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HP High Court: बार एसोसिएशनों के लिए बनेगा एक अधिवक्ता एक वोट नियम, मसौदा नियम बनाने का निर्देश

संवाद न्यूज एजेंसी, शिमला। Published by: अंकेश डोगरा Updated Wed, 05 Nov 2025 02:00 AM IST
सार

मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने सभी बार एसोसिएशनों के लिए एक अधिवक्ता एक वोट पर नियम तैयार करने का निर्देश दिया है। पढ़ें पूरी खबर...

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HP High Court One advocate one vote rule will be made for bar associations
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट - फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
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विस्तार
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हिमाचल प्रदेश में सभी बार एसोसिएशनों के लिए एक अधिवक्ता एक वोट पर नियम बनेंगे। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने इस संबंध में नियम तैयार करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 8 दिसंबर को होगी। बार काउंसिल ने दायर जनहित याचिका के जवाब में बताया कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के समक्ष भी ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हुई थी। वहां कोर्ट ने प्रत्येक बार एसोसिएशन को अपने सदस्यों और नामांकन संख्या की सूची के साथ बार काउंसिल ऑफ पंजाब एंड हरियाणा के साथ पंजीकरण के लिए आवेदन करने का निर्देश दिया था। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि बार एसोसिएशन के सदस्य केवल एक ही स्थान पर मतदान करें। बजाय इसके कि वे कई स्थानों पर मतदान करें /या नियमित अभ्यास करने वाले सदस्यों को किसी एक बार एसोसिएशन में मतदान का अधिकार दिया जाए।

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अदालत का समय बर्बाद करने पर शराब ठेकेदार पर 2 लाख जुर्माना
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अदालत का समय बर्बाद करने के लिए एक शराब ठेकेदार पर 2 लाख रुपये जुर्माना लगाया है। याचिकाकर्ता को 30 नवंबर तक राशि मुख्य न्यायाधीश आपदा राहत कोष में जमा कराने को कहा है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा के खंडपीठ ने यह आदेश याचिकाकर्ता की ओर से बकाया लाइसेंस शुल्क चुकाने के लिए समय बढ़ाने की अर्जी पर पारित किया है।

याचिकाकर्ता स्वरूप सिंह राणा ने अदालत की ओर से मुख्य याचिका में 12 सितंबर 2025 को पारित एक आदेश के तहत 31 अक्तूबर 2025 तक अपना पूरा बकाया लाइसेंस शुल्क चुकाने की मोहलत मांगी थी। याचिकाकर्ता की ही सहमति पर यह आदेश दिया गया था कि वह 31 अक्तूबर तक अपनी पूरी देनदारी चुका दे और 2025-26 की आबकारी नीति के तहत न्यूनतम गारंटीकृत कोटा उठा ले। ऐसा न करने पर राज्य उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होगा। लेकिन याचिकाकर्ता निर्धारित तह सीमा तक जमा नहीं कर पाया। इसके बाद उसने अदालत में 31 दिसंबर तक समय बढ़ाने के लिए एक आवेदन दायर किया, जिसे अदालत में खारिज कर दिया।

 
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राज्य सरकार ने कर एवं आबकारी से मिले निर्देशों के आधार पर बताया कि 1 नवंबर 2025 तक याचिकाकर्ता पर 1,83,55,972 रुपये का बकाया है। 12 सितंबर के आदेश के बाद से 31 अक्तूबर तक याचिकाकर्ता ने केवल 38,84,14 रुपये ही जमा किए हैं। राज्य ने समय बढ़ाने का विरोध करते हुए कहा कि अगर मोहलत दी भी जाती है, तो वह लागत के अधीन होनी चाहिए। पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, बकाया जमा करने की समय सीमा 15 दिसंबर 2025 तक बढ़ा दी। हालांकि, इसके साथ यह शर्त भी जोड़ी गई कि यदि याचिकाकर्ता 15 दिसंबर तक राशि जमा करने में विफल रहता है, तो उसे अन्य कानूनी परिणामों के अलावा 25 लाख का हर्जाना भी देना होगा। याचिकाकर्ता के वकील ने न्यायालय को सूचित किया कि यदि समय का विस्तार 25 लाख के हर्जाने की शर्त के अधीन है, तो उन्हें अर्जी वापस लेने का निर्देश दिया जाए ।
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