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Yamuna Nagar News: स्टेट हाईवे पर एंबुलेंस नहीं, कैसे मिलेगी सहायता
संवाद न्यूज एजेंसी, यमुना नगर
Updated Wed, 03 Dec 2025 01:31 AM IST
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नेशनल हाईवे पर वाहन को ठीक करता मिस्त्री। संवाद
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संवाद न्यूज एजेंसी
यमुनानगर। सर्दी में पड़ने वाले कोहरे में सबसे ज्यादा हादसे होते हैं। जिले में दो नेशनल हाईवे व दो स्टेट हाइवे निकलते हैं। सहारनपुर-पंचकूला नेशनल हाईवे-344 पर ही इमरजेंसी के लिए एक एंबुलेंस व दो पेट्रोलिंग गाड़ी की व्यवस्था है। वहीं जगाधरी-पांवटा साहिब नेशनल हाईवे, जगाधरी-रायपुररानी और सहारनपुर-कुरुक्षेत्र स्टेट हाईवे पर न तो एंबुलेंस है और न ही पेट्रोलिंग के लिए कोई वाहन है। हादसा होने पर स्वास्थ्य विभाग की एंबुलेंस और इमरजेंसी में डायल 112 की गाड़ी ही पहुंचती है।
सहारनपुर-पंचकूला नेशनल हाईवे-344 की दूरी उत्तर प्रदेश बॉर्डर पर यमुना नदी के पुल से लेकर मुलाना करीब 45 किलोमीटर की दूरी है। इस बीच यदि हाईवे पर कोई हादसा हो जाए तो एनएचएआई की तरफ से तैनात की गई एंबुलेंस ही उनकी मदद के लिए पहुंचेगी। मात्र एक एंबुलेंस की व्यवस्था की गई है जो कि टोल प्लाजा मिल्क माजरा पर खड़ी होती है।
सड़क हादसे में घायल वाहन चालक एनएचएआई के टोल फ्री नंबर 1033 के बजाय 112 पर ही फोन करते हैं। ऐसे में हादसों में जितने भी घायल होते हैं उन सभी को अस्पताल स्वास्थ्य विभाग की एंबुलेंस से ही ले जाया जाता है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हर माह औसतन दो से तीन घायलों को ही एनएचएआई की एंबुलेंस से अस्पताल ले जाया गया।
हालांकि नवंबर माह में सर्वाधिक सात लोगों ने एनएच की एंबुलेंस का इस्तेमाल किया। इसके अलावा हाईवे पर पेट्रोलिंग करने के लिए दो बोलेरो गाड़ी की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा हाईवे से से खराब व दुर्घटनाग्रस्त वाहनों को हटाने के लिए दो क्रेन की भी व्यवस्था है।
जगाधरी-पांवटा साहिब नेशनल हाईवे, जगाधरी-रायपुररानी स्टेट हाईवे और सहारनपुर-कुरुक्षेत्र स्टेट हाईवे पर यदि किसी को आपात स्थिति में जरूरत पड़ जाए तो सड़क से गुजरने वाले वाहन चालक ही एक दूसरे की मदद के लिए हाथ बढ़ाते हैं। लोग डायल 112 पर ही फोन करते हैं और पुलिस मौके पर पहुंचती है। कई बार तो घायल को भी डायल 112 की गाड़ी में ही ले जाया जाता है। स्वास्थ्य विभाग की एंबुलेंस से घायलों को नजदीकी अस्पताल या ट्रामा सेंटर ले जाया जाता है।
एनएच व एसएच की हालत खराब
पांवटा साहिब नेशनल हाईवे की हालत किसी से छिपी नहीं है। हाईवे से सफेद पट्टी नदारत है। डिवाइडर पर लगी रेलिंग भी चोरी हो चुकी है या फिर टूटी हुई है। लोगों ने दर्जनभर अवैध कट बना रखे हैं। यहां तक की हाईवे पर ही खराब वाहनों को ठीक किया जा रहा है। सड़क पर यदि गड्ढा हो जाए तो उसे महीनों तक ठीक नहीं किया जाता। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हाईवे पर चूना भट्ठी के नजदीक टूटे हाईवे की मरम्मत इंटरलॉक टाइलों से की गई है। वह भी ठीक से नहीं है। इसके अलावा जगाधरी-व्यासपुर स्टेट हाईवे पर वाहन चालकों की मदद के लिए लगाए गए साइन बोर्ड भी टूटे पड़े हैं या फिर पेड़ों व झाड़ियों के पीछे छिपे हैं।
टोला प्लाजा मिल्क माजरा पर एक एंबुलेंस खड़ी गई है। जिस पर ड्राइवर, ईएमटी व सहायक 12-12 घंटे की ड्यूटी पर तैनात रहते हैं। वहीं दो पेट्रोलिंग वाहन व दो क्रेन की व्यवस्था भी की गई है। पेट्रोलिंग वाहन हाईवे पर गश्त करते रहते हैं। आपात स्थिति में वाहन चालक 1033 नंबर पर फोन करके मदद ले सकते हैं। - शेखर, मेंटेनेंस इंचार्ज, एनएचएआई।
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यमुनानगर। सर्दी में पड़ने वाले कोहरे में सबसे ज्यादा हादसे होते हैं। जिले में दो नेशनल हाईवे व दो स्टेट हाइवे निकलते हैं। सहारनपुर-पंचकूला नेशनल हाईवे-344 पर ही इमरजेंसी के लिए एक एंबुलेंस व दो पेट्रोलिंग गाड़ी की व्यवस्था है। वहीं जगाधरी-पांवटा साहिब नेशनल हाईवे, जगाधरी-रायपुररानी और सहारनपुर-कुरुक्षेत्र स्टेट हाईवे पर न तो एंबुलेंस है और न ही पेट्रोलिंग के लिए कोई वाहन है। हादसा होने पर स्वास्थ्य विभाग की एंबुलेंस और इमरजेंसी में डायल 112 की गाड़ी ही पहुंचती है।
सहारनपुर-पंचकूला नेशनल हाईवे-344 की दूरी उत्तर प्रदेश बॉर्डर पर यमुना नदी के पुल से लेकर मुलाना करीब 45 किलोमीटर की दूरी है। इस बीच यदि हाईवे पर कोई हादसा हो जाए तो एनएचएआई की तरफ से तैनात की गई एंबुलेंस ही उनकी मदद के लिए पहुंचेगी। मात्र एक एंबुलेंस की व्यवस्था की गई है जो कि टोल प्लाजा मिल्क माजरा पर खड़ी होती है।
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सड़क हादसे में घायल वाहन चालक एनएचएआई के टोल फ्री नंबर 1033 के बजाय 112 पर ही फोन करते हैं। ऐसे में हादसों में जितने भी घायल होते हैं उन सभी को अस्पताल स्वास्थ्य विभाग की एंबुलेंस से ही ले जाया जाता है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हर माह औसतन दो से तीन घायलों को ही एनएचएआई की एंबुलेंस से अस्पताल ले जाया गया।
हालांकि नवंबर माह में सर्वाधिक सात लोगों ने एनएच की एंबुलेंस का इस्तेमाल किया। इसके अलावा हाईवे पर पेट्रोलिंग करने के लिए दो बोलेरो गाड़ी की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा हाईवे से से खराब व दुर्घटनाग्रस्त वाहनों को हटाने के लिए दो क्रेन की भी व्यवस्था है।
जगाधरी-पांवटा साहिब नेशनल हाईवे, जगाधरी-रायपुररानी स्टेट हाईवे और सहारनपुर-कुरुक्षेत्र स्टेट हाईवे पर यदि किसी को आपात स्थिति में जरूरत पड़ जाए तो सड़क से गुजरने वाले वाहन चालक ही एक दूसरे की मदद के लिए हाथ बढ़ाते हैं। लोग डायल 112 पर ही फोन करते हैं और पुलिस मौके पर पहुंचती है। कई बार तो घायल को भी डायल 112 की गाड़ी में ही ले जाया जाता है। स्वास्थ्य विभाग की एंबुलेंस से घायलों को नजदीकी अस्पताल या ट्रामा सेंटर ले जाया जाता है।
एनएच व एसएच की हालत खराब
पांवटा साहिब नेशनल हाईवे की हालत किसी से छिपी नहीं है। हाईवे से सफेद पट्टी नदारत है। डिवाइडर पर लगी रेलिंग भी चोरी हो चुकी है या फिर टूटी हुई है। लोगों ने दर्जनभर अवैध कट बना रखे हैं। यहां तक की हाईवे पर ही खराब वाहनों को ठीक किया जा रहा है। सड़क पर यदि गड्ढा हो जाए तो उसे महीनों तक ठीक नहीं किया जाता। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हाईवे पर चूना भट्ठी के नजदीक टूटे हाईवे की मरम्मत इंटरलॉक टाइलों से की गई है। वह भी ठीक से नहीं है। इसके अलावा जगाधरी-व्यासपुर स्टेट हाईवे पर वाहन चालकों की मदद के लिए लगाए गए साइन बोर्ड भी टूटे पड़े हैं या फिर पेड़ों व झाड़ियों के पीछे छिपे हैं।
टोला प्लाजा मिल्क माजरा पर एक एंबुलेंस खड़ी गई है। जिस पर ड्राइवर, ईएमटी व सहायक 12-12 घंटे की ड्यूटी पर तैनात रहते हैं। वहीं दो पेट्रोलिंग वाहन व दो क्रेन की व्यवस्था भी की गई है। पेट्रोलिंग वाहन हाईवे पर गश्त करते रहते हैं। आपात स्थिति में वाहन चालक 1033 नंबर पर फोन करके मदद ले सकते हैं। - शेखर, मेंटेनेंस इंचार्ज, एनएचएआई।

नेशनल हाईवे पर वाहन को ठीक करता मिस्त्री। संवाद

नेशनल हाईवे पर वाहन को ठीक करता मिस्त्री। संवाद

नेशनल हाईवे पर वाहन को ठीक करता मिस्त्री। संवाद

नेशनल हाईवे पर वाहन को ठीक करता मिस्त्री। संवाद