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Bilaspur News: जिले में भाखड़ा बांध विस्थापितों की बदहाली बरकरार
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विस्थापन के 62 साल बाद भी नहीं मिला सही पुनर्वास
ग्रामीण भाखड़ा विस्थापित सुधार समिति ने मुख्यमंत्री को भेजा मांगपत्र
संवाद न्यूज एजेंसी
बिलासपुर। ग्रामीण भाखड़ा विस्थापित सुधार समिति ने अध्यक्ष देशराज शर्मा की अगुवाई में उपायुक्त बिलासपुर के माध्यम से मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू को ज्ञापन भेजकर भाखड़ा बांध विस्थापितों की दशकों पुरानी समस्याओं की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित किया। समिति ने कहा कि बांध बनने के बाद हजारों परिवार उजड़ गए थे, लेकिन आज तक उनका सही पुनर्वास नहीं हो पाया।
समिति ने ज्ञापन में उल्लेख किया कि बिलासपुर रियासत के भारत में विलय के बाद भाखड़ा बांध का निर्माण शुरू हुआ और वर्ष 1963 में परियोजना पूरी हुई थी। उद्घाटन देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने किया था। बांध से देश को ऊर्जा, सिंचाई और विकास की राह मिली, लेकिन इसकी कीमत हजारों परिवारों ने अपने घर-आंगन और जमीन गंवाकर चुकाई।
समिति के अनुसार अनेक प्रभावित परिवार आज भी मूल सुविधाओं से वंचित हैं। कई के पास न खेती योग्य भूमि है और न ही पक्के मकान। बरसात के दौरान झील का जलस्तर बढ़ने पर गांवों का संपर्क कट जाता है और खेत-खलिहान जलमग्न हो जाते हैं। उपजाऊ भूमि झील में समाने से कई परिवार बेरोजगार होकर रह गए। समिति ने आरोप लगाया कि बांध बनने के बाद न केंद्र और न ही प्रदेश सरकार ने विस्थापितों की सुध ली, जबकि पौंग बांध विस्थापितों को सुविधाएं प्रदान की जा चुकी हैं। मांग की कि भाखड़ा विस्थापित बहुल क्षेत्रों में मिनी बंदोबस्त कर कब्जे वाली भूमि का मालिकाना हक दिया जाए। काटे गए बिजली व पानी के कनेक्शन तुरंत बहाल किए जाएं। झील से सिंचाई और पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था की जाए। विस्थापितों व प्रभावितों के वारिसों को बीबीएमबी में नौकरी का प्रावधान किया जाए।
समिति ने मांग की कि प्रदेश को मिलने वाली 7.19 प्रतिशत रॉयल्टी का 25 प्रतिशत हिस्सा विस्थापितों के विकास पर खर्च किया जाए। जिन विस्थापितों को अब तक प्लॉट नहीं मिले हैं, उन्हें प्लॉट उपलब्ध करवाए जाएं। गोबिंद सागर झील पर ज्योरी पतन, बुखर–कोसरियां, बैरी-दड़ोलां और डेहण-नारल में पुलों का निर्माण किया जाए। जिन प्रभावितों को भूमि नहीं मिली है, उन्हें भूमि प्रदान की जाए। मछुआरों के लिए कल्याणकारी योजनाएं बनाई जाए और बिलासपुर को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाए। भाखड़ा विस्थापितों को पौंग विस्थापितों की तर्ज पर सभी सुविधाएं प्रदान की जाएं। ज्ञापन सौंपने के दौरान देवी राम चौहान, राधे श्याम, श्रीराम चौहान, रतन सिंह, बलदेव ठाकुर, कृष्ण लाल, कुंजु राम, चिरंजी लाल, राजकुमार, सुखदेव, जय राम, रामस्वरूप और रमेश कुमार सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
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संवाद न्यूज एजेंसी
बिलासपुर। ग्रामीण भाखड़ा विस्थापित सुधार समिति ने अध्यक्ष देशराज शर्मा की अगुवाई में उपायुक्त बिलासपुर के माध्यम से मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू को ज्ञापन भेजकर भाखड़ा बांध विस्थापितों की दशकों पुरानी समस्याओं की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित किया। समिति ने कहा कि बांध बनने के बाद हजारों परिवार उजड़ गए थे, लेकिन आज तक उनका सही पुनर्वास नहीं हो पाया।
समिति ने ज्ञापन में उल्लेख किया कि बिलासपुर रियासत के भारत में विलय के बाद भाखड़ा बांध का निर्माण शुरू हुआ और वर्ष 1963 में परियोजना पूरी हुई थी। उद्घाटन देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने किया था। बांध से देश को ऊर्जा, सिंचाई और विकास की राह मिली, लेकिन इसकी कीमत हजारों परिवारों ने अपने घर-आंगन और जमीन गंवाकर चुकाई।
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समिति के अनुसार अनेक प्रभावित परिवार आज भी मूल सुविधाओं से वंचित हैं। कई के पास न खेती योग्य भूमि है और न ही पक्के मकान। बरसात के दौरान झील का जलस्तर बढ़ने पर गांवों का संपर्क कट जाता है और खेत-खलिहान जलमग्न हो जाते हैं। उपजाऊ भूमि झील में समाने से कई परिवार बेरोजगार होकर रह गए। समिति ने आरोप लगाया कि बांध बनने के बाद न केंद्र और न ही प्रदेश सरकार ने विस्थापितों की सुध ली, जबकि पौंग बांध विस्थापितों को सुविधाएं प्रदान की जा चुकी हैं। मांग की कि भाखड़ा विस्थापित बहुल क्षेत्रों में मिनी बंदोबस्त कर कब्जे वाली भूमि का मालिकाना हक दिया जाए। काटे गए बिजली व पानी के कनेक्शन तुरंत बहाल किए जाएं। झील से सिंचाई और पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था की जाए। विस्थापितों व प्रभावितों के वारिसों को बीबीएमबी में नौकरी का प्रावधान किया जाए।
समिति ने मांग की कि प्रदेश को मिलने वाली 7.19 प्रतिशत रॉयल्टी का 25 प्रतिशत हिस्सा विस्थापितों के विकास पर खर्च किया जाए। जिन विस्थापितों को अब तक प्लॉट नहीं मिले हैं, उन्हें प्लॉट उपलब्ध करवाए जाएं। गोबिंद सागर झील पर ज्योरी पतन, बुखर–कोसरियां, बैरी-दड़ोलां और डेहण-नारल में पुलों का निर्माण किया जाए। जिन प्रभावितों को भूमि नहीं मिली है, उन्हें भूमि प्रदान की जाए। मछुआरों के लिए कल्याणकारी योजनाएं बनाई जाए और बिलासपुर को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाए। भाखड़ा विस्थापितों को पौंग विस्थापितों की तर्ज पर सभी सुविधाएं प्रदान की जाएं। ज्ञापन सौंपने के दौरान देवी राम चौहान, राधे श्याम, श्रीराम चौहान, रतन सिंह, बलदेव ठाकुर, कृष्ण लाल, कुंजु राम, चिरंजी लाल, राजकुमार, सुखदेव, जय राम, रामस्वरूप और रमेश कुमार सहित अन्य लोग मौजूद रहे।