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Una News: दुग्ध उत्पादकों का सब्र टूटा, मिल्क फेड की लापरवाही से आजीविका पर संकट
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भुगतान न मिलने पर किसानों ने जिलाधीश जतिन लाल को सौंपा शिकायत पत्र, आंदोलन की चेतावनी
संवाद न्यूज एजेंसी
ऊना/बड़ूही (ऊना)। जिले के दुग्ध उत्पादक किसान हिमाचल प्रदेश मिल्क फेड समिति से समय पर भुगतान न मिलने के कारण गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। टकारला, बड़ूही, दिलवां, बेहड़ कांशी, सेरी, अकरोट, बागड़ू, बैरियां, चकसराये, रपोह मिसरा सहित आसपास के कई गांवों के किसान प्रतिदिन सैकड़ों लीटर दूध हिमाचल सरकार की मिल्क फेड समिति को सप्लाई करते हैं। इसके बावजूद उन्हें मेहनत की कमाई समय पर नहीं मिल रही है।
किसानों का कहना है कि दूध उत्पादन ही उनकी आजीविका का प्रमुख साधन है। इसी आय से घर का खर्च, बच्चों की पढ़ाई, पशुओं के चारे, दवाइयों और अन्य आवश्यक जरूरतें पूरी होती हैं। लेकिन, समिति की लापरवाही के चलते पिछले दो माह से अधिक समय से दूध का भुगतान लंबित है, जिससे किसान अस्तित्व के संकट से जूझ रहे हैं। स्थिति यह है कि कई किसानों के पास पशुओं के लिए चारा खरीदने तक के पैसे नहीं बचे। गांव के दुकानदार उधार देने से मना कर चुके हैं, बच्चों की फीस बकाया है और घरों में चूल्हा जलाना तक मुश्किल हो गया है। किसानों का कहना है कि वे मानसिक, आर्थिक और सामाजिक स्तर पर टूट चुके हैं।
अपनी पीड़ा सरकार तक पहुंचाने के लिए बड़ी संख्या में दुग्ध उत्पादक किसानों ने उपायुक्त ऊना जतिन लाल को एक लिखित शिकायत सौंपी। किसानों ने मांग की कि उनके बकाया भुगतान को अविलंब जारी किया जाए और भविष्य में हर माह की 10 तारीख से पहले दूध का भुगतान सुनिश्चित किया जाए, ताकि ऐसी समस्याओं का सामना न करना पड़े।किसानों ने चेतावनी दी कि यदि दो महीने से लंबित भुगतान जल्द जारी नहीं किया गया, तो वे 15 दिसंबर को धरना-प्रदर्शन और चक्का जाम करने के लिए मजबूर होंगे। आंदोलन से उत्पन्न किसी भी स्थिति की जिम्मेदारी सरकार और संबंधित विभाग की होगी। इस अवसर पर किसान नेता एवं दुग्ध उत्पादक किशन चंद, सतीश शर्मा, सरदार विजय कुमार, रविंद्र शर्मा, वीरों चौधरी, बलराज ठाकुर सहित कई किसान उपस्थित रहे।
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संवाद न्यूज एजेंसी
ऊना/बड़ूही (ऊना)। जिले के दुग्ध उत्पादक किसान हिमाचल प्रदेश मिल्क फेड समिति से समय पर भुगतान न मिलने के कारण गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। टकारला, बड़ूही, दिलवां, बेहड़ कांशी, सेरी, अकरोट, बागड़ू, बैरियां, चकसराये, रपोह मिसरा सहित आसपास के कई गांवों के किसान प्रतिदिन सैकड़ों लीटर दूध हिमाचल सरकार की मिल्क फेड समिति को सप्लाई करते हैं। इसके बावजूद उन्हें मेहनत की कमाई समय पर नहीं मिल रही है।
किसानों का कहना है कि दूध उत्पादन ही उनकी आजीविका का प्रमुख साधन है। इसी आय से घर का खर्च, बच्चों की पढ़ाई, पशुओं के चारे, दवाइयों और अन्य आवश्यक जरूरतें पूरी होती हैं। लेकिन, समिति की लापरवाही के चलते पिछले दो माह से अधिक समय से दूध का भुगतान लंबित है, जिससे किसान अस्तित्व के संकट से जूझ रहे हैं। स्थिति यह है कि कई किसानों के पास पशुओं के लिए चारा खरीदने तक के पैसे नहीं बचे। गांव के दुकानदार उधार देने से मना कर चुके हैं, बच्चों की फीस बकाया है और घरों में चूल्हा जलाना तक मुश्किल हो गया है। किसानों का कहना है कि वे मानसिक, आर्थिक और सामाजिक स्तर पर टूट चुके हैं।
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अपनी पीड़ा सरकार तक पहुंचाने के लिए बड़ी संख्या में दुग्ध उत्पादक किसानों ने उपायुक्त ऊना जतिन लाल को एक लिखित शिकायत सौंपी। किसानों ने मांग की कि उनके बकाया भुगतान को अविलंब जारी किया जाए और भविष्य में हर माह की 10 तारीख से पहले दूध का भुगतान सुनिश्चित किया जाए, ताकि ऐसी समस्याओं का सामना न करना पड़े।किसानों ने चेतावनी दी कि यदि दो महीने से लंबित भुगतान जल्द जारी नहीं किया गया, तो वे 15 दिसंबर को धरना-प्रदर्शन और चक्का जाम करने के लिए मजबूर होंगे। आंदोलन से उत्पन्न किसी भी स्थिति की जिम्मेदारी सरकार और संबंधित विभाग की होगी। इस अवसर पर किसान नेता एवं दुग्ध उत्पादक किशन चंद, सतीश शर्मा, सरदार विजय कुमार, रविंद्र शर्मा, वीरों चौधरी, बलराज ठाकुर सहित कई किसान उपस्थित रहे।