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Una News: जैविक खेती से जिंदगी में लाया निखार
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घंडावल की मीना कुमारी खुद रागी के लड्डू और बिस्किट बनाकर बनीं आत्मनिर्भर
महिला
स्वरोजगार से खुद कमा रहीं 25 से 30 हजार प्रति महीना
60 महिलाओं को प्रशिक्षण देकर उनके जीवन में भी लाया परिवर्तन
संवाद न्यूज एजेंसी
नारी (ऊना)। कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत गांव घंडावल की मीना कुमारी ने जैविक खेती के माध्यम से उत्कृष्ट उत्पाद तैयार कर क्षेत्र में एक मिसाल कायम की है। स्वरोजगार अपनाकर वह स्वयं प्रति माह 25 से 30 हजार रुपये की आय अर्जित कर रही हैं। साथ ही उन्होंने 60 अन्य महिलाओं को प्रशिक्षण देकर घर बैठे रोजगार उपलब्ध करवाया है, जिससे वे भी प्रति माह 15 से 20 हजार रुपये तक कमा रही हैं। इससे इन महिलाओं के जीवन में उल्लेखनीय बदलाव आया है। पहले वे घरेलू कार्यों में ही सीमित रहती थीं, लेकिन अब अपनी आय बढ़ने के साथ वे विभिन्न कार्यक्रमों में स्टॉल लगाकर अपने उत्पादों की बिक्री भी कर रही हैं।
मीना कुमारी बताती हैं कि जैविक खेती शुरू करने से पहले खेत की अच्छी तरह सफाई और तैयारी की जाती है। इसके बाद गाय के गोबर और मूत्र से तैयार जैव अमृत खाद के रूप में उपयोग किया जाता है। इसी जैविक विधि से रागी, गेहूं तथा काला गेहूं जैसी फसलें उगाई जाती हैं, जिनसे विभिन्न प्रकार के शुद्ध और पौष्टिक उत्पाद तैयार किए जाते हैं।
इनमें रागी एवं मल्टीग्रेन आटे से बने लड्डू और बिस्किट प्रमुख हैं, जिन्हें आकर्षक पैकेजिंग में तैयार कर स्थानीय बाजार में उपलब्ध कराया जाता है। इन उत्पादों की मांग न केवल स्थानीय स्तर पर है, बल्कि विभिन्न जिला स्तरीय कार्यक्रमों में लगने वाले स्टॉलों पर भी अच्छी बिक्री होती है, जिससे महिलाओं को अच्छा मुनाफा प्राप्त होता है।
ये सभी उत्पाद राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत प्राप्त प्रशिक्षण के आधार पर तैयार किए जा रहे हैं। मीना, पूजा देवी, सुषमा देवी, प्रेमलता और कंचन देवी सहित कई महिलाएं प्रशिक्षित होकर अन्य महिलाओं को भी स्वरोजगार से जोड़ रही हैं।
मीना कुमारी का कहना है कि जैविक तरीके से बने उत्पाद कुछ महंगे अवश्य होते हैं, लेकिन वे पूरी तरह शुद्ध और स्वास्थ्यवर्धक होते हैं। लोग इन्हें अधिक कीमत पर भी खरीदना पसंद कर रहे हैं। उनका मानना है कि यदि किसान और महिलाएं जैविक खेती को बढ़ावा दें तो बीमारियों से काफी हद तक बचाव संभव है।
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महिला
स्वरोजगार से खुद कमा रहीं 25 से 30 हजार प्रति महीना
60 महिलाओं को प्रशिक्षण देकर उनके जीवन में भी लाया परिवर्तन
संवाद न्यूज एजेंसी
नारी (ऊना)। कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत गांव घंडावल की मीना कुमारी ने जैविक खेती के माध्यम से उत्कृष्ट उत्पाद तैयार कर क्षेत्र में एक मिसाल कायम की है। स्वरोजगार अपनाकर वह स्वयं प्रति माह 25 से 30 हजार रुपये की आय अर्जित कर रही हैं। साथ ही उन्होंने 60 अन्य महिलाओं को प्रशिक्षण देकर घर बैठे रोजगार उपलब्ध करवाया है, जिससे वे भी प्रति माह 15 से 20 हजार रुपये तक कमा रही हैं। इससे इन महिलाओं के जीवन में उल्लेखनीय बदलाव आया है। पहले वे घरेलू कार्यों में ही सीमित रहती थीं, लेकिन अब अपनी आय बढ़ने के साथ वे विभिन्न कार्यक्रमों में स्टॉल लगाकर अपने उत्पादों की बिक्री भी कर रही हैं।
मीना कुमारी बताती हैं कि जैविक खेती शुरू करने से पहले खेत की अच्छी तरह सफाई और तैयारी की जाती है। इसके बाद गाय के गोबर और मूत्र से तैयार जैव अमृत खाद के रूप में उपयोग किया जाता है। इसी जैविक विधि से रागी, गेहूं तथा काला गेहूं जैसी फसलें उगाई जाती हैं, जिनसे विभिन्न प्रकार के शुद्ध और पौष्टिक उत्पाद तैयार किए जाते हैं।
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इनमें रागी एवं मल्टीग्रेन आटे से बने लड्डू और बिस्किट प्रमुख हैं, जिन्हें आकर्षक पैकेजिंग में तैयार कर स्थानीय बाजार में उपलब्ध कराया जाता है। इन उत्पादों की मांग न केवल स्थानीय स्तर पर है, बल्कि विभिन्न जिला स्तरीय कार्यक्रमों में लगने वाले स्टॉलों पर भी अच्छी बिक्री होती है, जिससे महिलाओं को अच्छा मुनाफा प्राप्त होता है।
ये सभी उत्पाद राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत प्राप्त प्रशिक्षण के आधार पर तैयार किए जा रहे हैं। मीना, पूजा देवी, सुषमा देवी, प्रेमलता और कंचन देवी सहित कई महिलाएं प्रशिक्षित होकर अन्य महिलाओं को भी स्वरोजगार से जोड़ रही हैं।
मीना कुमारी का कहना है कि जैविक तरीके से बने उत्पाद कुछ महंगे अवश्य होते हैं, लेकिन वे पूरी तरह शुद्ध और स्वास्थ्यवर्धक होते हैं। लोग इन्हें अधिक कीमत पर भी खरीदना पसंद कर रहे हैं। उनका मानना है कि यदि किसान और महिलाएं जैविक खेती को बढ़ावा दें तो बीमारियों से काफी हद तक बचाव संभव है।