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Chamba News: अनिता को हाथों के हुनर ने दिलाई पहचान
संवाद न्यूज एजेंसी, चम्बा
Updated Thu, 27 Nov 2025 10:58 PM IST
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अनिता
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चंबा। जिले के सरोल की अनिता ने अपनी मेहनत और हुनर से मुश्किल हालात को सफलता में बदल दिया। एक समय था जब उनके पास सीमित साधन थे, लेकिन अब उनके बनाए थाल पोस, सजावटी सामान, स्वेटर, जुराबें और बैग की मांग शिमला और दिल्ली तक पहुंच चुकी है।
अनिता ने पति के सहयोग से अचार बनाने का व्यवसाय शुरू किया था, जो धीरे-धीरे बढ़कर अन्य उत्पादों में तब्दील हो गया। अनिता ने घर पर अचार बनाना शुरू किया और उसके बाद कपड़े के गुलदस्ते बनाने की शुरुआत की। इसके बाद चमड़े के हैंड बैग बनाने में भी उन्होंने कदम रखा और धीरे-धीरे उनका व्यवसाय फैलता गया। उनका कहना है कि कठिनाइयों से घबराकर उन्होंने कभी हार नहीं मानी। अब वह बाहरी जिलों में स्टॉल लगाकर अपने उत्पाद बेचती हैं और महिलाओं को रोजगार के अवसर भी प्रदान कर रही हैं।
अनिता 10 वर्षों से एक स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हुई हैं। अब वह अन्य महिलाओं को भी काम सिखाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित कर रही हैं। उनका उद्देश्य न केवल अपने परिवार के लिए रोजगार उत्पन्न करना है, बल्कि समाज में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी योगदान देना है।
उनके उत्पाद अब दिल्ली, सुजानपुर और शिमला तक पहुंच चुके हैं और उनके साथ काम करने वाली अन्य महिलाएं भी अब अपना खुद का व्यवसाय चला रही हैं। अनिता के इस संघर्ष और सफलता ने यह साबित कर दिया है कि सही मार्गदर्शन और मेहनत से कोई भी महिला अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार सकती है और समाज में बदलाव ला सकती है।
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अनिता ने पति के सहयोग से अचार बनाने का व्यवसाय शुरू किया था, जो धीरे-धीरे बढ़कर अन्य उत्पादों में तब्दील हो गया। अनिता ने घर पर अचार बनाना शुरू किया और उसके बाद कपड़े के गुलदस्ते बनाने की शुरुआत की। इसके बाद चमड़े के हैंड बैग बनाने में भी उन्होंने कदम रखा और धीरे-धीरे उनका व्यवसाय फैलता गया। उनका कहना है कि कठिनाइयों से घबराकर उन्होंने कभी हार नहीं मानी। अब वह बाहरी जिलों में स्टॉल लगाकर अपने उत्पाद बेचती हैं और महिलाओं को रोजगार के अवसर भी प्रदान कर रही हैं।
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अनिता 10 वर्षों से एक स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हुई हैं। अब वह अन्य महिलाओं को भी काम सिखाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित कर रही हैं। उनका उद्देश्य न केवल अपने परिवार के लिए रोजगार उत्पन्न करना है, बल्कि समाज में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी योगदान देना है।
उनके उत्पाद अब दिल्ली, सुजानपुर और शिमला तक पहुंच चुके हैं और उनके साथ काम करने वाली अन्य महिलाएं भी अब अपना खुद का व्यवसाय चला रही हैं। अनिता के इस संघर्ष और सफलता ने यह साबित कर दिया है कि सही मार्गदर्शन और मेहनत से कोई भी महिला अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार सकती है और समाज में बदलाव ला सकती है।