एल्गार परिषद मामला: गौतम नवलखा को दिल्ली स्थित घर में रहने की अनुमति, साप्ताहिक हाजिरी की शर्त बरकरार
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एल्गार परिषद-माओवादी लिंक मामले में आरोपी मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को दिल्ली स्थित अपने घर में रहने की अनुमति दे दी है। हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि उन्हें मुकदमे से जुड़े हर अहम चरण पर विशेष एनआईए अदालत के सामने पेश होना होगा।
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बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को एल्गार परिषद-माओवादी लिंक मामले में आरोपी मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को दिल्ली स्थित अपने घर में रहने की अनुमति दे दी। हालांकि अदालत ने स्पष्ट किया कि नवलखा को मुकदमे की सुनवाई के लिए जब भी जरूरत हो, विशेष एनआईए अदालत के समक्ष पेश होना होगा।
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नवलखा के लिए रखी गई ये शर्त
न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति श्याम चंदक की पीठ ने आदेश दिया कि नवलखा हर शनिवार दिल्ली के स्थानीय पुलिस थाने में हाजिरी लगाएंगे, अपना पासपोर्ट जमा करेंगे और विशेष अदालत की पूर्व अनुमति के बिना दिल्ली नहीं छोड़ेंगे। अदालत ने कहा कि आरोप तय होने के समय और उसके बाद ट्रायल के दौरान उन्हें विशेष अदालत के निर्देशानुसार हर तारीख पर उपस्थित रहना होगा, जब तक कि उन्हें छूट न दी जाए।
नवलखा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता युग चौधरी ने साप्ताहिक हाजिरी की शर्त में ढील देकर इसे मासिक करने का अनुरोध किया, लेकिन पीठ ने इसे खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि नवलखा को भले ही सशर्त स्वतंत्रता मिली हो, लेकिन वह अभी पूरी तरह स्वतंत्र व्यक्ति नहीं हैं।
हाईकोर्ट ने 2023 में नवलखा को दी थी जमानत
बता दें कि हाईकोर्ट ने 2023 में नवलखा को जमानत दी थी, लेकिन शर्त लगाई गई थी कि वह ट्रायल कोर्ट की अनुमति के बिना मुंबई नहीं छोड़ेंगे। इस वर्ष नवलखा ने विशेष एनआईए अदालत में दिल्ली में रहने की अनुमति मांगी थी, जिसे खारिज कर दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया।
अपनी याचिका में नवलखा ने दलील दी थी कि मुकदमे की सुनवाई जल्द शुरू होने की संभावना नहीं है और उनके लिए मुंबई में रहना आर्थिक रूप से संभव नहीं है। एनआईए का आरोप है कि नवलखा प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) के नेताओं के निर्देश पर उसकी विचारधारा और गतिविधियों को बढ़ावा देने में शामिल सह-षड्यंत्रकारी थे।
कोरेगांव-भीमा में हिंसा में को षड्यंत्र करने का आरोप
यह मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में आयोजित एल्गार परिषद कार्यक्रम से जुड़ा है, जहां कथित तौर पर भड़काऊ भाषणों के जरिए विभिन्न जाति समूहों के बीच शत्रुता फैलाया गया, जिसके बाद कोरेगांव-भीमा में हिंसा हुई। इस हिंसा में जान-माल का नुकसान हुआ और महाराष्ट्र में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए। मामले की शुरुआत 2018 में पुणे पुलिस ने की थी, जिसे बाद में एनआईए ने अपने हाथ में ले लिया। एल्गार परिषद मामले में अब तक 16 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जिनमें वकील, सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षाविद शामिल हैं।
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