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Sirmour News: जिला आयुर्वेद चिकित्सालय में दाखिल नहीं किए रहे मरीज
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बायोवेस्ट सुविधा न होने से शुरू नहीं हो पा रही आईडीपी
स्टाफ और दवाइयों की कमी ने भी बढ़ाई परेशानी
संवाद न्यूज एजेंसी
नाहन (सिरमौर)। जिला आयुर्वेद चिकित्सालय नाहन में मरीजों को आईडीपी सुविधा नहीं मिल पा रही है। यहां पर स्वास्थ्य की जांच तो हो रही है, लेकिन मरीजों को दाखिल नहीं किया जा रहा है। उन्हें उपचार के लिए बाहर जाना पड़ रहा है। लंबे समय से मरीज इस समस्या से जूझ रहे हैं।
कोविड काल में आयुर्वेद चिकित्सालय को दिल्ली गेट स्थित शिक्षा विभाग के भवन में शिफ्ट किया गया था। पुराने भवन के पुनरुत्थान के लिए 1.92 करोड़ रुपये की लागत से काम शुरू तो किया गया, लेकिन बीच में ही अटक गया। इसके चलते अस्पताल में केवल जांच ही हो पा रही है। अस्पताल का नया बहुमंजिला भवन तैयार हो चुका है। इसमें ओपीडी, पुरुष और महिला के लिए 20-20 बिस्तर वाले वार्ड, पंचकर्मा, मिट्टी थेरेपी, एक्यूपेशर, योग षठ कर्म और सन थेरेपी कक्ष तक तैयार हैं। इसके बावजूद बायोवेस्ट सुविधा न होने से आईपीडी शुरू नहीं हो पा रही है।
अस्पताल में स्टाफ और दवाइयों की भी भारी कमी है। मरीजों को दवाइयां बाजार से महंगे दामों में खरीदनी पड़ रही हैं। दूरदराज से आयुर्वेदिक उपचार लेने आए लोगों को निराश होकर लौटना पड़ रहा है।
बायोवेस्ट सुविधा के लिए भूमि तलाश की जा रही है। स्थानीय प्रशासन और विभाग से बातचीत चल रही है। स्टाफ और दवाइयों की कमी की जानकारी भी उच्चाधिकारियों को भेज दी गई है।
-डॉ. इंदू शर्मा, जिला आयुष अधिकारी
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स्टाफ और दवाइयों की कमी ने भी बढ़ाई परेशानी
संवाद न्यूज एजेंसी
नाहन (सिरमौर)। जिला आयुर्वेद चिकित्सालय नाहन में मरीजों को आईडीपी सुविधा नहीं मिल पा रही है। यहां पर स्वास्थ्य की जांच तो हो रही है, लेकिन मरीजों को दाखिल नहीं किया जा रहा है। उन्हें उपचार के लिए बाहर जाना पड़ रहा है। लंबे समय से मरीज इस समस्या से जूझ रहे हैं।
कोविड काल में आयुर्वेद चिकित्सालय को दिल्ली गेट स्थित शिक्षा विभाग के भवन में शिफ्ट किया गया था। पुराने भवन के पुनरुत्थान के लिए 1.92 करोड़ रुपये की लागत से काम शुरू तो किया गया, लेकिन बीच में ही अटक गया। इसके चलते अस्पताल में केवल जांच ही हो पा रही है। अस्पताल का नया बहुमंजिला भवन तैयार हो चुका है। इसमें ओपीडी, पुरुष और महिला के लिए 20-20 बिस्तर वाले वार्ड, पंचकर्मा, मिट्टी थेरेपी, एक्यूपेशर, योग षठ कर्म और सन थेरेपी कक्ष तक तैयार हैं। इसके बावजूद बायोवेस्ट सुविधा न होने से आईपीडी शुरू नहीं हो पा रही है।
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अस्पताल में स्टाफ और दवाइयों की भी भारी कमी है। मरीजों को दवाइयां बाजार से महंगे दामों में खरीदनी पड़ रही हैं। दूरदराज से आयुर्वेदिक उपचार लेने आए लोगों को निराश होकर लौटना पड़ रहा है।
बायोवेस्ट सुविधा के लिए भूमि तलाश की जा रही है। स्थानीय प्रशासन और विभाग से बातचीत चल रही है। स्टाफ और दवाइयों की कमी की जानकारी भी उच्चाधिकारियों को भेज दी गई है।
-डॉ. इंदू शर्मा, जिला आयुष अधिकारी