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इतिहास का नया अध्याय: सई जाधव बनीं IMA की पहली महिला अफसर, माता-पिता ने कंधे पर लगाया स्टार

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शुभम कुमार Updated Wed, 17 Dec 2025 03:40 PM IST
सार

23 वर्षीय सई जाधव ने 93 साल पुराने आईएमए से पास आउट होकर इतिहास रच दिया है। जाधव परिवार की चौथी पीढ़ी की सई को टेरिटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन मिला। जब माता-पिता ने कंधों पर स्टार लगाया तो सोशल मीडिया पर जारी की गई इस तस्वीर को खूब तवज्जो भी मिली। आइए जानते है कि सई का अब तक सफर कैसा रहा?

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Sai Jadhav becomes the first female officer of the IMA here a look at her journey News In Hindi
सई जाधव बनीं IMA की पहली महिला ऑफिसर - फोटो : एक्स@IndianTechGuide
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विस्तार
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भारतीय सेना के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है। 23 वर्षीय सई जाधव ने भारतीय मिलिट्री अकादमी (आईएमए) से पास आउट होकर इतिहास रच दिया है। 93 साल पुरानी आईएमए अकादमी में अब तक 67,000 से अधिक कैडेट पास आउट हो चुके हैं, लेकिन इनमें अब तक कोई भी महिला नहीं थी। सई ने यह कमी पूरी करते हुए और महिला ऑफिसर के रूप में सेना में अपनी जगह बनाई। हालांकि सई जाधव का यह सफर सिर्फ व्यक्तिगत सफलता नहीं है। वह जाधव परिवार की चौथी पीढ़ी हैं, जिन्होंने देश की सेवा की है।

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उनके परदादा ब्रिटिश आर्मी में थे, दादा भारतीय सेना में और उनके पिता संदीप जाधव आज भी भारतीय सेना में सेवा दे रहे हैं। बता दें कि सई को टेरिटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन मिला है। हालांकि पहले भी महिलाएं टेरिटोरियल आर्मी में रही हैं, लेकिन किसी महिला ने आईएमए से होकर इस पद को हासिल नहीं किया था। यही कारण है कि सई की उपलब्धि और भी खास है।
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माता-पिता ने कंधों पर लगाया स्टार
पास आउट परेड के एक खास पल ने सबका ध्यान खींचा। जब सई के माता-पिता ने उनके कंधों पर स्टार लगाया, तो यह तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। देशभर के लोग इसे गर्व और प्रेरणा का पल बता रहे हैं।सई बताती हैं कि उनका सफर आसान नहीं था। उन्हें विशेष अनुमति के जरिए आईएमए में प्रवेश मिला और उन्होंने छह महीने की कठिन ट्रेनिंग पूरी की। समान ड्रिल, समान अपेक्षाएं और समान दबाव उन्होंने सभी मानकों को पूरा कर अपनी जगह बनाई है।

विभिन्न शहरों में हुई सई की पढ़ाई
सई की पढ़ाई भी उनके पिता की पोस्टिंग के चलते विभिन्न शहरों में हुई। स्कूलिंग बेलगाम से शुरू हुई और उन्होंने अलग-अलग राज्यों में पढ़ाई की। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा पास की और सर्विस सिलेक्शन बोर्ड तक पहुंची। उनके प्रदर्शन ने उन्हें आईएमए का रास्ता दिया।

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भारतीय सेना में महिला बैच की आठ कैडेट
गौरतलब है कि इस समय, भारतीय सेना में एनडीए की पहली महिला बैच की आठ कैडेट ट्रेनिंग कर रही हैं। सई का कमीशन यह दिखाता है कि बदलाव धीरे-धीरे, लेकिन लगातार हो रहे हैं। आने वाले साल जून 2026 में सई फिर इतिहास का हिस्सा बनेंगी जब वह आईएमए के परेड ग्राउंड में चेवटोड बिल्डिंग के सामने मार्च करेंगी। यह सिर्फ परंपरा नहीं होगी, बल्कि यह साबित करेगी कि पुरानी संस्थाएं भी बदल सकती हैं।

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