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SC: दिल्ली दंगे के आरोपी ताहिर हुसैन को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने दी कस्टडी पैरोल, कर सकेंगे चुनाव प्रचार

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: नितिन गौतम Updated Tue, 28 Jan 2025 03:20 PM IST
सार

सुप्रीम कोर्ट ने ताहिर हुसैन को 29 जनवरी से 3 फरवरी तक कस्टडी पैरोल दी है। इस दौरान उनकी हिरासत पर जो भी खर्च होगा, उसे ताहिर हुसैन को ही वहन करना होगा। इसमें दिल्ली पुलिस के कर्मचारियों का खर्च, जेल वाहन और एस्कॉर्ट वाहन का खर्च भी शामिल है।

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delhi riots accused tahir hussain appeal Supreme court to connect with electorate under police custody updates
Tahir Hussain - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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साल 2020 में दिल्ली में हुए दंगों के आरोपी और पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को सुप्रीम कोर्ट ने राहत देते हुए कस्टडी पैरोल की मंजूरी दे दी है। इसके बाद ताहिर हुसैन को पुलिस हिरासत में चुनाव प्रचार करने की छूट मिल गई है। ताहिर हुसैन दिल्ली की मुस्तफाबाद सीट से एआईएमआईएम पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। ताहिर हुसैन ने पूर्व में सुप्रीम कोर्ट में चुनाव प्रचार के लिए जमानत देने की याचिका दायर की थी, लेकिन इसकी मंजूरी नहीं मिल पाई थी। अब उन्होंने पुलिस हिरासत में ही चुनाव प्रचार करने देने की इजाजत सुप्रीम कोर्ट से मांगी थी। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर कर लिया है।
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सुप्रीम कोर्ट ने लगाईं ये शर्तें
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने दोपहर दो बजे दिए अपने आदेश में ताहिर हुसैन को कस्टडी पैरोल देने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने ताहिर हुसैन को 29 जनवरी से 3 फरवरी तक कस्टडी पैरोल दी है। इस दौरान उनकी हिरासत पर जो भी खर्च होगा, उसे ताहिर हुसैन को ही वहन करना होगा। इसमें दिल्ली पुलिस के कर्मचारियों का खर्च, जेल वाहन और एस्कॉर्ट वाहन का खर्च भी शामिल है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत ताहिर हुसैन सिर्फ दिन में जेल से बाहर जाकर चुनाव प्रचार करने की इजाजत मिलेगी और हर रात को उन्हें जेल वापस जाना होगा। उन्हें हर दिन 12 घंटे की जमानत के लिए 2.47 लाख रुपये देने होंगे, जो कि उनकी सुरक्षा पर होने वाले खर्च का हिस्सा होगा। 
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उल्लेखनीय है कि ताहिर हुसैन के खिलाफ कई मामले चल रहे हैं। उन्होंने पूर्व में भी चुनाव प्रचार के लिए जमानत देने की मांग की थी, लेकिन उस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ ने अलग-अलग आदेश दिया। जिसके बाद याचिका को बड़ी पीठ के पास भेजा गया। 

क्या है कस्टडी पैरोल
कस्टडी पैरोल में के तहत रिहा होने वाला व्यक्ति जेल से बाहर रहने के दौरान भी पुलिस हिरासत में ही रहता है। यह जमानत आपात स्थिति जैसे परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु, शादी या बीमारी आदि के मौके पर दी जाती है। यह बेहद कम समय के लिए दी जाती है।  

ताहिर हुसैन के वकील ने दिए ये तर्क
सुनवाई के दौरान ताहिर हुसैन की तरफ से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ के समक्ष कहा कि 'चुनाव प्रचार में अब सिर्फ चार-पांच दिन का ही समय बचा है, ऐसे में उन्हें पुलिस हिरासत में ही चुनाव प्रचार करने की इजाजत दे दी जाए।' ताहिर हुसैन ने अपनी अपील में कहा कि 'वह चुनाव प्रचार के दौरान अपने घर भी नहीं जाएंगे और होटल में ठहरेंगे।' ताहिर हुसैन का घर मुस्तफाबाद इलाके में स्थित है, जहां दंगा हुआ था।

एडिश्नल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने ताहिर हुसैन की अपील का विरोध किया था और तर्क दिया कि अगर इन्हें राहत दी जाती है तो इसके बाद फिर हर कोई जेल से चुनाव के लिए नामांकन करने लगेगा। तर्क सुनने के बाद अदालत ने एसवी राजू से ताहिर हुसैन के पुलिस हिरासत में चुनाव प्रचार करने के खर्च और इसकी व्यवस्था की जानकारी देने को कहा था।
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