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Kurukshetra News: गीता के शाश्वत संदेश को डिजिटल युग से जोड़ने पर अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने रखे विचार
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कुरुक्षेत्र। गीता सम्मेलन में हिस्सा लेते अंतरराष्ट्रीय गीता विशेषज्ञ। संवाद
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कुरुक्षेत्र। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में आयोजित 10वें अंतरराष्ट्रीय गीता सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के बाद सोमवार को प्लेनरी सत्रों का आयोजन किया गया जिनमें देश-विदेश के विद्वानों ने डिजिटल युग की चुनौतियों के संदर्भ में गीता के शाश्वत संदेश को नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मैनेजमेंट और इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज की ओर से डिजिटल नेटिव्स के लिए कर्मयोग : गीता नैतिकता को डिजिटल युग की गतिशीलता में समाहित करना विषय पर महत्वपूर्ण प्लेनरी सत्र का आयोजन सीनेट हॉल में किया गया। सत्र में ऑस्ट्रेलिया के प्रो. मार्क एलन, जापान के प्रो. हीरोयुकी साटो, थाईलैंड के प्रो. चिरापत प्रपंडविद्या, नेपाल के प्रो. धनश्वर और भारत के प्रो. लक्ष्मिधर बेहरा, प्रो. जगबीर सिंह और प्रो. पवन शर्मा ने अपने विचार साझा किए। वक्ताओं ने बताया कि गीता के सिद्धांत आज के तेज, एल्गोरिद्म-आधारित डिजिटल दौर में भी युवाओं को विवेक, स्थिरता और दिशा प्रदान कर सकते हैं।
विश्वविद्यालय के यूआईईटी में भगवद्गीता : डिजिटल युद्ध क्षेत्र के शोर में मार्गदर्शक संकेत विषय पर भी प्लेनरी सेशन आयोजित किया गया। निदेशक प्रो. सुनील ढींगरा ने गीता के शिक्षाओं को पर्यावरणीय नीतियों और सतत विकास पर विचार साझा किए। प्रमुख वक्ता शिवानंद ने डिजिटल भ्रम, गलत सूचना और मानसिक अव्यवस्था को अर्जुन की दुविधा से जोड़कर विवेक और धैर्य को डिजिटल आचरण का आधार बताया। स्वामी सत्यप्रकाश आनंद ने लगातार ऑनलाइन रहने से उत्पन्न मानसिक अशांति पर चिंता व्यक्त करते हुए डिजिटल डिटेचमेंट और स्थिर बुद्धि की आवश्यकता बताई। इस मौके पर सत्र निदेशक प्रो. रमेश चंद्र, प्रो. अनिल कुमार मित्तल, आयोजन सचिव डॉ. राजन शर्मा, डॉ. सलोनी पवन दीवान, प्रो. सिद्धार्थ भारद्वाज, डॉ. अजय सोलखे, डॉ. विवेक कुमार, डॉ. भंवर सिंह सहित अन्य संकाय सदस्य, शोधार्थी और विद्यार्थी मौजूद रहे।
डिजिटल थकान दूर करने के लिए योग जरूरी
पंकज मौर्य ने डिजिटल थकान दूर करने के लिए योग : कर्मसु कौशलम् के सिद्धांत को अपनाने की सलाह दी। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ डैनियल उमे ने डिजिटल गवर्नेंस में धर्म, सत्य एवं नैतिक नेतृत्व की आवश्यकता पर जोर दिया और प्रो. उपेंद्र राव ने गीता के योगों को आधुनिक डिजिटल चुनौतियों के समाधान के रूप में प्रस्तुत किया।
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विश्वविद्यालय के यूआईईटी में भगवद्गीता : डिजिटल युद्ध क्षेत्र के शोर में मार्गदर्शक संकेत विषय पर भी प्लेनरी सेशन आयोजित किया गया। निदेशक प्रो. सुनील ढींगरा ने गीता के शिक्षाओं को पर्यावरणीय नीतियों और सतत विकास पर विचार साझा किए। प्रमुख वक्ता शिवानंद ने डिजिटल भ्रम, गलत सूचना और मानसिक अव्यवस्था को अर्जुन की दुविधा से जोड़कर विवेक और धैर्य को डिजिटल आचरण का आधार बताया। स्वामी सत्यप्रकाश आनंद ने लगातार ऑनलाइन रहने से उत्पन्न मानसिक अशांति पर चिंता व्यक्त करते हुए डिजिटल डिटेचमेंट और स्थिर बुद्धि की आवश्यकता बताई। इस मौके पर सत्र निदेशक प्रो. रमेश चंद्र, प्रो. अनिल कुमार मित्तल, आयोजन सचिव डॉ. राजन शर्मा, डॉ. सलोनी पवन दीवान, प्रो. सिद्धार्थ भारद्वाज, डॉ. अजय सोलखे, डॉ. विवेक कुमार, डॉ. भंवर सिंह सहित अन्य संकाय सदस्य, शोधार्थी और विद्यार्थी मौजूद रहे।
डिजिटल थकान दूर करने के लिए योग जरूरी
पंकज मौर्य ने डिजिटल थकान दूर करने के लिए योग : कर्मसु कौशलम् के सिद्धांत को अपनाने की सलाह दी। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ डैनियल उमे ने डिजिटल गवर्नेंस में धर्म, सत्य एवं नैतिक नेतृत्व की आवश्यकता पर जोर दिया और प्रो. उपेंद्र राव ने गीता के योगों को आधुनिक डिजिटल चुनौतियों के समाधान के रूप में प्रस्तुत किया।

कुरुक्षेत्र। गीता सम्मेलन में हिस्सा लेते अंतरराष्ट्रीय गीता विशेषज्ञ। संवाद