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जिलास्तरीय बागवानी मेला : किसानों के लिए समृद्धि के खुले रास्ते, प्रगतिशील किसानों को आधुनिक तकनीक के बारे में बताया

Amar Ujala Bureau अमर उजाला ब्यूरो
Updated Wed, 03 Dec 2025 01:29 AM IST
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District-level Horticulture Fair: Open paths to prosperity for farmers, modern technology explained to progressive farmers
जिलास्तरीय बागवानी मेले में मौजूद किसान। 
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सिरसा। जिला बागवानी विभाग द्वारा तीन साल बाद कार्यालय परिसर में मंगलवार को बागवानी मेला आयोजित किया। किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों से अवगत कराने का महत्वपूर्ण अवसर प्रदान किया। इस मेले का उद्घाटन मंगलवार को जिला बागवानी अधिकारी, डॉ. दीन मोहम्मद की अगुवाई में किया गया। मेले में मांगेआना इंडो-इजरायल सेंटर के डिप्टी डायरेक्टर, डॉ. सतबीर सिंह, जिला मत्स्य अधिकारी, जगदीश चंद्र सहित अन्य विभागों के विशेषज्ञों ने भाग लिया।
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इस आयोजन में 10 से अधिक स्टॉल लगाए गए, जहां किसानों को विशेष रूप से आंखों की जांच, आधुनिक बागवानी तकनीक, ड्रिप प्रणाली, और कृषि विभाग की योजनाओं के बारे में जानकारी दी गई। विशेषज्ञों ने किसानों के सवालों के उत्तर दिए और उन्हें बताया कि वे किस प्रकार विभिन्न विभागों की योजनाओं का संयोजन कर अपने व्यवसाय को और लाभकारी बना सकते हैं। उदाहरण के तौर पर बागवानी के लिए बनाए गए वाटर टैंक में मत्स्य पालन भी किया जा सकता है।
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प्रगतिशील किसानों ने सांझा किए अनुभव
खीरे से शुरुआत, अब रंगीन शिमला मिर्च पर ध्यान
गांव शेखुखेडा के मनप्रीत ने बताया कि उन्होंने हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की थी, लेकिन खेती में कदम रखने में उनके पिता ने विरोध किया था। उन्होंने एक छोटे से पैमाने पर खीरे की खेती शुरू की और फिर शिमला मिर्च की खेती पर फोकस किया। उन्होंने बताया कि पहले हरी शिमला मिर्च को बेचकर लाभ होता था, लेकिन अब वे रंगीन शिमला मिर्च भी उगाते हैं, जिससे मुनाफा बढ़ा है। मनप्रीत के अनुसार, उनके पिता आज उन्हें खेती के व्यवसाय में सफलता पर गर्व करते हैं।
किन्नू और मालटा की सफलता की कहानी
गांव खारीसुरैरा के मनोज कुमार ने 15 साल पहले किन्नू की खेती शुरू की थी। राजस्थान से सटे इलाकों में पानी की कमी के कारण पारंपरिक खेती में लाभ नहीं हो रहा था, इसलिए उन्होंने ड्रिप प्रणाली अपनाई। अब वे किन्नू, मालटा और पपीता की बागवानी कर रहे हैं और किसानों को एफपीओ (फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन) के माध्यम से जोड़कर 180 किसानों को लाभ पहुंचा रहे हैं। मनोज कुमार ने बताया कि अब उनके उत्पाद कर्नाटक, दिल्ली, गुजरात और पश्चिम बंगाल तक सप्लाई होते हैं, और किसानों को इससे अच्छा मूल्य मिलता है।
ढाई एकड़ से शुरू, आज 10 एकड़ में किन्नू की खेती
गांव पन्नीवाला मोटा निवासी राजन गुड्डी ने बताया कि उन्होंने ढाई एकड़ से किन्नू की खेती शुरू की थी और आज वे 10 एकड़ में किन्नू की खेती कर रहे हैं। पारंपरिक फसलों के मुकाबले बागवानी से उन्हें काफी लाभ हो रहा है। राजन के अनुसार, मार्केटिंग में कोई परेशानी नहीं आती और उनकी बागवानी का व्यापार घर बैठे ही ठेके पर निकल जाता है।
विशेषज्ञों का मार्गदर्शन
जिला उद्यान अधिकारी डॉ. दीन मोहम्मद ने बताया कि इस मेले का आयोजन सेमिनार-कम-मेला के रूप में किया गया था, जिसमें विभिन्न विभागों ने स्टॉल लगाए थे। यहां किसान ड्रिप सिस्टम, एफपीओ, और माइक्रो मैनेजमेंट जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर रहे थे। डॉ. दीन मोहम्मद ने कहा कि बागवानी एक बड़ा रोजगार स्रोत बन सकती है, और युवा किसानों को बागवानी अपनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने यह भी कहा कि मशरूम यूनिट लगाकर किसान महीने में एक लाख रुपये तक कमा सकते हैं और 7-8 लोगों को रोजगार दे सकते हैं।
इंडो-इजरायल प्रोजेक्ट से जुड़ी जानकारी
मांगेआना इंडो-इजरायल प्रोजेक्ट के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. सतबीर शर्मा ने बताया कि मेले में किसानों को कम पानी में उन्नत बागवानी तकनीक सिखाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सिरसा क्षेत्र की मिट्टी और मौसम के हिसाब से किन्नू और ब्लड रेड वैरायटी सफल होती है। जहां नहरी पानी उपलब्ध है, वहां ड्रिप प्रणाली के माध्यम से इन फसलों को आसानी से उगाया जा सकता है, और जहां पानी कम हो या हल्का खारा हो, वहां बेर और आंवला की खेती की जा सकती है।
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