुत करीब से देखा है। उन दिनों को जीवन में कभी नहीं भूल पाएंगे। मैं किसी भी युवा को विदेश जाकर नौकरी के लिए सुझाव नहीं दूंगा। वैध तरीके से सरकारी सिस्टम के जरिए ही जाएं। कम पैसे मिलें तो भी इसी तरीके को अपनाएं।
मोबाइल फोन दूतावास में जमा करवाए
विदेश गए इन युवकों में हरिता गांव के तीन, सूर्य नगर, शांत विहार, ऋषिनगर और गांव बड़वा का एक-एक युवक शामिल था। तीन अन्य गांवों के हैं। इनको भारत लाने के बाद सभी के मोबाइल भारतीय दूतावास में जमा किए गए हैं। ये फोन थाइलैंड में खरीदे थे जिनके बिल इनके पास नहीं थे। इंटरनेशनल रैकेट की पूरी जांच व साक्ष्यों के लिए मोबाइल जब्त किए गए हैं।
अधिकृत एजेंट के जरिए ही विदेश जाएं युवा
युवाओं को अधिकृत एजेंट के जरिए ही विदेश जाना चाहिए। किसी भी व्यक्ति पर भरोसा न करें। जल्द पैसा कमाने के लालच में फंसने से ही काम खराब हो जाता है। हमेशा वैध तरीका ही अपनाना चाहिए। दूसरे देशों में अलग स्थिति अलग कानून होते हैं। वहां से रेस्क्यू करना भी बेहद कठिन होता है। - शशांक कुमार सावन, एसपी, हिसार