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Aviation:देश 93 एयरपोर्ट पूरी तरह ग्रीन एनर्जी पर,दिल्ली-मुंबई समेत इन बड़े एयरपोर्ट्स ने हासिल किया ये लक्ष्य
डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला
Published by: संध्या
Updated Sat, 20 Dec 2025 03:13 PM IST
सार
बड़े एयरपोर्ट्स ने कार्बन उत्सर्जन घटाने के सबसे ऊंचे स्तर (लेवल-5) के लक्ष्य हासिल कर लिया है। यह उपलब्धि देश के विमानन क्षेत्र में हरित ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ी सफलता मानी जा रही है। यह हवाई अड्डे अब कार्बन न्यूट्रल बन चुके हैं, यानी यहां से निकलने वाली हानिकारक गैसें लगभग न के बराबर रह गई हैं।
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देश 93 एयरपोर्ट पूरी तरह ग्रीन एनर्जी पर
- फोटो : अमर उजाला, डिजिटल डेस्क, इंदौर
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विस्तार
देश के 93 एयरपोर्ट ने ग्रीन एनर्जी पर काम रहे है। यह एयरपोर्ट अब अपनी बिजली और अन्य ऊर्जा जरूरतें पर्यावरण के अनुकूल स्रोतों से कर रहे है। राजधानी दिल्ली के अलावा अन्य व्यस्त बड़े एयरपोर्ट मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु एयरपोर्ट्स ने भी कार्बन उत्सर्जन घटाने के सबसे ऊंचे स्तर (लेवल-5) के लक्ष्य हासिल कर लिया है। यह उपलब्धि देश के विमानन क्षेत्र में हरित ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ी सफलता मानी जा रही है।
एयरपोर्ट्स इंटरनेशनल काउंसिल के मुताबिक, ये हवाई अड्डे अब कार्बन न्यूट्रल बन चुके हैं, यानी यहां से निकलने वाली हानिकारक गैसें लगभग न के बराबर रह गई हैं। इसके साथ ही सरकार ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल को बढ़ावा देने की योजना बनाई है। इस योजना के तहत सामान्य विमान ईंधन में 2027 तक 1 प्रतिशत, 2028 तक 2 प्रतिशत और 2030 तक 5 प्रतिशत ग्रीन ईंधन मिलाने का लक्ष्य तय किया गया है।
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान एक प्रश्न के जवाब में नागर विमानन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने लोकसभा में बताया कि,दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु के हवाई अड्डों ने कार्बन उत्सर्जन घटाने के सर्वोच्च स्तर (लेवल-5) की उपलब्धि हासिल कर ली है। सरकार ने देशभर में ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों के विकास के लिए ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट नीति बनाई है। इसके तहत यदि कोई राज्य सरकार या निजी कंपनी नया हवाई अड्डा बनाना चाहती है, तो उसे नागर विमानन मंत्रालय को प्रस्ताव भेजना होगा।
मंत्री ने कहा कि नए और मौजूदा हवाई अड्डों का विकास विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने में अहम भूमिका निभाएगा। इससे दूर-दराज के इलाकों की कनेक्टिविटी बढ़ेगी, पर्यटन और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, लॉजिस्टिक्स मजबूत होगी और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट जैसे बड़े ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों के शुरू होने से कनेक्टिविटी बेहतर होगी। इससे आसपास के इलाकों में उद्योगों का विकास, नए शहरों का विस्तार और निवेश बढ़ने की संभावना है। साथ ही, इंडस्ट्रियल कॉरिडोर और लॉजिस्टिक हब के विकास को भी मजबूती मिलेगी।
सरकार मेक इन इंडिया योजना के तहत भारत में विमान और उनसे जुड़े उपकरणों के निर्माण को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए जीएसटी दरों में सुधार, रॉयल्टी समाप्त करना, विदेशी पायलटों और तकनीकी कर्मचारियों के लिए वीजा नियम आसान करना और मरम्मत के लिए लाए गए सामान पर नियमों में छूट जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं।
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एयरपोर्ट्स इंटरनेशनल काउंसिल के मुताबिक, ये हवाई अड्डे अब कार्बन न्यूट्रल बन चुके हैं, यानी यहां से निकलने वाली हानिकारक गैसें लगभग न के बराबर रह गई हैं। इसके साथ ही सरकार ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल को बढ़ावा देने की योजना बनाई है। इस योजना के तहत सामान्य विमान ईंधन में 2027 तक 1 प्रतिशत, 2028 तक 2 प्रतिशत और 2030 तक 5 प्रतिशत ग्रीन ईंधन मिलाने का लक्ष्य तय किया गया है।
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संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान एक प्रश्न के जवाब में नागर विमानन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने लोकसभा में बताया कि,दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु के हवाई अड्डों ने कार्बन उत्सर्जन घटाने के सर्वोच्च स्तर (लेवल-5) की उपलब्धि हासिल कर ली है। सरकार ने देशभर में ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों के विकास के लिए ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट नीति बनाई है। इसके तहत यदि कोई राज्य सरकार या निजी कंपनी नया हवाई अड्डा बनाना चाहती है, तो उसे नागर विमानन मंत्रालय को प्रस्ताव भेजना होगा।
मंत्री ने कहा कि नए और मौजूदा हवाई अड्डों का विकास विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने में अहम भूमिका निभाएगा। इससे दूर-दराज के इलाकों की कनेक्टिविटी बढ़ेगी, पर्यटन और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, लॉजिस्टिक्स मजबूत होगी और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट जैसे बड़े ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों के शुरू होने से कनेक्टिविटी बेहतर होगी। इससे आसपास के इलाकों में उद्योगों का विकास, नए शहरों का विस्तार और निवेश बढ़ने की संभावना है। साथ ही, इंडस्ट्रियल कॉरिडोर और लॉजिस्टिक हब के विकास को भी मजबूती मिलेगी।
सरकार मेक इन इंडिया योजना के तहत भारत में विमान और उनसे जुड़े उपकरणों के निर्माण को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए जीएसटी दरों में सुधार, रॉयल्टी समाप्त करना, विदेशी पायलटों और तकनीकी कर्मचारियों के लिए वीजा नियम आसान करना और मरम्मत के लिए लाए गए सामान पर नियमों में छूट जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं।