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Mahendragarh-Narnaul News: तरल यूरिया... प्रदूषण पर प्रहार, माइलेज में सुधार
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फोटो नंबर- 19रोडवेज वर्कशॉप में बना हुआ यूरिया पंप। संवाद
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नारनौल। दिल्ली एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण के बीच तरल यूरिया ईंधन बेहतर विकल्प साबित हो रहा है। यह केवल हानिकारक गैसों का उत्सर्जन ही कम नहीं कर रहा, इंजन को ठंडा भी रख रहा है। डीजल वाहनों में तरल यूरिया का प्रयोग माइलेज भी बढ़ाता है।
वायु प्रदूषण में डीजल व पेट्रोल से चलने वाले वाहन अहम कारक है। लिहाजा वायु प्रदूषण को कम करने के लिए नारनाैल डिपो की बीएस-6 श्रेणी की रोडवेज बसों में तरल यूरिया का इस्तेमाल किया जा रहा है। बस के 100 किमी तक चलने पर करीब एक लीटर तरल यूरिया की खपत होती है। नारनौल डिपो में संचालित बीएस-6 श्रेणी की बसों में प्रतिदिन करीब 350 से 400 लीटर तरल यूरिया की खपत होती है। वहीं मौजूदा वर्ष में जनवरी से अब तक करीब 1 लाख 36 हजार तरल यूरिया की खपत हो चुकी है। तरल यूरिया हानिकारक गैसों के प्रभाव को कम करने के साथ बस के इंजन को ठंडा रखने का कार्य भी करता है।
डीजल गाड़ियों में भी है तरल यूरिया की मांग
बीएस-6 श्रेणी की डीजल गाड़ियों में तरल यूरिया मांग बनी हुई है। यहां पेट्रोल पंप संचालक भी तरल यूरिया बेच रहे हैं। विभिन्न गुणवत्ता श्रेणी के तरल यूरिया बाजार में 100 से 300 रुपये प्रति लीटर के मूल्य पर उपलब्ध है। तरल यूरिया के उपयोग से गाड़ी की ईंधन दक्षता में भी सुधार होता है और प्रदूषण में भी कमी बनी रहती है।
बीएस-4 बसों को किया गया संचालन से बाहर :
दिल्ली एनसीआर क्षेत्र के अंतर्गत नारनौल डिपो से बीएस-4 श्रेणी की बसों को संचालन से बाहर कर दूसरे डिपो में भेजी गई है। सितंबर में बीएस-6 श्रेणी की 25 नई बस आने के बाद बीएस-4 श्रेणी की 16 बसों को अंबाला व कुरुक्षेत्र डिपो भेजा गया है। इस समय नारनौल डिपो से 144 रोडवेज बसों का संचालन किया जा रहा है। ये सभी बसें बीएस-6 श्रेणी की हैं।
1 लीटर डीजल की खपत से करीब 2.5 किग्रा हानिकारक गैसों का होता उत्सर्जन :
4 से 5 किमी तक सफर तय करने के लिए करीब एक लीटर डीजल की खपत होती है। 1 लीटर डीजल की खपत से करीब 2.5 किग्रा हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है। नारनौल डिपो में बसों के संचालन के लिए प्रतिदिन करीब 8500 लीटर डीजल की खपत होती है, जिससे करीब 21 हजार किग्रा हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है। जो वायु प्रदूषण को बढ़ाने में अहम कारक बना हुआ है।
तरल यूरिया कैसे करता है कार्य :
नारनौल डिपो में संचालित सभी बसों में डीजल डाला जाता है। डीजल की खपत से निकलने वाले धुएं में नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन माेनाे ऑक्साइड व कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैसें होती हैं जो पर्यावरण के लिए नुकसानदायक तो है ही साथ ही लोगों की सेहत पर भी बुरा प्रभाव डालती है। हानिकारक गैसों के प्रभाव को कम करने के लिए बीएस-6 श्रेणी की बसों में तरल यूरिया डाला जाता है। तरल यूरिया गर्म होकर अमोनिया में तब्दील हो जाता है और नाइट्रोजन ऑक्साइड को रासायनिक प्रक्रिया से नाइट्रोजन और पानी में बदल देता है। इससे हानिकारक गैसों का प्रभाव कम होता है और वायु प्रदूषण में भी कमी आती है।
वर्जन:
एक लीटर डीजल में करीब 600 से 700 ग्राम कार्बन की मात्रा होती है। एक लीटर डीजल ईंधन जलने से करीब 2.5 किग्रा कार्बन माेनाे ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड सहित अनेक हानिकारक गैस निकलती है।
अनुज नरवाल, एसडीओ प्रदूषण विभाग।
वर्जन :
तरल यूरिया का प्रयोग बीएस-6 श्रेणी की बसों में किया जाता है और यह हानिकारक गैसों के प्रभाव को कम करने में सहायक है। रोडवेज वर्कशॉप में नियमित रूप से बसों की मरम्मत का कार्य और तरल यूरिया की जांच की जाती है। यहां तरल यूरिया पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
देवदत्त, महाप्रबंधक, नारनौल डिपो।
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तरल यूरिया का प्रयोग केवल बीएस-6 श्रेणी की गाड़ियों में ही होता है और इसका उपयोग पूरी तरह से सुरक्षित है। डीजल गाड़ियों से निकलने वाले हानिकारक गैसों के प्रभाव को कम करने में तरल यूरिया अहम भूमिका निभाता है।
बंटी कुमार, इंजन मैकेनिक, नारनौल।
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डीजल गाड़ियों में तरल यूरिया की मांग बढ़ी है। मांग के अनुसार विभिन्न गुणवत्ता श्रेणी के तरल यूरिया बिक्री के लिए रख जा रहे हैं। हालांकि अनेक लोगों में अभी तरल यूरिया को लेकर जागरूकता की कमी है, जिस कारण लोग इसका प्रयोग करने से डरते हैं।
सचिन, मैनेजर, पेट्रोल पंप, नारनौल।
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वायु प्रदूषण में डीजल व पेट्रोल से चलने वाले वाहन अहम कारक है। लिहाजा वायु प्रदूषण को कम करने के लिए नारनाैल डिपो की बीएस-6 श्रेणी की रोडवेज बसों में तरल यूरिया का इस्तेमाल किया जा रहा है। बस के 100 किमी तक चलने पर करीब एक लीटर तरल यूरिया की खपत होती है। नारनौल डिपो में संचालित बीएस-6 श्रेणी की बसों में प्रतिदिन करीब 350 से 400 लीटर तरल यूरिया की खपत होती है। वहीं मौजूदा वर्ष में जनवरी से अब तक करीब 1 लाख 36 हजार तरल यूरिया की खपत हो चुकी है। तरल यूरिया हानिकारक गैसों के प्रभाव को कम करने के साथ बस के इंजन को ठंडा रखने का कार्य भी करता है।
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डीजल गाड़ियों में भी है तरल यूरिया की मांग
बीएस-6 श्रेणी की डीजल गाड़ियों में तरल यूरिया मांग बनी हुई है। यहां पेट्रोल पंप संचालक भी तरल यूरिया बेच रहे हैं। विभिन्न गुणवत्ता श्रेणी के तरल यूरिया बाजार में 100 से 300 रुपये प्रति लीटर के मूल्य पर उपलब्ध है। तरल यूरिया के उपयोग से गाड़ी की ईंधन दक्षता में भी सुधार होता है और प्रदूषण में भी कमी बनी रहती है।
बीएस-4 बसों को किया गया संचालन से बाहर :
दिल्ली एनसीआर क्षेत्र के अंतर्गत नारनौल डिपो से बीएस-4 श्रेणी की बसों को संचालन से बाहर कर दूसरे डिपो में भेजी गई है। सितंबर में बीएस-6 श्रेणी की 25 नई बस आने के बाद बीएस-4 श्रेणी की 16 बसों को अंबाला व कुरुक्षेत्र डिपो भेजा गया है। इस समय नारनौल डिपो से 144 रोडवेज बसों का संचालन किया जा रहा है। ये सभी बसें बीएस-6 श्रेणी की हैं।
1 लीटर डीजल की खपत से करीब 2.5 किग्रा हानिकारक गैसों का होता उत्सर्जन :
4 से 5 किमी तक सफर तय करने के लिए करीब एक लीटर डीजल की खपत होती है। 1 लीटर डीजल की खपत से करीब 2.5 किग्रा हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है। नारनौल डिपो में बसों के संचालन के लिए प्रतिदिन करीब 8500 लीटर डीजल की खपत होती है, जिससे करीब 21 हजार किग्रा हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है। जो वायु प्रदूषण को बढ़ाने में अहम कारक बना हुआ है।
तरल यूरिया कैसे करता है कार्य :
नारनौल डिपो में संचालित सभी बसों में डीजल डाला जाता है। डीजल की खपत से निकलने वाले धुएं में नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन माेनाे ऑक्साइड व कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैसें होती हैं जो पर्यावरण के लिए नुकसानदायक तो है ही साथ ही लोगों की सेहत पर भी बुरा प्रभाव डालती है। हानिकारक गैसों के प्रभाव को कम करने के लिए बीएस-6 श्रेणी की बसों में तरल यूरिया डाला जाता है। तरल यूरिया गर्म होकर अमोनिया में तब्दील हो जाता है और नाइट्रोजन ऑक्साइड को रासायनिक प्रक्रिया से नाइट्रोजन और पानी में बदल देता है। इससे हानिकारक गैसों का प्रभाव कम होता है और वायु प्रदूषण में भी कमी आती है।
वर्जन:
एक लीटर डीजल में करीब 600 से 700 ग्राम कार्बन की मात्रा होती है। एक लीटर डीजल ईंधन जलने से करीब 2.5 किग्रा कार्बन माेनाे ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड सहित अनेक हानिकारक गैस निकलती है।
अनुज नरवाल, एसडीओ प्रदूषण विभाग।
वर्जन :
तरल यूरिया का प्रयोग बीएस-6 श्रेणी की बसों में किया जाता है और यह हानिकारक गैसों के प्रभाव को कम करने में सहायक है। रोडवेज वर्कशॉप में नियमित रूप से बसों की मरम्मत का कार्य और तरल यूरिया की जांच की जाती है। यहां तरल यूरिया पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
देवदत्त, महाप्रबंधक, नारनौल डिपो।
तरल यूरिया का प्रयोग केवल बीएस-6 श्रेणी की गाड़ियों में ही होता है और इसका उपयोग पूरी तरह से सुरक्षित है। डीजल गाड़ियों से निकलने वाले हानिकारक गैसों के प्रभाव को कम करने में तरल यूरिया अहम भूमिका निभाता है।
बंटी कुमार, इंजन मैकेनिक, नारनौल।
डीजल गाड़ियों में तरल यूरिया की मांग बढ़ी है। मांग के अनुसार विभिन्न गुणवत्ता श्रेणी के तरल यूरिया बिक्री के लिए रख जा रहे हैं। हालांकि अनेक लोगों में अभी तरल यूरिया को लेकर जागरूकता की कमी है, जिस कारण लोग इसका प्रयोग करने से डरते हैं।
सचिन, मैनेजर, पेट्रोल पंप, नारनौल।