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शिवसेना से गठजोड़ करने पर बंटी कांग्रेस

टीम टिजिटल, अमर उजाला, दिल्ली Updated Sun, 26 Feb 2017 04:15 PM IST
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बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) में सत्ता संघर्ष की संभावना तेज होने लगी है। शिवसेना और भाजपा की तल्खी के बीच कांग्रेस किंगमेकर की भूमिका निभाना चाहती है। माना जा रहा है कि कांग्रेस के दम पर शिवसेना मेयर पद हासिल करने की ताक में भी है, लेकिन इसे लेकर कांग्रेस में ही विरोध के स्वर फूट पड़े हैं। कांग्रेस महासचिव गुरुदास कामत ने शिवसेना को समर्थन देने का कड़ा विरोध किया है। वहीं, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दो टूक कहा कि सत्ता के लिए किसी कीमत पर कांग्रेस का समर्थन नहीं लेंगे।

शनिवार को शिवसेना ने भावी रणनीति तय करने के लिए पार्टी नेताओं और नवनिर्वाचित पार्षदों की बैठक बुलाई। शिवसेना भवन में पार्षदों को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने दावा किया कि बीएमसी में शिवसेना का ही महापौर होगा। हालांकि बाद में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि धीरज रखिए हमें कोई जल्दबाजी नहीं है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण के बयान पर उद्धव ने कहा कि थोड़ा सब्र करो। चूंकि बीएमसी का मौजूदा कार्यकाल नौ मार्च को खत्म हो रहा है। लिहाजा तब तक शिवसेना अपने पत्ते खोलने को तैयार नहीं है।

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शिवसेना को समर्थन देने के मसले पर अशोक चव्हाण ने शुक्रवार को कहा था कि शिवसेना पहले सरकार से बाहर हो और समर्थन वापस ले। इस बीच शिवसेना के नेता एवं राज्यमंत्री रवींद्र वायकर ने कहा कि हमें कांग्रेस का समर्थन स्वीकार है। वहीं, शनिवार को कांग्रेस नेता नारायण राणे के विधायक पुत्र नीतेश राणे ने कहा कि बीएमसी में शिवसेना को समर्थन देने के लिए कांग्रेस पार्टी में विभिन्न स्तर पर चर्चा शुरू है। इस चर्चा के बीच कांग्रेस में विरोध भी शुरू हो गया है।

गुरुदास कामत के  बाद मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरूपम का भी सुर बदल गया है। उन्होंने बयान जारी कर कहा कि हमें विपक्ष में बैठने का जनादेश मिला है और हमने अपने विचारों से पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी को अवगत करा दिया है। हालांकि इससे पहले कांग्रेस नेता नारायण राणे और संजय निरुपम ने भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए शिवसेना को समर्थन देने के प्रति सकारात्मक रुख अपनाया था।

...तो बीएमसी में बनेगा शिवसेना का महापौर और कांग्रेस का उपमहापौर

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बीएमसी में सत्ता समीकरण को लेकर जिस तरह की चर्चा है, उससे यह भी कहा जा रहा है कि शिवसेना का महापौर चुने जाने पर उपमहापौर कांग्रेस का हो सकता है। इसके अलावा शिवसेना के साथ सत्ता में जो दोयम दर्जे का स्थान अब तक भाजपा का रहा है वह कांग्रेस को हासिल हो सकता है।

यदि बीएमसी में यह फेरबदल हुआ, तो राज्य सरकार पर भी इसका असर पड़ना तय है। ऐसी स्थिति में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी मिलकर फडणवीस सरकार को हटाने की कोशिश कर सकती है। हालांकि अभी यह दूर की कौड़ी नजर आ रही है। उधर, भाजपा नेता एवं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को शिवसेना-कांग्रेस के बीच अंदर ही अंदर खिचड़ी पकने का आभास हुआ, तो उन्होंने कांग्रेस पर राज्य सरकार को अस्थिर करने का आरोप मढ़ दिया। शनिवार को गडकरी ने कहा कि कांग्रेस राज्य सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है।

फडणवीस बोले, हमें नहीं चाहिए कांग्रेस का समर्थन

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महाराष्ट्र निकाय चुनाव में भारी जीत दर्ज करने के बाद शनिवार को भाजपा ने प्रदेश कार्यालय में विजय उत्सव मनाया। इस दौरान मुख्यमंत्री फडणवीस ने साफ कहा कि बीएमसी में भाजपा को सत्ता मिले या न मिले। हम कांग्रेस से हाथ नहीं मिलाएंगे। उन्होंने शिवसेना का नाम लिए बिना ही तंज कसा कि जिन्हें कांग्रेस के साथ जाना है, वह खुशी से जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि आगे क्या होगा, हमें उसकी चिंता नहीं है। लेकिन एक बात तय है कि पारदर्शिता के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेंगे।

सेना को कांग्रेस का समर्थन दुर्भाग्यपूर्ण: आजमी

बीएमसी में समाजवादी पार्टी के छह पार्षद हैं। सपा के प्रदेश अध्यक्ष विधायक अबू आसिम आजमी ने कहा है कि उनकी पार्टी शिवसेना-भाजपा में से किसी को समर्थन नहीं देगी। उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस शिवसेना को समर्थन देती है, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण होगा।

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