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Kurukshetra News: जिला अस्पताल में नहीं है थायराइड, विटामिन डी की जांच की सुविधा
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कुरुक्षेत्र। सरकार सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ाने के दावे के साथ सस्ती दवा मुहैया कराने के लिए जेनेरिक स्टोर तक खोलने की बात की जा रही हैं वहीं दूसरी तरफ सरकारी अस्पतालों में कई रोगों की जांच की सुविधा ही नहीं है। बीपी, शुगर, एड्स रोगों की जांच के लिए तो लैब में टेस्ट होते हैं, लेकिन कई ऐसे टेस्ट की सुविधा आज तक नहीं मिली जोकि प्राइवेट लैब में महंगे पड़ते हैं।
थायराइड विटामिन डी की कमी अब आम रोग है, लेकिन हैरानी की बात है कि इन रोगों की जांच की सुविधा आज भी सरकारी लैब में शुरू नहीं हो पाई। लैब में थायराइड, विटामिन डी अन्य विटामिन की कमी संबंधित टेस्ट, ट्रापाई, टीपीके-एम और हार्मोन जैसे महंगे टेस्ट आज तक शुरू नहीं हुए। अस्पताल में रोजाना 1700 से 1800 मरीजों की ओपीडी हो रही है जिनमें से चिकित्सकों द्वारा औसतन 400 से 500 मरीजों के खून व पेशाब आदि की जांच लिखी जा रही है। औसतन एक मरीज के चिकित्सकों द्वारा चार से पांच टेस्ट लिखे जाते हैं। रोजाना औसतन 2200 से 2500 टेस्ट लैब में आते हैं, जिनमें से आधे ही हो पाते हैं।
मरीजों को चुकाने पड़ रहे महंगे दाम
प्राइवेट अस्पतालों की तर्ज पर अब सरकारी अस्पताल में भी चिकित्सक मरीजों के कई-कई टेस्ट एक साथ लिख देते हैं, जिनमें से कुछ एलएनजेपी की लैब में हो जाते हैं बाकी के लिए मरीजों को प्राइवेट लैब की दूरी मापनी पड़ती है जहां महंगे दाम चुका कर टेस्ट कराने पड़ते हैं।
70 फीसदी मरीज विटामिन डी की कमी से पीड़ित
चिकित्सकों के अनुसार विटामिन डी की कमी अब आम बात है। विटामिन डी की कमी हालांकि धूप से पूरी हो जाती है, लेकिन इसकी कमी से संबंधित कई तरह की दिक्कतें हैं। खासकर महिलाएं इससे ज्यादा पीड़ित हैं। क्योंकि दूध कम पीती है। हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. अनूप मेहता का कहना है कि एलएनजेपी की ऑर्थो ओपीडी में हर तीसरा मरीज इसकी कमी का शिकार है, 75 प्रतिशत से ज्यादा मरीजों में किसी रूप में इसकी कमी होती है। विटामिन डी का टेस्ट प्राइवेट लैब में 1200 रुपये से लेकर ढाई हजार रुपये में होता है।
लैब में बढ़ा रहे सुविधा
लैब इंचार्ज पैथोलॉजिस्ट डॉ. विनोद तंवर ने बताया कि विटामिन डी, थायराइड अन्य हार्मोंस संबंधी टेस्ट की जांच के लिए पूरा सेटअप होता है। अभी तक इन टेस्ट की जांच संबंधी व्यवस्था नहीं है। जल्द ही अस्पताल में व्यवस्था बनाई जाएगी।
जल्द बनाएंगे अस्पताल में जांच की व्यवस्था : डॉ. सुखबीर
सिविल सर्जन डॉ. सुखबीर सिंह ने कहा कि थायराइड, विटामिन डी संबंधित जांच की मशीनें काफी महंगी हैं। सरकार को प्रपोजल भेजा है। मशीनों के मिलने के बाद अस्पताल में मरीजों की सभी जांच होगी।
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मरीजों को चुकाने पड़ रहे महंगे दाम
प्राइवेट अस्पतालों की तर्ज पर अब सरकारी अस्पताल में भी चिकित्सक मरीजों के कई-कई टेस्ट एक साथ लिख देते हैं, जिनमें से कुछ एलएनजेपी की लैब में हो जाते हैं बाकी के लिए मरीजों को प्राइवेट लैब की दूरी मापनी पड़ती है जहां महंगे दाम चुका कर टेस्ट कराने पड़ते हैं।
70 फीसदी मरीज विटामिन डी की कमी से पीड़ित
चिकित्सकों के अनुसार विटामिन डी की कमी अब आम बात है। विटामिन डी की कमी हालांकि धूप से पूरी हो जाती है, लेकिन इसकी कमी से संबंधित कई तरह की दिक्कतें हैं। खासकर महिलाएं इससे ज्यादा पीड़ित हैं। क्योंकि दूध कम पीती है। हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. अनूप मेहता का कहना है कि एलएनजेपी की ऑर्थो ओपीडी में हर तीसरा मरीज इसकी कमी का शिकार है, 75 प्रतिशत से ज्यादा मरीजों में किसी रूप में इसकी कमी होती है। विटामिन डी का टेस्ट प्राइवेट लैब में 1200 रुपये से लेकर ढाई हजार रुपये में होता है।
लैब में बढ़ा रहे सुविधा
लैब इंचार्ज पैथोलॉजिस्ट डॉ. विनोद तंवर ने बताया कि विटामिन डी, थायराइड अन्य हार्मोंस संबंधी टेस्ट की जांच के लिए पूरा सेटअप होता है। अभी तक इन टेस्ट की जांच संबंधी व्यवस्था नहीं है। जल्द ही अस्पताल में व्यवस्था बनाई जाएगी।
जल्द बनाएंगे अस्पताल में जांच की व्यवस्था : डॉ. सुखबीर
सिविल सर्जन डॉ. सुखबीर सिंह ने कहा कि थायराइड, विटामिन डी संबंधित जांच की मशीनें काफी महंगी हैं। सरकार को प्रपोजल भेजा है। मशीनों के मिलने के बाद अस्पताल में मरीजों की सभी जांच होगी।