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हिमाचल प्रदेश: नर्सरी, केजी के विद्यार्थियों को पढ़ाएंगे जेबीटी, शिक्षा विभाग ने प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा

अमर उजाला ब्यूरो, शिमला। Published by: अंकेश डोगरा Updated Tue, 18 Nov 2025 08:00 AM IST
सार

शिक्षा विभाग के नए प्रस्ताव के तहत जेबीटी प्रशिक्षकों को अर्ली चाइल्डहुड केयर एवं शिक्षा पर आधारित लघु अवधि का विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। पढ़ें पूरी खबर...

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Himachal JBT will teach nursery and KG students education department proposal
शिक्षा विभाग हिमाचल प्रदेश। - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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हिमाचल प्रदेश में नर्सरी और केजी कक्षाओं के लिए पर्याप्त संख्या में पात्र प्री-प्राइमरी प्रशिक्षक न मिल पाने के कारण विभाग अब जेबीटी (जूनियर बेसिक ट्रेनिंग) प्रशिक्षित शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण देकर इन कक्षाओं की जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी कर रहा है। विभाग की ओर से इस बाबत प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजा गया है। 6,297 पदों के लिए केवल 14 पात्र उम्मीदवार मिलने के बाद विभाग ने नया प्रस्ताव तैयार किया है।
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जिलावार 6,297 प्री-प्राइमरी प्रशिक्षक पदों को भरने की प्रक्रिया के दौरान स्थिति बेहद चौंकाने वाली रही। विभाग को पूरे राज्य में सिर्फ 14 पात्र अभ्यर्थी मिले। प्री प्राइमरी प्रशिक्षक के लिए मान्यता प्राप्त संस्थानों से आवश्यक योग्यता विशेष रूप से नर्सरी टीचर ट्रेनिंग या अर्ली चाइल्डहुड एजुकेशन के साथ अभ्यर्थियों की संख्या बेहद कम पाई गई। इस स्थिति में बड़े पैमाने पर पद खाली रह जाने से विभाग के सामने प्री-प्राइमरी स्तर पर कक्षाओं के संचालन की चुनौती खड़ी हो गई है। एनईपी-2020 में 3 से 8 वर्ष के बच्चों के लिए फाउंडेशनल स्टेज पर विशेष जोर देते हुए प्ले-बेस्ड शिक्षा को अनिवार्य बनाया गया है।
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राज्य सरकार के अनुसार प्री-प्राइमरी शिक्षा को मजबूत करना स्कूलों में लर्निंग आउटकम सुधारने की दिशा में महत्वपूर्ण है। शिक्षा विभाग के नए प्रस्ताव के तहत जेबीटी प्रशिक्षकों को अर्ली चाइल्डहुड केयर एवं शिक्षा पर आधारित लघु अवधि का विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण पूरा करने के बाद उन्हें नर्सरी और केजी कक्षाओं में बच्चों के साथ प्ले-बेस्ड और ऐक्टिव-लर्निंग मॉडल पर काम करने की जिम्मेदारी दी जा सकेगी। प्रशिक्षण का प्रारूप एससीईआरटी और डाइट तैयार करेंगे। जेबीटी पहले से ही प्राथमिक कक्षाओं में शिक्षण का अनुभव रखते हैं।

वर्तमान समय में नर्सरी-केजी का जिम्मा भी इन्हें ही अस्थायी तौर पर सौंपा गया है। उनकी ट्रेनिंग में बाल विकास, मनोविज्ञान और गतिविधि आधारित शिक्षण के तत्व पहले से शामिल हैं। ऐेसे में मौजूदा संसाधनों का बेहतर उपयोग कर प्री-प्राइमरी शिक्षा को बिना देरी के शुरू किया जा सकता है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार यह प्रस्ताव विभागीय स्तर पर मंजूरी के अंतिम चरण में है। राज्य सरकार की हरी झंडी मिलते ही प्रशिक्षण कार्यक्रम और कार्ययोजना की विस्तृत अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।
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