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Report: भारत में जंगलों की आग से 1.5 करोड़ लोग प्रभावित, सबसे ज्यादा असर उत्तर प्रदेश में
न्यूज डेस्क अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शुभम कुमार
Updated Thu, 16 Oct 2025 03:56 PM IST
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सार
एक अध्ययन में खुलासा हुआ कि 2024-25 में भारत में जंगलों में करीब 1.5 करोड़ लोग प्रभावित हुए, जिनमें सबसे ज्यादा असर उत्तर प्रदेश में पड़ा। फसल जलाने, तेज गर्मी और सूखी घास के कारण यूपी में 46 लाख और पंजाब में 35 लाख लोग प्रभावित हुए।

सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : FreePik
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विस्तार
भारत में पिछले एक साल में कई जगहों पर आग लगने की घटना सामने आई है। अध्ययन में पता चला है कि 2024-25 में जंगलों में लगी आग (वाइल्डफायर) से भारत में करीब 1.5 करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं। इसमें ये भी बताया गया कि उत्तर प्रदेश इस आग से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य रहा, जहां अब तक का सबसे भयानक जंगलों की आग का मौसम दर्ज किया गया।

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वैज्ञानिकों के मुताबिक, फसल जलाने, तेज गर्मी और सूखी घास/ईंधन के जमाव के कारण उत्तर प्रदेश में आग की घटनाएं बढ़ीं। इसके चलते उत्तर प्रदेश करीब 46 लाख लोग प्रभावित हुए। वहीं पंजाब में लगभग 35 लाख लोग प्रभावित हुए। इसका अच्छा खासा असर राजधानी दिल्ली पर भी पड़ा, जहां नवंबर 2024 में धुंध (हैज) बहुत गंभीर हो गई थी।
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इस दौरान हवा में पीएम2.5 प्रदूषण का स्तर डब्ल्यूएचओ के मानक से 13 गुना ज्यादा यानी 200 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ऊपर पहुंच गया। बता दें कि यह जानकारी 'स्टेट ऑफ वाइल्डफायर्स' नाम की वार्षिक रिपोर्ट में दी गई है, जो जर्नल पृथ्वी प्रणाली विज्ञान डेटा में प्रकाशित हुई है। रिपोर्ट को यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंग्लिया (यूके) और यूके मेट ऑफिस सहित कई संस्थानों ने मिलकर तैयार किया है।
आर्थिक नुकसान और खतरा
अध्ययन के अनुसार भारत में सबसे ज्यादा संपत्ति (₹3.6 लाख करोड़ या USD 44 अरब) जंगलों की आग के खतरे में रही। इसके बाद अमेरिका (यूएसडी 26 अरब) और चीन (यूएसडी 17 अरब) का स्थान रहा। 10 करोड़ लोग दुनिया भर में जंगलों की आग से प्रभावित हुए।
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इसके साथ ही 3.7 मिलियन वर्ग किलोमीटर इलाका जल गया, यह भारत के कुल क्षेत्रफल से भी ज्यादा है। इससे 8 अरब टन से ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित हुई, जो सामान्य औसत से 10% अधिक है। आग से सबसे ज्यादा नुकसान दक्षिण अमेरिका और कनाडा में हुआ, जो मानव-जनित जलवायु परिवर्तन के कारण और ज्यादा भयानक हुई। रिपोर्ट के लेखक डगलस केली ने कहा कि हमारे सालाना आंकड़े साफ दिखाते हैं कि जलवायु परिवर्तन जंगलों की आग को और अधिक बार-बार और गंभीर बना रहा है।