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ताक रहे बागवान: कहां रूठे मेघ, सूखे पड़ गए बगीचे
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सूखे से बागवानी पर संकट, बगीचा प्रबंधन का काम हो रहा प्रभावित
संवाद न्यूज एजेंसी
रोहड़ू। सेब के बगीचों में लगातार सूखे के कारण प्रूनिंग और बगीचा प्रबंधन का काम रुक गया है। बागवान ताक रहे हैं कि मेघ कहां रूठ गए हैं, जिससे उनके बगीचे सूखे पड़ चुके हैं।इन दिनों बागवान अपने बगीचों में काट-छांट के कार्य में जुटे हैं, लेकिन खाद मिलाने और तौलिए बनाने के लिए जमीन में पर्याप्त नमी नहीं है। समय पर बारिश न होने के चलते नए पौधे लगाने का कार्य लटक गया है। सेब के बगीचों में आजकल बागवान गला सड़ा गोबर और अन्य खादों को मिलने का काम करते हैं। बगीचों में तौलिए बनाने के लिए भी कुछ क्षेत्रों में यह समय उपयुक्त रहता है। नए पौधे लगाने के लिए गड्ढों को तैयार करने का समय आजकल उपयुक्त माना जाता है। इसके बाद आगे बारिश और बर्फबारी होने से काम फरवरी तक लटक जाता है। इस कारण बागवान अधिक चिंतित हैं। इस साल सितंबर के बाद इस महीने तक बारिश न होने के कारण सेब के बगीचों में सूखा पड़ा हुआ है। इससे बागवानों के लिए बगीचा प्रबंधन का काम मुश्किल हो गया है। लगातार सूखे से पुराने पौधे संक्रमण और कैंकर रोग से सूख जाते हैं। इसके परिणाम स्वरूप बागवानों को हर साल उत्पादन में गिरावट का सामना करना पड़ रहा है। विशेष रूप से बिना पर्याप्त बारिश के बगीचों में उपज कम हो रही है। इस कारण किसानों-बागवानों की चिंता और बढ़ गई है। इसके अलावा कम बारिश और बर्फबारी का प्रभाव सिर्फ फसल पर नहीं, बल्कि बागवानी के अन्य कार्यों पर भी पड़ा है। खाद डालने का काम भी मौसम की अनुकूलता के हिसाब से लटका हुआ है। बागवानों का कहना है कि बारिश और बर्फबारी की कमी से बगीचों की मिट्टी में नमी नहीं रह पा रही है। बागवानी क्षेत्र में आने वाली इस परेशानी का समाधान अब समय पर कोई दूसरा विकल्प नहीं है।
बागवान प्रबंधन का काम निपटाएं
बागवानी विशेषज्ञ डाॅ. नरेंद्र कायथ का कहना है कि बगीचों में जहां संभव हो सकता है, वहां बागवान प्रबंधन का काम निपटाएं। नए बगीचे तैयार करने के लिए हर ऊंचाई के आधार पर इसी महीने गड्ढे बनाने का काम करने की कोशिश करें। सूखे में तौलिए बनाना संभव नहीं है, इसलिए अभी बागवानों को पास फरवरी तक का समय है।
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रोहड़ू। सेब के बगीचों में लगातार सूखे के कारण प्रूनिंग और बगीचा प्रबंधन का काम रुक गया है। बागवान ताक रहे हैं कि मेघ कहां रूठ गए हैं, जिससे उनके बगीचे सूखे पड़ चुके हैं।इन दिनों बागवान अपने बगीचों में काट-छांट के कार्य में जुटे हैं, लेकिन खाद मिलाने और तौलिए बनाने के लिए जमीन में पर्याप्त नमी नहीं है। समय पर बारिश न होने के चलते नए पौधे लगाने का कार्य लटक गया है। सेब के बगीचों में आजकल बागवान गला सड़ा गोबर और अन्य खादों को मिलने का काम करते हैं। बगीचों में तौलिए बनाने के लिए भी कुछ क्षेत्रों में यह समय उपयुक्त रहता है। नए पौधे लगाने के लिए गड्ढों को तैयार करने का समय आजकल उपयुक्त माना जाता है। इसके बाद आगे बारिश और बर्फबारी होने से काम फरवरी तक लटक जाता है। इस कारण बागवान अधिक चिंतित हैं। इस साल सितंबर के बाद इस महीने तक बारिश न होने के कारण सेब के बगीचों में सूखा पड़ा हुआ है। इससे बागवानों के लिए बगीचा प्रबंधन का काम मुश्किल हो गया है। लगातार सूखे से पुराने पौधे संक्रमण और कैंकर रोग से सूख जाते हैं। इसके परिणाम स्वरूप बागवानों को हर साल उत्पादन में गिरावट का सामना करना पड़ रहा है। विशेष रूप से बिना पर्याप्त बारिश के बगीचों में उपज कम हो रही है। इस कारण किसानों-बागवानों की चिंता और बढ़ गई है। इसके अलावा कम बारिश और बर्फबारी का प्रभाव सिर्फ फसल पर नहीं, बल्कि बागवानी के अन्य कार्यों पर भी पड़ा है। खाद डालने का काम भी मौसम की अनुकूलता के हिसाब से लटका हुआ है। बागवानों का कहना है कि बारिश और बर्फबारी की कमी से बगीचों की मिट्टी में नमी नहीं रह पा रही है। बागवानी क्षेत्र में आने वाली इस परेशानी का समाधान अब समय पर कोई दूसरा विकल्प नहीं है।
बागवान प्रबंधन का काम निपटाएं
बागवानी विशेषज्ञ डाॅ. नरेंद्र कायथ का कहना है कि बगीचों में जहां संभव हो सकता है, वहां बागवान प्रबंधन का काम निपटाएं। नए बगीचे तैयार करने के लिए हर ऊंचाई के आधार पर इसी महीने गड्ढे बनाने का काम करने की कोशिश करें। सूखे में तौलिए बनाना संभव नहीं है, इसलिए अभी बागवानों को पास फरवरी तक का समय है।
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