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Yamuna Nagar News: कपालमोचन मेले में आखिरी दिन उमड़ा हुजूम
संवाद न्यूज एजेंसी, यमुना नगर
Updated Thu, 06 Nov 2025 01:19 AM IST
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कार्तिक पूर्णिमा की रात रंग बिरंगी रोशनी में डूबा कपालमोचन मेला। संवाद
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संवाद न्यूज एजेंसी
यमुनानगर। पांच दिवसीय अंतरराज्यीय कपालमोचन मेले में मंगलवार रात 12 बजे कार्तिक पूर्णिमा का स्नान करने के बाद पंजाब एवं अन्य जगहों से आए श्रद्धालु लौटना शुरू हो गए। मेले में बुधवार को यमुनानगर के विभिन्न गांवों के अलावा आसपास के जिलों से लाखों लोगों की भीड़ उमड़ी। बुधवार को करीब डेढ़ लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे। मेले में आठ लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने अपनी हाजिरी लगाई। इसी के साथ आधिकारिक तौर पर मेले का देर रात समापन हो गया।
ऋणमोचन, कपालमाेचन व सूरजकुंड सरोवरों में स्नान करने के लिए बुधवार को भी पंजाब से सैकड़ों वाहनों में सवार होकर श्रद्धालु मेला में आए। उन्होंने पहले तीनों सरोवरों में स्नान किया और फिर दुकानों से खरीदारी की। दिनभर मेला देखने के बाद शाम को पंजाब से आए श्रद्धालु वापस लौट गए। पांच दिवसीय मेले का आखिरी दिन स्थानीय लोगों के नाम ही रहता है। आखिरी दिन में आसपास के गांवों व जिलों के लोग अपने पूरे परिवार के साथ मेला देखने आते हैं। इनमें से कम श्रद्धालु ही स्नान करने वाले होते हैं। बाकी केवल मेला देखने व झूलों का आनंद लेने के लिए ही पहुंचते हैं।
रात एक बजे शुरू हुई रोडवेज बस सेवा
बाहर से आए श्रद्धालु तीर्थराज कपालमोचन से एक वादा यह भी करके गए कि अगले साल फिर आएंगे और श्रद्धा की डुबकी लगाएंगे। चार दिनों में करीब साढ़े छह लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने कपालमोचन, ऋण मोचन व सूरजकुंड सरोवरों में स्नान किया। मंगलवार की रात जैसे ही श्रद्धालुओं ने कार्तिक पूर्णिमा का स्नान किया तो रोडवेज ने अपनी सेवा रात में एक बजे ही शुरू कर दी थी। रोडवेज बसें बुधवार को दिनभर कपालमोचन में चक्कर लगाती रही। शायद ही ऐसी कोई बस होगी जिसमें भीड़ न हो।
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ऋणमोचन, कपालमाेचन व सूरजकुंड सरोवरों में स्नान करने के लिए बुधवार को भी पंजाब से सैकड़ों वाहनों में सवार होकर श्रद्धालु मेला में आए। उन्होंने पहले तीनों सरोवरों में स्नान किया और फिर दुकानों से खरीदारी की। दिनभर मेला देखने के बाद शाम को पंजाब से आए श्रद्धालु वापस लौट गए। पांच दिवसीय मेले का आखिरी दिन स्थानीय लोगों के नाम ही रहता है। आखिरी दिन में आसपास के गांवों व जिलों के लोग अपने पूरे परिवार के साथ मेला देखने आते हैं। इनमें से कम श्रद्धालु ही स्नान करने वाले होते हैं। बाकी केवल मेला देखने व झूलों का आनंद लेने के लिए ही पहुंचते हैं।
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रात एक बजे शुरू हुई रोडवेज बस सेवा
बाहर से आए श्रद्धालु तीर्थराज कपालमोचन से एक वादा यह भी करके गए कि अगले साल फिर आएंगे और श्रद्धा की डुबकी लगाएंगे। चार दिनों में करीब साढ़े छह लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने कपालमोचन, ऋण मोचन व सूरजकुंड सरोवरों में स्नान किया। मंगलवार की रात जैसे ही श्रद्धालुओं ने कार्तिक पूर्णिमा का स्नान किया तो रोडवेज ने अपनी सेवा रात में एक बजे ही शुरू कर दी थी। रोडवेज बसें बुधवार को दिनभर कपालमोचन में चक्कर लगाती रही। शायद ही ऐसी कोई बस होगी जिसमें भीड़ न हो।

कार्तिक पूर्णिमा की रात रंग बिरंगी रोशनी में डूबा कपालमोचन मेला। संवाद

कार्तिक पूर्णिमा की रात रंग बिरंगी रोशनी में डूबा कपालमोचन मेला। संवाद

कार्तिक पूर्णिमा की रात रंग बिरंगी रोशनी में डूबा कपालमोचन मेला। संवाद

कार्तिक पूर्णिमा की रात रंग बिरंगी रोशनी में डूबा कपालमोचन मेला। संवाद

कार्तिक पूर्णिमा की रात रंग बिरंगी रोशनी में डूबा कपालमोचन मेला। संवाद

कार्तिक पूर्णिमा की रात रंग बिरंगी रोशनी में डूबा कपालमोचन मेला। संवाद