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ITBP: आईटीबीपी सिपाही की सेवा वरिष्ठता को मिलेगी नई पहचान, दाहिने हाथ पर लगेगी ‘सीनियर कांस्टेबल' की 'फीती'

डिजिटल ब्यूरो ,अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अस्मिता त्रिपाठी Updated Sat, 20 Dec 2025 04:25 PM IST
सार

लद्दाख में काराकोरम दर्रे से अरुणाचल प्रदेश में जाचेप ला तक 3,488 किलोमीटर लंबी भारत-चीन सीमा की सुरक्षा में तैनात 'आईटीबीपी' ने अपने सिपाहियों के लिए एक अनूठी योजना प्रारंभ की है। डीजी प्रवीण कुमार के  आदेश के बाद अब आईटीबीपी के सिपाही की 'सेवा' वरिष्ठता को नई पहचान मिलेगी।

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ITBP constables' service seniority will get a new recognition, with a ribbon on their right hand.
सीनियर कांस्टेबल की फीती - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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लद्दाख में काराकोरम दर्रे से अरुणाचल प्रदेश में जाचेप ला तक 3,488 किलोमीटर लंबी भारत-चीन सीमा की सुरक्षा में तैनात 'आईटीबीपी' ने अपने सिपाहियों के लिए एक अनूठी योजना प्रारंभ की है। डीजी प्रवीण कुमार के  आदेश के बाद अब आईटीबीपी के सिपाही की 'सेवा' वरिष्ठता को नई पहचान मिलेगी। उनके दाहिने हाथ पर एक खास 'फीती' लगेगी, जिस पर 'सीनियर कांस्टेबल' लिखा रहेगा। हालांकि यह 'फीती' उन्हीं सिपाहियों को मिलेगी, जिन्हें पहला 'मॉडिफाइड एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन' (एमएसीपी) मिल चुका है। पहले केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में आर्मी की तर्ज पर लांस नायक और नायक का पद भी होता था। बाद में ये पद खत्म कर दिए गए। अब केवल सिपाही और हवलदार का पद है। अब दूसरे केंद्रीय बलों में यह चर्चा शुरु हो गई है कि क्या उनमें भी सिपाही की 'सेवा' वरिष्ठता को नई पहचान देने की पहल प्रारंभ होगी। 
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आईटीबीपी सिपाही के बाजू पर 'फीती' लगाकर 'सीनियर सिपाही' की सेवा की वरिष्ठता को पहचान देने के लिए फीती लगाने का फैसला इसी सप्ताह लिया गया है। कई बार सिपाहियों को पदोन्नति मिलने में देरी हो जाती है। उनके पास लंबा अनुभव और वरिष्ठता होती है, लेकिन इसके बावजूद वे बतौर 'सिपाही' ही ड्यूटी देते हैं। इसके मद्देनजर अब डीजी प्रवीण कुमार ने जवानों के उत्साह को बढ़ाने के लिए और उनकी वरिष्ठता को सम्मान देने के लिए 'सीनियर सिपाही' को 'फीती' लगाने का आदेश जारी किया है। 'सीनियर सिपाही' की फीती हासिल करने के लिए यह शर्त रखी गई है कि उस जवान को पहला 'मॉडिफाइड एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन' मिल गया हो। 
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यह शर्त पूरी करने के बाद ही वह सिपाही अपने दाहिने हाथ पर कंधे से चार इंच नीचे की तरफ 'सीनियर सिपाही' की फीती लगा सकता है। यह फीती, सभी सिपाही लगाएंगे, भले ही वह बल के किसी भी कैडर में ड्यूटी कर रहा हो। फीती का रंग 'पीला' होगा और बैक ग्राउंड 'हरा' रहेगा। फीती, पर 'सीनियर कांस्टेबल' लिखा रहेगा। इस शब्द का फांट 'एरियल 16' में होगा। फीती लगाने का मकसद यह होगा कि सिपाही को 'सीनियर कांस्टेबल' के तौर पर पहचान मिले। हालांकि इस फीती से सिपाही के आर्थिक लाभों या वरिष्ठता सूची में बदलाव नहीं आएगा। यह संबंधित बटालियन के कमांडेंट या कार्यालय अधिकारी पर निर्भर करेगा कि वह सीनियर सिपाही को क्या जिम्मेदारी देगा। संभव है कि सिपाही की लंबी सेवा और अनुभव को देखते हुए उसकी जिम्मेदारी में बदलाव हो जाए। यहां पर स्पष्ट कर दें कि ये सब, संबंधित अधिकारी की इच्छा पर निर्भर होगा, न कि किसी 'अधिकार' के चलते कुछ मिलेगा।  

जब कमांडेंट, सिपाही के पहले वित्तीय अपग्रेडेशन का आदेश जारी करेगा तो उसमें लिखा जाएगा कि अब वह सिपाही अपने दाहिने बाजू पर 'फीती' पहनेगा। जिन सिपाहियों को पहला एमएसीपी मिल चुका है तो उनके लिए संबंधित कार्यालय अध्यक्ष के द्वारा 'फीती' लगाने का आदेश तुरंत प्रभाव से जारी होगा। पहले इन बलों में ये फीती, लांस नायक का पोस्ट होता था। तब नायक का रैंक होता था। पहले सिपाही, लांस नायक बनते थे। उसके बाद नायक और फिर हवलदार। उस वक्त लांस नायक, कोई रैंक नहीं था, ये एक स्पेशल नियुक्ति 'स्पेशल अपाइंटमेंट' थी। स्पेशल पे मिलता था, लेकिन उसे पदोन्नति नहीं मिलती थी। लांस नायक, एक फीती और नायक दो फीती लगाते थे। हवलदार तीन फीती लगाता था। बाद में सभी बलों में इस चलन को बंद कर दिया गया। हालांकि आर्मी में अभी भी लांस नायक और नायक हैं। सीएपीएफ में अब सिपाही से सीधे हवलदार बनते हैं। 

आईटीबीपी की अधिकांश सीमा चौकियां 9,000 फीट से 18,800 फीट तक की ऊंचाइयों पर स्थित हैं। वहां तापमान शून्य से 45 डिग्री सेल्शियस तक नीचे चला जाता है। आईटीबीपी, राष्ट्र का एक विशेष सशस्त्र पुलिस बल है, जो अपने जवानों को गहन सामरिक प्रशिक्षण के अलावा पर्वतारोहण और स्कीइंग समेत अन्य कई विधाओं में प्रशिक्षित करता है। इसके चलते बल की अपनी एक विशिष्ट छवि है। आईटीबीपी हिमालय क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं के लिए 'फर्स्ट रेस्पोंडर' के रूप में राहत व बचाव अभियानों का संचालन भी करती है। इसने गत वर्षों में सैकड़ों खोज, बचाव व राहत अभियान संचालित किए हैं। हजारों नागरिकों को बचाया गया है तथा विभिन्न आपदाओं में मदद पहुंचाई है। बल का पिछले छह दशकों का स्वर्णिम इतिहास रहा है। इस दौरान बल के जवानों ने विभिन्न सुरक्षा दायित्वों में अनेकों बलिदान दिए हैं। 
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