रिपोर्ट में खुलासा: तीन साल के भीतर हिमाचल के सरकारी स्कूलों में घट गए एक लाख विद्यार्थी, जानें विस्तार से
हिमाचल प्रदेश में बीते तीन साल के दौरान निजी संस्थानों में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। साल 2022-23 के मुकाबले 2024-25 के आंकड़ों में यह खुलासा हुआ है। पढ़ें पूरी खबर...
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हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में तीन साल के दौरान एक लाख विद्यार्थी घट गए हैं। साल 2022-23 के मुकाबले 2024-25 के आंकड़ों में यह खुलासा हुआ है। इस अवधि में 57,290 लड़कों और 46,368 लड़कियों ने सरकारी स्कूल छोड़कर निजी संस्थानों में दाखिले लिए हैं। साल 2022-23 में स्कूलों मेंं विद्यार्थियों का नामांकन 8,0900 था। तीन साल बाद यह 7,05342 रह गया है। बीते दिनों मुख्यमंत्री की ओर से राज्य सचिवालय में जारी की गई सांख्यिकी ईयर बुक 2024-25 के अनुसार शिक्षकों की संख्या चार साल में मात्र 699 ही कम हुई है।
प्रदेश में बीते तीन साल के दौरान निजी संस्थानों में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बेहतर अंग्रेजी माध्यम, आधुनिक शिक्षण पद्धति और अभिभावकों की बढ़ती अपेक्षाएं इसके पीछे प्रमुख कारण माने जा रहे हैं। शिमला, मंडी, कांगड़ा और सोलन जैसे शहरी जिलों में यह प्रवृत्ति अधिक स्पष्ट है, जबकि ग्रामीण इलाकों में भी धीरे-धीरे निजी स्कूलों की पकड़ मजबूत हो रही है। सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की कमी, शिक्षकों की अनुपस्थिति और प्रतिस्पर्धी माहौल का अभाव बच्चों और अभिभावकों को निजी स्कूलों की ओर धकेल रहा है।
ऐसे में प्रदेश सरकार को अब नई शिक्षा नीति के अनुरूप डिजिटल और कौशल आधारित शिक्षण सुधारों की दिशा में काम करने की आवश्यकता है। सांख्यिकी ईयर बुक में यह भी बताया गया है कि विद्यार्थियों की संख्या में सबसे बड़ी गिरावट ग्रामीण क्षेत्रों में दर्ज की गई है। छोटे स्कूलों में विद्यार्थी संख्या 20 से भी कम रह जाने के कारण कई जगहों पर स्कूलों के विलय या बंद होने की स्थिति बनी हुई है। दिलचस्प बात यह है कि विद्यार्थियों की संख्या में बड़ी गिरावट के बावजूद शिक्षकों की संख्या में केवल 699 की ही कमी आई है। वर्ष 2020-21 में जहां शिक्षकों की कुल संख्या 66,402 थी, वहीं 2024-25 तक यह घटकर 65,703 रह गई।
स्कूल शिक्षा निदेशक आशीष कोहली ने कहा कि स्कूलों में नामांकन बढ़ाने के लिए सरकार प्रयासरत है। 100 स्कूलों में नये शैक्षणिक सत्र से सीबीएसई पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। इससे नामांकन बढ़ेगा। राजीव गांधी डे बोर्डिंग स्कूल बनाए जा रहे हैं। इन स्कूलों में सभी आधुनिक सुविधाएं दी जाएंगी। अंग्रेजी पाठ्यक्रम सभी स्कूूलों में पढ़ाना अनिवार्य कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि इन सभी प्रयासों के सुखद परिणाम जल्द देखने को मिलेंगे।