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Una News: जंगल की लेडी सिंघम, अंधेरे में वन माफिया को कर रहीं बेनकाब
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तीन साल में महिला अधिकारी ने 30 से ज्यादा वन तस्करों को दबोचा
राकेश राणा
बंगाणा (ऊना)। पुलिस के साथ-साथ अब वन विभाग में भी ऐसे अधिकारी हैं, जिनके नाम से ही अपराधी खौफ खाते हैं। उन्हीं में से एक हैं ऊना जिले की रामगढ़ धार रेंज के अंतर्गत लमलैहड़ी बीट की बीओ शशि बाला। अपनी बेखौफ कार्यशैली के कारण उन्हें जंगल की लेडी सिंघम कहा जाने लगा है। बीते तीन वर्षों में बीओ शशि बाला अपनी टीम के साथ 30 से अधिक वन तस्करों को पकड़ चुकी हैं और सभी पर सख्त कानूनी कार्रवाई भी की है। घर पर दो बच्चों को रात के समय सीसीटीवी की निगरानी में छोड़कर वे टीम के साथ जंगलों में गश्त पर निकल जाती हैं। उनका कहना है कि दिन में ड्यूटी के दौरान बच्चे स्कूल में रहते हैं, इसलिए वे निश्चिंत होकर काम कर सकती हैं। रविवार रात भी बीओ शशि बाला ने अपनी टीम के साथ बरनोह के पास आम की अवैध लकड़ी ले जा रहे एक पिकअप वाहन को पकड़ने में सफलता हासिल की। वन संपदा को बचाने के लिए वे एक फोन कॉल मिलते ही तुरंत गश्त के लिए निकल पड़ती हैं।
शशि बाला ने वर्ष 2007 में जिला ऊना के घंडाबल नर्सरी प्रोजेक्ट से वन विभाग में अपनी पहली नियुक्ति पाई थी। इसके बाद 16 वर्षों तक फॉरेस्ट गार्ड के रूप में सेवाएं दीं। वर्ष 2023 में लमलैहड़ी बीट में बीओ बनने के बाद से वे लगातार वन संपदा को नुकसान पहुंचाने वालों पर शिकंजा कस रही हैं।
मंडी की बेटी, हमीरपुर की बहू
बीओ शशि बाला का जन्म मंडी जिले में हुआ। बचपन से ही उनके भीतर कुछ अलग करने का जुनून था। धर्मशाला कॉलेज से बीए और पटियाला यूनिवर्सिटी से बीपीएड करने के बाद उनकी शादी हमीरपुर जिले के बिमी गांव के रूपेश के साथ हुई। उनके पति रूपेश इस समय पंजाब के जालंधर में एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं। शशि बाला बताती हैं कि वन माफिया पर कार्रवाई करने में उन्हें डीएफओ सुशील राणा सहित पूरी टीम का पूरा सहयोग मिलता है।
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राकेश राणा
बंगाणा (ऊना)। पुलिस के साथ-साथ अब वन विभाग में भी ऐसे अधिकारी हैं, जिनके नाम से ही अपराधी खौफ खाते हैं। उन्हीं में से एक हैं ऊना जिले की रामगढ़ धार रेंज के अंतर्गत लमलैहड़ी बीट की बीओ शशि बाला। अपनी बेखौफ कार्यशैली के कारण उन्हें जंगल की लेडी सिंघम कहा जाने लगा है। बीते तीन वर्षों में बीओ शशि बाला अपनी टीम के साथ 30 से अधिक वन तस्करों को पकड़ चुकी हैं और सभी पर सख्त कानूनी कार्रवाई भी की है। घर पर दो बच्चों को रात के समय सीसीटीवी की निगरानी में छोड़कर वे टीम के साथ जंगलों में गश्त पर निकल जाती हैं। उनका कहना है कि दिन में ड्यूटी के दौरान बच्चे स्कूल में रहते हैं, इसलिए वे निश्चिंत होकर काम कर सकती हैं। रविवार रात भी बीओ शशि बाला ने अपनी टीम के साथ बरनोह के पास आम की अवैध लकड़ी ले जा रहे एक पिकअप वाहन को पकड़ने में सफलता हासिल की। वन संपदा को बचाने के लिए वे एक फोन कॉल मिलते ही तुरंत गश्त के लिए निकल पड़ती हैं।
शशि बाला ने वर्ष 2007 में जिला ऊना के घंडाबल नर्सरी प्रोजेक्ट से वन विभाग में अपनी पहली नियुक्ति पाई थी। इसके बाद 16 वर्षों तक फॉरेस्ट गार्ड के रूप में सेवाएं दीं। वर्ष 2023 में लमलैहड़ी बीट में बीओ बनने के बाद से वे लगातार वन संपदा को नुकसान पहुंचाने वालों पर शिकंजा कस रही हैं।
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मंडी की बेटी, हमीरपुर की बहू
बीओ शशि बाला का जन्म मंडी जिले में हुआ। बचपन से ही उनके भीतर कुछ अलग करने का जुनून था। धर्मशाला कॉलेज से बीए और पटियाला यूनिवर्सिटी से बीपीएड करने के बाद उनकी शादी हमीरपुर जिले के बिमी गांव के रूपेश के साथ हुई। उनके पति रूपेश इस समय पंजाब के जालंधर में एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं। शशि बाला बताती हैं कि वन माफिया पर कार्रवाई करने में उन्हें डीएफओ सुशील राणा सहित पूरी टीम का पूरा सहयोग मिलता है।