Bihar Election : केंद्रीय मंत्री मांझी से बात तो होती है...! घिरे IAS अफसर ने चुनाव में मदद पर कही यह बात
Amar Ujala Exclusive Interview : केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के अनुसार 2020 के बिहार चुनाव में एक आईएएस अधिकारी ने उनके एक प्रत्याशी को मतगणना के दौरान जिताने में मदद की। 'अमर उजाला' ने त्रिपुरा जा चुके IAS अभिषेक सिंह से बात की।
विस्तार
केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के एक बयान से बिहार की राजनीति में भूचाल आया हुआ है। उन्हाेंने एक जनसभा में कहा था कि उनके एक प्रत्याशी इस बार 1600 वोटों से हार गए, जबकि पिछली बार 2700 से हार रहे थे तो तत्कालीन कलेक्टर अभिषेक सिंह ने उनके कहने पर मदद की तो जीत गए थे। जीतन राम मांझी इस वीडियो में साफ दिख हैं, इसलिए बवाल मचा है। विपक्ष इस वीडियो को शेयर करते हुए निर्वाचन आयोग पर हावी है कि हेराफेरी हो रही है। ऐसे में चुनाव आयोग बाद में जो करे या न करे, पत्रकारिता धर्म के तहत 'अमर उजाला' ने तत्कालीन कलेक्टर, यानी जिलाधिकारी अभिषेक सिंह से बात की। अभिषेक सिंह त्रिपुरा कैडर के आईएएस हैं और तीन साल पहले उन्हें उनके राज्य के लिए विरमित कर दिया गया था।
त्रिपुरा शासन में नगर विकास, लोक निर्माण, ऊर्जा, ग्रामीण विकास और गृह विभाग में बतौर सचिव जिम्मेदारी संभाल रहे 2006 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अभिषेक सिंह को पहले 'अमर उजाला' ने केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के वीडियो और उसमें कही बातें बताई। इसके बाद उनसे सीधे-सीधे सवाल किया। सवाल-जवाब को उसी तरह आगे पढ़ें-
प्र. 2025 के बिहार चुनाव परिणाम के बाद आपने जीतन राम मांझी से ऐसा कहा था कि पिछली बार 2020 के बिहार चुनाव में 2700 वोट मैनेज हो गया था। इस बार 1600 तो मैनेज हो ही सकता है?
उ. मुझे नहीं याद है कि किस परिप्रेक्ष्य में उन्होंने कहा। यह तो बहुत पुरानी बात है।
प्र. लेकिन, वह तो कह रहे हैं और इसका वीडियो वायरल है।
उ. यह तो संभव ही नहीं है। ऐसी कोई बात नहीं है। यह बहुत पुरानी बात है। घटना 2020 की रही है। चुनाव तो कमीशन के अंदर होता है। टिकारी की आप बात कर रहे हैं तो जहां तक मुझे पता है, एसडीएम या एडीएम ही उसके रिटर्निंग ऑफिसर होते हैं। वही चुनाव और काउंटिंग कराते हैं। इतना मुझे याद है कि 2020 में वहां काफी क्लोज मार्जिन रहा था। काफी देर तक काउंटिंग चली थी। अंतिम दो राउंड में विजेता घोषित किए गए थे। और, उस परिणाम पर आगे किसी ने आपत्ति नहीं जताई थी। कोई वैसी शिकायत नहीं आई थी।
प्र. वीडियो में उनकी बातें तो सीधे आपको लेकर कही गई हैं।
उ. मतगणना के दौरान राउंड के हिसाब से प्रत्याशियों का आगे-पीछे होता रहता है। आरओ और ऑब्जर्वर इसे देखते हैं। डीएम की तो कोई भूमिका तो नहीं होती है। डीएम तो अंतिम तौर पर प्रमाणपत्र पर हस्ताक्षर कर निर्वाचित घोषित करता है, बस। जिम्मेदारी तो इस बात की रहती है कि कुछ गलत न हो।
प्र. वह तो कह रहे हैं कि टिकारी से उनके प्रत्याशी हार रहे थे तो आपकी मदद से जीते।
उ. हो सकता है कि मेरे कार्यकाल में हुए अच्छे कार्यों के बारे में बताना चाह रहे होंगे, बाकी बातें घूम गई हों। जहां तक 2020 के चुनाव का सवाल है तो वह तो खुद ही उस समय किसी दूसरे विधानसभा से प्रत्याशी थे। मतगणना हॉल में ही बैठे होंगे वह भी कहीं पर। मतगणना केंद्र पर तो उनके पास मोबाइल भी नहीं होगा। उनके लिए मुझसे बात करना वहां पर संभव भी नहीं होगा। फिर ऐसी बातों का मतलब नहीं है।
प्र. इस बार बिहार विधानसभा चुनाव के समय आपकी केंद्रीय मंत्री मांझी से कोई बात हुई थी?
उ. बातचीत तो है। वह तो एमएसएमई मिनिस्टर हैं। त्रिपुरा सरकारी कार्यक्रम में आते रहते हैं। मैं गया में काम कर चुका हूं, वह वहां से हैं तो निश्चित तौर पर बातचीत है। टिकारी के बारे में कोई बात नहीं हुई। डिस्कशन होता रहा है। वह गया के हैं और मैं गया में रहा हूं। बाकी चीजों पर बात हुई है, लेकिन टिकारी या चुनाव के बारे में कोई बात नहीं हुई है।
प्र. तो फिर, चुनाव परिणाम में आगे-पीछे को लेकर आपका नाम कैसे लिया उन्होंने?
उ. हो सकता है कि कार्यकर्ताओं के मनोबल के हिसाब से कुछ बोल रहे हों। भारतवर्ष में इस तरह हेरफेर किसी के लिए संभव नहीं है। यह ईवीएम का मामला है। इसका वीडियो रिकॉर्डिंग होता है और सीसीटीवी भी रहता है। वैसे संभव है कि वह मेरे कार्यकाल के बारे में शायद वह बोलना चाह रहे हों। चुनावी प्रक्रिया नहीं, मेरे काम को लेकर कुछ प्रशंसा कर रहे हों। उनके क्षेत्र में मेरे समय बहुत सारा काम हुआ है।
प्र. पोस्टल बैलेट को लेकर सवाल उठ रहा है।
उ. ईवीएम में कोई छेड़छाड़ संभव नहीं। और, पोस्टल बैलेट का शुरुआती दो घंटे में ही काउंटिंग हो जाता है। पोस्टल बैलेट का काउंटिंग भी एसडीएम के स्तर पर होता है। अंतिम तौर पर मेरा यही कहना है कि चुनाव की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से होती है। अगर ऐसा कुछ होता तो विशेष री-काउंटिंग की मांग या गड़बड़ी की शिकायत तभी आती। आप जैसा कह रहे हैं, उससे हो सकता है कि वह कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए कुछ कह रहे हों।
प्र. अंतिम सवाल। आपके ऊपर यहां पेड़ कटवा कर निजी इस्तेमाल करने का आरोप लगा था। उसी के बाद ट्रांसफर और फिर त्रिपुरा के लिए विरमित हुए थे। क्या स्थिति है उस केस की?
उ. उस केस की फाइनल रिपोर्ट आ गई। विभागीय जांच में साफ हो गया कि कोई साक्ष्य नहीं था, कोई मुद्दा नहीं था। एक ही यह आरोप मुझपर लगा था, वह खत्म हो चुका है। निर्धारित प्रक्रिया के तहत अनुसंधान के बाद निराधार पायी गई।
मामले की पूरी खबर यहां पढ़ें- केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने निर्वाचन आयोग के लिए खड़ी की मुसीबत