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UNTCC: 'शांति स्थापना मजबूत-प्रभावी बनी रहे, यूएनटीसीसी सम्मेलन में बोले सेना प्रमुख, भारत को बताया सबका मित्र

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: लव गौर Updated Tue, 14 Oct 2025 10:19 AM IST
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सार

UNTCC Conclave: संयुक्त राष्ट्र सैन्य योगदानकर्ता देशों (यूएनटीसीसी) के प्रमुखों के सम्मेलन को थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत शांति स्थापना में सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र के कुल 71 शांति अभियानों में से 51 अभियानों में लगभग तीन लाख पुरुषों और महिलाओं को भेजा है।

General Upendra Dwivedi Address United Nations Troop Contributing Countries UNTCC Chiefs Conclave New Delhi
यूएनटीसीसी के प्रमुखों के सम्मेलन में थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी। - फोटो : ANI
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विस्तार
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नई दिल्ली में दो दिवसीय संयुक्त राष्ट्र सैन्य योगदानकर्ता देशों (यूएनटीसीसी) के प्रमुखों का सम्मेलन शुरू हो गया है। जिसकी मेजबानी भारतीय सेना कर रही है। इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले 32 देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी एक साथ उपस्थित रहेंगे। यूएनटीसीसी सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य भविष्य की शांति स्थापना के लिए एक साझा दृष्टिकोण विकसित करना और उभरते खतरों पर विचार-विमर्श करना है। 


थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी का संबोधन
यूएनटीसीसी के प्रमुखों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए मंगलवार (14 अक्तूबर ) को थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा, "शांति स्थापना में सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक भारत ने संयुक्त राष्ट्र के कुल 71 शांति अभियानों में से 51 अभियानों में लगभग 3,00,000 पुरुषों और महिलाओं को भेजा है। हमारे सैनिकों ने जहां एक ओर अडिग संकल्प के साथ सेवा की है, वहीं दूसरी ओर हमें अमूल्य अनुभव भी प्राप्त हुआ है, जिसे हम हमेशा सभी के साथ साझा करने के लिए तत्पर हैं।"
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अपने संबोधन में थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने आगे कहा कि नई दिल्ली स्थित संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना केंद्र, जिसे राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र के रूप में उन्नत किया गया है, ने शांति स्थापना कार्यों में शामिल होने के लिए आपके कई अधिकारियों की मेजबानी की है, जिससे साझा समझ को बढ़ावा मिला है और अंतर-संचालन क्षमता का निर्माण हुआ है।
 
आयोजन 'वसुधैव कुटुम्बकम्' दर्शन का प्रतीक
उन्होंने कहा कि भारत में इस सम्मेलन की मेजबानी ना केवल एक सौभाग्य की बात है, बल्कि सहयोग को मजबूत करने और वैश्विक शांति के महान मिशन को आगे बढ़ाने के हमारे साझा संकल्प की भी पुष्टि है। यह वसुधैव कुटुम्बकम - दुनिया एक परिवार है  के भारतीय लोकाचार और विश्व बंधु - भारत सभी का मित्र है - को भी दर्शाता है। 

सम्मेलन में सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बड़े मुद्दे पर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा, "आज शांति स्थापना अभूतपूर्व पैमाने और जटिलता की चुनौतियों का सामना कर रही है। वैश्विक व्यवस्था लगभग एक मोड़ पर है, जहां 56 से अधिक सक्रिय संघर्ष और लगभग 19 राष्ट्रों की भागीदारी है। विघटनकारी तकनीकों का प्रसार, गैर-सरकारी तत्वों का बढ़ता प्रभाव, हाइब्रिड युद्ध और दुष्प्रचार के प्रकोप ने संघर्ष की पारंपरिक सीमाओं को धुंधला कर दिया है। बदलती भू-राजनीतिक धाराएं उस आम सहमति की भावना को कमजोर कर रही हैं, जो संयुक्त राष्ट्र की एकजुट कार्रवाई का आधार है।"

उन्होंने आगे कहा कि ऐसी वास्तविकताएं अधिक लचीली, त्वरित और एकीकृत प्रतिक्रियाओं की मांग करती हैं, जो केवल एक साथ काम करने वाले शांतिरक्षक ही प्रदान कर सकते हैं। एक शांतिरक्षक, सुरक्षा प्रदाता होने के अलावा, एक राजनयिक, एक प्रौद्योगिकी उत्साही, दूर-दराज के क्षेत्रों में एक राष्ट्र निर्माता भी होता है और संघर्ष क्षेत्रों में सूचना के प्रवाह का एकमात्र माध्यम भी हो सकता है।

सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा, " जमीनी स्तर पर सैनिकों की संख्या कम होने के साथ, हम यह भी कल्पना कर सकते हैं कि संयुक्त राष्ट्र शांति सेना केवल सशस्त्र उपस्थिति तक ही सीमित न रहकर, निवारक कूटनीति और स्थायी शांति स्थापना की ओर अग्रसर होगी। यहीं पर सेनाएं वार्ता में योगदान दे सकती हैं। हालांकि, तटस्थता का अंतर्निहित और अटूट सिद्धांत प्रबल होगा और होना भी चाहिए। हमें उन्नत तकनीक को संचालन में एकीकृत करना होगा, त्वरित तैनाती क्षमताओं को बढ़ाना होगा और योगदान देने वाले देशों के बीच अंतर-संचालन को बढ़ावा देना होगा। दीर्घकाल तक मिशनों को बनाए रखने के लिए सहयोगात्मक प्रशिक्षण और नवीन संसाधन प्रबंधन आवश्यक होगा। हमें मिलकर एक ऐसा ढांचा बनाना होगा, जो मजबूत और उत्तरदायी दोनों हो। जो सम्मानित साथियों, संयुक्त राष्ट्र का नैतिक अधिकार मानवीय संबंधों पर आधारित है।"

सम्मेलन में सेना प्रमुख सभी आह्वान करते हुए कहा, "हम शांति अभियानों के लिए डिजाइन किए गए स्वदेशी उपकरणों का भी प्रदर्शन करते हैं और हम अपनी क्षमताओं को इच्छुक भागीदारों के साथ साझा करने के लिए तैयार हैं। इसी प्रकार हम सभी देशों की सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने के लिए भी तैयार हैं। साथ मिलकर सीखने और मिलकर काम करने से, हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हमारी शांति स्थापना मजबूत, सक्षम और प्रभावी बनी रहे। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप हमारे विचार-विमर्श में एकता, दूरदर्शिता और उद्देश्य के साथ भाग लें। आइए हम सब मिलकर सुनिश्चित करें कि हमारे प्रयास मानवता पर एक अमिट छाप छोड़ें। आइए हम अपने साझा संकल्प की पुनः पुष्टि करें कि संघर्ष पर शांति की और विभाजन पर करुणा की विजय होनी चाहिए।"

इन 32 देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी मौजूद
आपको बता दें कि भारतीय सेना की मेजबानी में संयुक्त राष्ट्र सैन्य योगदानकर्ता देशों (यूएनटीसीसी) के प्रमुखों का सम्मेलन 14 से 16, अक्टूबर 2025 तक चलेगा। जिसमें अल्जीरिया, आर्मेनिया, ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भूटान, ब्राजील, बुरुंडी, कंबोडिया, मिस्र, इथियोपिया, फिजी, फ्रांस, घाना, इटली, कजाखिस्तान, केन्या, किर्गिजस्तान, मेडागास्कर, मलेशिया, मंगोलिया, मोरक्को, नेपाल, नाइजीरिया, पोलैंड, रवांडा, श्रीलंका, सेनेगल, तंजानिया, थाईलैंड, युगांडा, उरुग्वे और वियतनाम सहित  32 देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी एक साथ मौजूद रहेंगे। 

 
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