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Bahadurgarh: परदेस की हसरत में गुरुग्राम में फायर ऑफिसर की नौकरी छोड़ी, डंकी कर पहुंचा अमेरिका, अब वापसी

संवाद न्यूज एजेंसी, बहादुरगढ़ Published by: निवेदिता वर्मा Updated Tue, 18 Feb 2025 09:58 AM IST
सार

53 लाख रुपए खर्च करके अमेरिका गए दीपक के भारत वापस लौटने पर परिवार के सदस्य काफी दुखी हैं। हालांकि परिवार के सदस्य कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। 
 

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Bahadurgarh Man left job of fire officer in Gurugram reached America by dunki now deported
दीपक का घर - फोटो : संवाद
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विस्तार
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दिल्ली-रोहतक नेशनल हाईवे पर स्थित रोहद गांव का दीपक गुरुग्राम के डीएलएफ में फायर ऑफिसर की नौकरी छोड़ एक एजेंट की बातों में आकर  डंकी तरीके से अमेरिका गया था। अब अमेरिका की ओर से उसे डिपोर्ट किया गया है। दीपक देर रात अपने गांव रोहद पहुंचा। अब उसने आसौदा थाना में रोहतक के बसाना गांव निवासी रवि उर्फ मोंटी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। 

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दीपक रुहिल ने बताया कि वह 15 अक्तूबर 2024 को रवि उर्फ मोन्टी से मिला और उससे कहा कि उसे अमेरिका जाना है तो रवि उर्फ मोन्टी ने कहा कि हमारा यही काम है। मैंने उससे पूछा कि कितने पैसे लगेंगे तो उसने मुझे कहा कि 53 लाख रुपये लगेंगे जिसमें आपका पूरा ठेका होगा। अमेरिका में सेटल कराने तक का। इस पर मैंने अपने डाक्यूमेन्ट रवि उर्फ मोन्टी को दे दिए और उसने मुझसे कहा, तुम्हारा वीजा आ जाएगा और आप फ्लाइट में बैठकर स्पेन पहुंच जाओगे। उसके बाद आधी पेमेंट स्पेन पहुंच कर और आधी पेमेंट तीजवाना पहुंच कर देनी होगी। 
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दीपक के अनुसार, रवि उर्फ मोन्टी का फोन आया कि तेरा माल्टा का वीजा लग गया है और तुझे 20 लाख रुपये देने पड़ेंगे। जब उसने रवि से कहा कि आप पेमेंट स्पेन पहुंच कर लेंगे तो उसने कहा कि ये पेड वीजा है। इसकी पेमेंट का हवाला कटाना है तभी तेरा पासपोर्ट मिलेगा तो मैंने 20 लाख रुपये अपनी मां सावित्री देवी के अकाउन्ट से निकलवाकर दे दिए। यह पैसे एक प्लाट बेचने के बाद आए थे। 

चार दिसंबर 2024 को कैश दिए। दीपक ने बताया कि रवि को उन्होंने यह पैसे अपने गांव में माण्डोठी रोड पर स्थित दोस्त की दुकान पर दिए। जिसकी वीडियो रिकार्डिंग भी उपलब्ध है। 19 दिसंबर 2024 को रवि ने मेरा पासपोर्ट अपने किसी गांव के युवक के हाथों भिजवाया और बताया कि शाम 4:30 बजे दिल्ली से दुबई की फ्लाइट है और उसने एक अभी नाम के व्यक्ति का नम्बर मेरे को पहले भेज रखा था। 

19 दिसंबर की शाम 4:30 बजे दीपक दिल्ली एयरपोर्ट से दुबई के लिए फ्लाइट में बैठ गया और शाम को 8 बजे दुबई पहुंच गया। वहां पर अभी नाम के व्यक्ति ने इस्ताबुंल की टिकट भेज दी और कहा, यहीं एयरपोर्ट पे स्टे करो। अगले दिन सुबह तीन बजे इस्तांबुल की फ्लाइट पकड़ी। इस्तांबुल पहुंचने पर रवि और उसके एजेन्ट ने मेड्रिड स्पेन की टिकट भेज दी। कुछ घंटे एयरपोर्ट पर रुकने के बाद मेड्रिड स्पेन की फ्लाइट में बैठ गया और इसी दिन शाम को रवि के बताये हुए होटल में पहुंच गया। वहां 24 दिसंबर तक रुका। फिर एल साल्वाडोर की टिकट मिली। 25 दिसंबर को मेड्रिड से एल साल्वाडोर की फ्लाइट पकड़ी। शाम को एल साल्वाडोर पहुंच गया। 

दीपक ने बताया कि वहां पर उन्होंने इमिग्रेशन को 800 यूएस डॉलर दिए और एयरपोर्ट से बाहर आ गया। इसके बाद रवि को फोन किया तो उसके एजेन्ट ने होटल नोवा की बुकिंग भेज दी। 26 दिसंबर को काल आई। कॉलर ने कहा कि मैं रवि का डोंकर बोल रहा हूं, होटल के बाहर कार में आकर बैठ जाओ। उसने फोटो दिखाया और मैं रवि के कहने पर गाड़ी में बैठ गया। फिर वह डोंकर मुझे एक सुनसान जगह पर गोक्षमाला ले गया। उसके बाद 29 दिसंबर को मैक्सिको गया और एक महीने बाद 29 जनवरी 2025 को यूएसए में एंट्री करा दी। उसके बाद वहां की पुलिस ने पकड़ कर कैंप में डाल दिया। 

14 फरवरी को उसे यूएसए के एयरपोर्ट पर हवाई जहाज में बैठाकर अमृतसर भेज दिया गया। दीपक का कहना है कि यहां पहुंचते ही उन्होंने रवि को फोन किया तो उसने कहा कि मैं तुझे नहीं जानता और फोन काट दिया।  

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