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Kullu News: कृषि और बागवानी के लिए अच्छा नहीं रहा साल
संवाद न्यूज एजेंसी, कुल्लू
Updated Wed, 31 Dec 2025 05:31 AM IST
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वार्षिकी-2025--
पहले बेमौसमी बर्फबारी, ओलावृष्टि और अंधड़, बाद में आपदा ने दिया बागवानों को झटका
आपदा में बागवान समय पर मंडियों तक नहीं पहुंचा पाए सेब
65 लाख पेटियाें के लक्ष्य को भी नहीं छू पाया सेब उत्पादन
जिले में होता है 1,000 करोड़ रुपये का कारोबार
संवाद न्यूज एजेंसी
कुल्लू। जिले में करीब 75,000 हजार लोगों की आजीविका का मुख्य साधन बागवानी है। 1,000 करोड़ रुपये की बागवानी पर कभी मौसम की मार तो कभी आपदा से गहरी चोट लग रही है। 2025 का वर्ष कृषि और बागवानी के लिए अच्छा नहीं रहा है। पहले मार्च और अप्रैल माह में असमय बर्फबारी के कारण पड़ी ठंड से फ्लावरिंग पर असर पड़ा और बाद में ओलावृष्टि और अंधड़ ने बागवानों के सपनों पर पानी फेर दिया। कई क्षेत्रों में ओलों और अंधड़ से 50 फीसदी तक सेब की फसल तबाह हो गई थी, इसके बाद आपदा से नुकसान हुआ।
जिले में इस बार बरसात ने 25 जून को ही दस्तक दे दी है। इसके बाद जिले में बरसात का कहर सितंबर तक जारी रहा। बरसात ने ऐसा कहर बरवाया कि चंडीगढ़-कुल्लू-मनाली, हाईवे-305, कुल्लू-मनाली वामतट, लारजी-सैंज,औट-बंजाार-सैंज हाईवे-305, बंजार-गुशैणी-बठाहड़, कुल्लू-लगवैली, भुंतर से मणिकर्ण की मुख्य सड़कों के साथ जिला में करीब 500 से अधिक सड़कें तहस नहस हो गई थी।
इस कारण बागवानों का सेब बगीचों में ही फंस गया और बागवान बैकफुट पर आ गए। आपदा से तबाह सड़कों को बहाल करना लोक निर्माण विभाग, एनएचएआई और एनएच के लिए आसान काम नहीं था। आपदा के छह माह बाद भी सड़कों की हालत पूर्ण रूप से बहाल नहीं हो सकी है।
बागवान शेर सिंह,मान सिंह, नरोतम सिंह, बालक राम, किशोरी लाल, पिंकू राम,दया राम, किशन लाल, सुनील कुमार ने कहा कि आपदा से उन्हें अपने सेब को मंडियों तक पहुंचाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। कई जगह उन्हें सेब की क्रेट व पेटियों को पीठ पर उठाना पड़ा। आधी कमाई सेब के ढलान पर खर्च करनी पड़ी। वहीं मंडियों में भी सेब का दाम नहीं मिल पाए।
बागवानी विभाग ने अनुसार इस बार जिले में 65 लाख पेटियों के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन लगभग 60 लाख पेटियां ही निकली हैं। बता दें कि जिले में करीब एक करोड़ सेब पेटियों के उत्पादन की क्षमता है। मगर पिछले एक दशक से लगातार सेब के उत्पादन में गिरावट दर्ज की जा रही है -राज कुमार, बागवानी विभाग के उपनिदेशक
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आपदा में बागवान समय पर मंडियों तक नहीं पहुंचा पाए सेब
65 लाख पेटियाें के लक्ष्य को भी नहीं छू पाया सेब उत्पादन
जिले में होता है 1,000 करोड़ रुपये का कारोबार
संवाद न्यूज एजेंसी
कुल्लू। जिले में करीब 75,000 हजार लोगों की आजीविका का मुख्य साधन बागवानी है। 1,000 करोड़ रुपये की बागवानी पर कभी मौसम की मार तो कभी आपदा से गहरी चोट लग रही है। 2025 का वर्ष कृषि और बागवानी के लिए अच्छा नहीं रहा है। पहले मार्च और अप्रैल माह में असमय बर्फबारी के कारण पड़ी ठंड से फ्लावरिंग पर असर पड़ा और बाद में ओलावृष्टि और अंधड़ ने बागवानों के सपनों पर पानी फेर दिया। कई क्षेत्रों में ओलों और अंधड़ से 50 फीसदी तक सेब की फसल तबाह हो गई थी, इसके बाद आपदा से नुकसान हुआ।
जिले में इस बार बरसात ने 25 जून को ही दस्तक दे दी है। इसके बाद जिले में बरसात का कहर सितंबर तक जारी रहा। बरसात ने ऐसा कहर बरवाया कि चंडीगढ़-कुल्लू-मनाली, हाईवे-305, कुल्लू-मनाली वामतट, लारजी-सैंज,औट-बंजाार-सैंज हाईवे-305, बंजार-गुशैणी-बठाहड़, कुल्लू-लगवैली, भुंतर से मणिकर्ण की मुख्य सड़कों के साथ जिला में करीब 500 से अधिक सड़कें तहस नहस हो गई थी।
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इस कारण बागवानों का सेब बगीचों में ही फंस गया और बागवान बैकफुट पर आ गए। आपदा से तबाह सड़कों को बहाल करना लोक निर्माण विभाग, एनएचएआई और एनएच के लिए आसान काम नहीं था। आपदा के छह माह बाद भी सड़कों की हालत पूर्ण रूप से बहाल नहीं हो सकी है।
बागवान शेर सिंह,मान सिंह, नरोतम सिंह, बालक राम, किशोरी लाल, पिंकू राम,दया राम, किशन लाल, सुनील कुमार ने कहा कि आपदा से उन्हें अपने सेब को मंडियों तक पहुंचाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। कई जगह उन्हें सेब की क्रेट व पेटियों को पीठ पर उठाना पड़ा। आधी कमाई सेब के ढलान पर खर्च करनी पड़ी। वहीं मंडियों में भी सेब का दाम नहीं मिल पाए।
बागवानी विभाग ने अनुसार इस बार जिले में 65 लाख पेटियों के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन लगभग 60 लाख पेटियां ही निकली हैं। बता दें कि जिले में करीब एक करोड़ सेब पेटियों के उत्पादन की क्षमता है। मगर पिछले एक दशक से लगातार सेब के उत्पादन में गिरावट दर्ज की जा रही है -राज कुमार, बागवानी विभाग के उपनिदेशक