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Rohtak News: एमडीयू कुलपति पर प्रताड़ित करने और पद के दुरुपयोग का आरोप
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संवाद न्यूज एजेंसी
रोहतक। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) की एक प्रोफेसर ने कुलपति राजबीर सिंह पर पिछले 10 महीनों से मानसिक उत्पीड़न, धमकी देने व पद का दुरुपयोग कर एक करीबी एसोसिएट प्रोफेसर को बचाने के गंभीर आरोप लगाए हैं। इस मामले में राज्यपाल, मुख्यमंत्री व यूजीसी से हस्तक्षेप कर उच्चस्तरीय बाहरी जांच समिति गठित करने की मांग की गई है।
यह पत्र सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। इस बारे में कुलपति से उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया मगर संपर्क नहीं हो सका। मैसेज के जरिए भी उनका पक्ष मांगा गया। देर रात तक उनका जवाब नहीं आया था। संवाद न्यूज एजेंसी वीडियो की पुष्टि नहीं करती है।
महिला प्रोफेसर ने कुलपति के विरुद्ध एक शिकायत दी है। इसमें मानसिक प्रताड़ना, आपराधिक धमकी व पीओएसएच एक्ट 2013 के उल्लंघन के आरोप लगाए गए हैं। यह मामला एसोसिएट प्रोफेसर के खिलाफ रिसर्च स्कॉलर्स की ओर से दी गई शिकायतों से जुड़ा है।
प्रोफेसर का आरोप है कि एसोसिएट प्रोफेसर शोधार्थियों का मानसिक शोषण करती है। उनसे निजी घरेलू काम कराती हैं। आरोप है कि जब उन्होंने नियमानुसार इन शिकायतों पर कार्रवाई कराने की कोशिश की तो कुलपति ने एसोसिएट प्रोफेसर को बचाने के लिए उन पर दबाव बनाना शुरू कर दिया।
कुलपति ने 16 जून 2025 को उन्हें अपने कार्यालय में बुलाकर निलंबित करने व एचओडी पद से हटाने की धमकी दी थी। कुलपति अपने कार्यालय और अन्य प्रशासनिक शाखाएं पीएचडी अध्यादेशों को ताक पर रखकर एसोसिएट प्रोफेसर को अनुचित लाभ पहुंचा रहे हैं। कुलपति के प्रभाव में आकर जांच समितियां निष्पक्ष काम नहीं कर रही हैं। शिकायत करने वाली छात्राओं का भविष्य खतरे में डाला जा रहा है।
इस निरंतर उत्पीड़न के कारण उनका स्वास्थ्य बिगड़ रहा है। यदि उन्हें या उनके परिवार को कुछ भी होता है, तो इसके लिए कुलपति व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे। प्रोफेसर ने शिकायत में सरकार के बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ मिशन का हवाला देते हुए कहा कि एक महिला विभागाध्यक्ष और महिला शोधार्थियों के साथ विश्वविद्यालय प्रशासन का यह व्यवहार राष्ट्रीय मिशन की भावना के विपरीत है।
प्रोफेसर ने मांग की है कि एक फरवरी 2024 से अब तक के सभी आधिकारिक रिकॉर्ड और ई-मेल को सुरक्षित किया जाए। केवल बाहरी सदस्यों वाली एक स्वतंत्र जांच समिति बनाई जाए। दोषियों के खिलाफ प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की जाए।
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रोहतक। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) की एक प्रोफेसर ने कुलपति राजबीर सिंह पर पिछले 10 महीनों से मानसिक उत्पीड़न, धमकी देने व पद का दुरुपयोग कर एक करीबी एसोसिएट प्रोफेसर को बचाने के गंभीर आरोप लगाए हैं। इस मामले में राज्यपाल, मुख्यमंत्री व यूजीसी से हस्तक्षेप कर उच्चस्तरीय बाहरी जांच समिति गठित करने की मांग की गई है।
यह पत्र सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। इस बारे में कुलपति से उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया मगर संपर्क नहीं हो सका। मैसेज के जरिए भी उनका पक्ष मांगा गया। देर रात तक उनका जवाब नहीं आया था। संवाद न्यूज एजेंसी वीडियो की पुष्टि नहीं करती है।
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महिला प्रोफेसर ने कुलपति के विरुद्ध एक शिकायत दी है। इसमें मानसिक प्रताड़ना, आपराधिक धमकी व पीओएसएच एक्ट 2013 के उल्लंघन के आरोप लगाए गए हैं। यह मामला एसोसिएट प्रोफेसर के खिलाफ रिसर्च स्कॉलर्स की ओर से दी गई शिकायतों से जुड़ा है।
प्रोफेसर का आरोप है कि एसोसिएट प्रोफेसर शोधार्थियों का मानसिक शोषण करती है। उनसे निजी घरेलू काम कराती हैं। आरोप है कि जब उन्होंने नियमानुसार इन शिकायतों पर कार्रवाई कराने की कोशिश की तो कुलपति ने एसोसिएट प्रोफेसर को बचाने के लिए उन पर दबाव बनाना शुरू कर दिया।
कुलपति ने 16 जून 2025 को उन्हें अपने कार्यालय में बुलाकर निलंबित करने व एचओडी पद से हटाने की धमकी दी थी। कुलपति अपने कार्यालय और अन्य प्रशासनिक शाखाएं पीएचडी अध्यादेशों को ताक पर रखकर एसोसिएट प्रोफेसर को अनुचित लाभ पहुंचा रहे हैं। कुलपति के प्रभाव में आकर जांच समितियां निष्पक्ष काम नहीं कर रही हैं। शिकायत करने वाली छात्राओं का भविष्य खतरे में डाला जा रहा है।
इस निरंतर उत्पीड़न के कारण उनका स्वास्थ्य बिगड़ रहा है। यदि उन्हें या उनके परिवार को कुछ भी होता है, तो इसके लिए कुलपति व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे। प्रोफेसर ने शिकायत में सरकार के बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ मिशन का हवाला देते हुए कहा कि एक महिला विभागाध्यक्ष और महिला शोधार्थियों के साथ विश्वविद्यालय प्रशासन का यह व्यवहार राष्ट्रीय मिशन की भावना के विपरीत है।
प्रोफेसर ने मांग की है कि एक फरवरी 2024 से अब तक के सभी आधिकारिक रिकॉर्ड और ई-मेल को सुरक्षित किया जाए। केवल बाहरी सदस्यों वाली एक स्वतंत्र जांच समिति बनाई जाए। दोषियों के खिलाफ प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की जाए।