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CAG Report: रेलवे निजी साइडिंग मालिकों से 4087 करोड़ रुपये वसूलने में नाकाम, निगरानी में कमी मुख्य वजह

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शुभम कुमार Updated Fri, 19 Dec 2025 11:27 PM IST
सार

सीएजी की रिपोर्ट में सामने आया है कि भारतीय रेलवे निजी साइडिंग मालिकों से 4,087.33 करोड़ रुपये वसूलने में असफल रहा। मार्च 2023 तक 1,007 निजी साइडिंगों में यह बकाया रहा, जिसमें 3,321 करोड़ जमीन लाइसेंस फीस शामिल है। साइडिंग मुख्य लाइन को कंपनियों से जोड़ती है, लेकिन बिल न बनाना और निगरानी की कमी बकाया बढ़ाने का मुख्य कारण बनी।

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CAG Report Railways failed to recover Rs 4087 crore from private siding owners lack of monitoring main reason
रेलवे - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की एक रिपोर्ट में भारतीय रेलवे को लेकर एक खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय रेलवे के विभिन्न जोन निजी साइडिंग मालिकों से अब तक 4,087.33 करोड़ रुपये की बकाया राशि वसूल नहीं कर पाए हैं। यह आंकड़ा मार्च 2023 तक का है। साइडिंग रेलवे की मुख्य लाइन से सीधे किसी कंपनी या फैक्टरी के परिसर को जोड़ने वाली एक्सटेंशन ट्रैक होती है। इसका फायदा यह होता है कि माल सीधे कंपनी तक पहुंच जाता है और स्टेशन पर अतिरिक्त हैंडलिंग की जरूरत नहीं पड़ती।

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मामले में सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे में तीन प्रकार की साइडिंग हैं, सार्वजनिक, निजी और सहायक। निजी साइडिंगें निजी कंपनियों की होती हैं, लेकिन इनका निर्माण और रखरखाव रेलवे करती है और इसके लिए शुल्क लिया जाता है।
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क्या हुआ अब तक?
बता दें कि रेलवे बोर्ड ने 2017 में सभी जोन को निर्देश दिया था कि वे निजी साइडिंग मालिकों से बकाया राशि वसूल करें। लेकिन सीएजी की रिपोर्ट बताती है कि यह काम सही तरीके से नहीं हुआ। रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2023 तक रेलवे में कुल 1,752 साइडिंग थीं। इनमें से 1,007 (57.5%) निजी साइडिंगें थीं। इन निजी साइडिंग मालिकों से 4,087.33 करोड़ रुपये की वसूली बकाया थी, जिसमें 3,321.40 करोड़ रुपये जमीन लाइसेंस फीस के रूप में शामिल हैं।


ऑडिट में क्या पाया गया?
सीएजी ने 2023-24 में 2018-19 से 2022-23 तक के डेटा की जांच की। इसमें पाया गया कि 269 निजी साइडिंगों को विशेष रूप से चुना गया। इनमें से 22 साइडिंग मालिकों के साथ कोई समझौता ही नहीं हुआ था।14 साइडिंगों की कागजी फाइलें ऑडिट टीम को नहीं दी गईं। 147 साइडिंगों के समझौते समय पर नवीनीकृत नहीं किए गए। 147 साइडिंगों के लिए बिल ही नहीं बनाए गए। कई मामलों में भुगतान वसूलने में भी देरी हुई। ऐसे में सीएजी ने कहा कि बकाया राशि वसूल न होने की मुख्य वजह रेलवे प्रशासन द्वारा बिल नहीं बनाना और निगरानी की कमी है।

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सीएजी की सिफारिशें
इसके साथ ही रिपोर्ट में रेलवे से कहा गया है कि एक इंटीग्रेटेड आईटी सिस्टम बनाया जाए ताकि साइडिंग मालिकों से समय पर शुल्क वसूला जा सके। रिकॉर्ड जैसे साइडिंग रजिस्टर और समझौते अच्छे से रखे जाएं। विभिन्न विभागों के बीच सहयोग और समन्वय बढ़ाया जाए। सीएजी ने कहा कि इन कदमों से रेलवे निजी साइडिंग मालिकों से बकाया राशि वसूलने में सफल हो सकता है और भविष्य में ऐसी चूक कम होगी।

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