West Bengal SIR: चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची का मसौदा प्रकाशित किया, नाम हटाने का कारण भी बताया
चुनाव आयोग ने मंगलवार को जनगणना संबंधी प्रतिक्रिया के आधार पर पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची का मसौदा प्रकाशित किया। आयोग ने अपनी वेबसाइट पर उन मतदाताओं के नाम भी प्रकाशित किए हैं।
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चुनाव आयोग ने मंगलवार को जनगणना संबंधी प्रतिक्रिया के आधार पर पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची का मसौदा प्रकाशित किया। आयोग ने अपनी वेबसाइट पर उन मतदाताओं के नाम भी प्रकाशित किए हैं, जिनके नाम 2025 की मतदाता सूची में शामिल थे। हालांकि 2026 की मसौदा सूची से हटा दिए गए हैं। इसके साथ ही उनके नाम हटाने के कारण भी बताए हैं। पश्चिम बंगाल विधानसभा के 294 सीटों पर अगले साल की शुरुआत में होने हैं। इन हटाए गए नामों से कई महत्वपूर्ण विधानसभा सीटों पर असर पड़ा है। इससे राजनीतिक मतभेद और भी बढ़ गए हैं।
मसौदा सूची इन वेबसाइट पर देख सकते हैं
मसौदा सूची पश्चिम बंगाल के मुख्य चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट ceowestbengal.wb.gov.in/Electors पर देख सकते हैं। या चुनाव आयोग के मतदाता पोर्टल voters.eci.gov.in और ECINET एप्लिकेशन पर भी यह उपलब्ध है। वहीं, हटाए गए मतदाताओं की सूची आयोग के पोर्टल लिंक ceowestbengal.wb.gov.in/asd_sir पर उपलब्ध है।
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58 लाख से अधिक लोगों ने एसआईआर जनगणना फॉर्म जमा नहीं किए
आयोग के सूत्रों के अनुसार एसआईआर जनगणना फॉर्म जमा नहीं किए जा सकने वाले की संख्या 58 लाख से अधिक है। वहीं, पंजीकृत पते से अनुपस्थित रहने, स्थायी रूप से स्थानांतरित होने, मृत्यु होने या एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में डुप्लिकेट मतदाता के रूप में होने के आधार पर हटा दिया गया है।
24 लाख से अधिक मतदाता मृत घोषित
वहीं, 24 लाख से अधिक मतदाताओं को मृत घोषित किया गया है। 12 लाख से अधिक मतदाताओं का उनके पंजीकृत पते पर पता नहीं चल सका। इसके साथ ही लगभग 20 लाख मतदाता अपने पिछले निर्वाचन क्षेत्रों से स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए हैं और 1.38 लाख मतदाताओं के नाम दो बार दर्ज किए गए हैं। उन्होंने आगे बताया कि जनगणना के दौरान सामने आई अन्य कारणों के आधार पर 57,000 से अधिक मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं। इसके साथ ही आयोग की वेबसाइट पर बताया गया है विरोधग्रस्त व्यक्ति मसौदा मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद निर्धारित अवधि यानी 16/12/2025 से 15/01/2026 तक प्रपत्र 6 में घोषणा पत्र और सहायक दस्तावेजों के साथ अपने दावे प्रस्तुत कर सकते हैं।"
कई मंत्रियों के सीट पर भी बड़े पैमाना पर नाम हटाए गए
सबसे अधिक नाम उत्तरी कोलकाता के चौरंगी में हटाए गए, जिसका प्रतिनिधित्व टीएमसी विधायक नयना बंद्योपाध्याय करती हैं, जहां 74,553 नाम हटाए गए। वहीं, वरिष्ठ मंत्री और शहर के मेयर फिरहाद हकीम के स्वामित्व वाले कोलकाता पोर्ट में 63,730 नाम हटाए गए, जबकि मंत्री अरूप बिस्वास द्वारा प्रतिनिधित्व किए जाने वाले टॉलीगंज में 35,309 मतादाताओं का नाम हटाई गईं है।शिक्षा मंत्री ब्रात्या बसु के निर्वाचन क्षेत्र दम दम में 33,862 नाम हटाए गए। वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य के निर्वाचन क्षेत्र में 33,912 नाम हटाए गए। इसके साथ मंत्री इंद्रनील सेन के निर्वाचन क्षेत्र चंदननगर में 25,478 नाम हटाए गए। आंकड़ों के अनुसार, जिला स्तर पर, दक्षिण 24 परगना में सबसे अधिक 8,16,047 डेटा हटाए गए हैं। इस संशोधन के पैमाने को देखते हुए इसकी तुलना बिहार से की जा रही है, जहां इसी साल की शुरुआत में इसी तरह के एक एसआईआर के तहत लगभग 65 लाख नामों को ड्राफ्ट रोल से बाहर कर दिया गया था, जिससे व्यापक राजनीतिक विरोध हुआ था।
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राज्य में सियासी हलचल तेज
पश्चिम बंगाल के लिए विशेष मतदाता सूची पर्यवेक्षक सुब्रता गुप्ता ने कहा कि जिन मतदाताओं के नाम मसौदा सूची में नहीं हैं। उन्हें घबराना नहीं चाहिए। लगभग 30 लाख मतदाता है, जिनके विवरण का मिलान 2002 की मतदाता सूचियों से नहीं हो सका है, उनकी पात्रता स्थापित करने के लिए सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा। वहीं, सत्ताधारी टीएमसी ने भाजपा और चुनाव आयोग पर संयुक्त साजिश का आरोप लगाते हुए दावा किया कि लगभग दो करोड़ मतदाताओं की सुनवाई की संभावना का उद्देश्य नागरिकों को डराना और उनकी नागरिकता पर संदेह पैदा करना है। भाजपा ने इस आरोप को खारिज कर दिया। वहीं अधिकारी ने आरोपों को नकारते हुए कहा कि प्रक्रिया अभी शुरू ही हुई है।
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