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रक्षात्मक, जिम्मेदार, सहयोगी और नैतिक होकर राज्यसभा में गृहमंत्री शाह ने खेली शानदार पारी

शशिधर पाठक, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: Harendra Chaudhary Updated Thu, 12 Mar 2020 08:44 PM IST
सार

  • अमित शाह न अड़े, न उलझे, विपक्ष के साथ दिखाई सहयोग की मंशा
  • लोकसभा से अलग दिखा उनका मिजाज
  • सरकार के ऊपर भी नजर आ रहा था राजनीतिक, सामाजिक, वैश्विक दबाव

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Home Minister Amit shah shown Defensive, responsible and cooperative behaviour in Rajya sabha
गृह मंत्री अमित शाह - फोटो : ANI
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विस्तार
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दिल्ली में सांप्रदायिक तनाव पर राज्यसभा में चर्चा हुई और चर्चा का जवाब देकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सदन में शानदार पारी खेली। पहली बार अमित अमित शाह अपने कांप्रिहेंसिव (समग्र) वक्तव्य के साथ सदन में विपक्ष के साथ सहयोग के भाव में नजर आए। उन्होंने कहीं कोई तल्खी नहीं दिखाई, लोकसभा में चर्चा के जवाब से अलग रक्षात्मक, जिम्मेदार, सहयोगी तथा नैतिकता को शीर्ष पर रखकर चलने वाले गृहमंत्री की छवि बनाई।
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उनके जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की समसामयिक चिंता का अक्स साफ नजर आ रहा था। सदन में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, उपनेता आनंद शर्मा समेत पूरे सदन को अपने जवाब की प्रस्तुति से संतुष्ट कर दिया। उनके जवाब में सरकार की छवि को लेकर राजनीतिक, क्षेत्रीय, सामाजिक और वैश्विक दबाव भी साफ दिखाई दे रहा था।

सिब्बल के जहर बुझे तीर, संजय सिंह के आरोप में नहीं उलझे

केंद्रीय गृहमंत्री का संसद के दोनों सदनों में पिछला इतिहास रहा है। वह चर्चा के दौरान सांसद और गृहमंत्री रहते हुए विपक्ष के सवालों पर उसका कोई हिसाब बकाया नहीं रखते, लेकिन पहली बार उन्होंने थोड़ा सा समझौतावादी रुख दिखाते हुए इसमें उलझने से परहेज किया।


कपिल सिब्बल ने चर्चा की शुरुआत करते हुए अमित शाह को लौहपुरुष कहकर बड़ा ताना मारा था। अमित शाह को उनकी संवैधानिक ड्यूटी बताई थी। दिल्ली पुलिस के रवैये पर सवाल और गृहमंत्री की क्षमता को कठघरे में खड़ा कर दिया था। लेकिन इसका अमित शाह ने बड़ी ही कुशलता से जवाब दिया।

वह कहीं सरदार पटेल, गृहमंत्री की संवैधानिक ड्यूटी में नहीं उलझे और सीधे सरकार को प्रयास, चल रही जांच, प्रक्रिया आदि को बताकर आगे बढ़ गए। आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने दंगे कराने का पूरा आरोप भाजपा और गृहमंत्री पर मढ़ दिया था। उन्होंने कहा कि दंगे आप लोगों ने कराए।

सदस्यों ने घृणा फैलाने, दंगा जैसे हालात को भड़काने वाले भाषण का आरोप सत्ता पक्ष के लोगों पर भी लगाया था, लेकिन गृहमंत्री ने यहां भी रक्षात्मक रुख अपनाते हुए सदन में स्वीकार किया कि इसमें दोनों पक्षों की भूमिका रही है। उन्होंने कोई खुलकर राजनीतिक हमला नहीं बोला।

हालांकि उन्होंने कहा कि जिसने भी दंगे को भड़काया, उकसाया, इसका षडयंत्र रचा, वित्तीय मदद की और इसमें शामिल हुआ, उसे बख्शा नहीं जाएगा। सरकार उसके खिलाफ वैज्ञानिक प्रमाणिकता के साथ सख्त से सख्त कदम उठाएगी। चाहे वह जिस जाति, धर्म, पार्टी या संप्रदाय का हो।

एनपीआर और सीएए पर न फैलाएं भ्रम

अमित शाह ने सदन को बताया कि एनपीआर को लेकर किसी को कोई परेशानी नहीं होगी। जिसके पास जो जानकारी है, दे। जिसके पास नहीं है, कोई बात नहीं। जैसे पहले जनगणना होती थी, उसी तरह से संपन्न होगी। जिसने जो जानकारी नहीं दी है, उसको लेकर कोई 'डी मार्क' नहीं किया जाएगा।

शाह ने कपिल सिब्बल की सीएए को लेकर चिंताओं का भी जवाब दिया। उन्होंने सदन के सदस्यों से कहा कि गृहमंत्रालय की स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन आनंद शर्मा हैं। वह सदन में विपक्ष के उपनेता है। नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद हैं। शाह ने कहा कि जिस किसी भी को भी एनपीआर को लेकर किसी भी तरह का भ्रम, शंका या सवाल है, वह इनके साथ उनके पास आ जाए।

उन्होंने कपिल सिब्बल को भी आमंत्रित किया और कहा कि वह प्रथमिकता के आधार पर समय देंगे, अधिकारी भी वहां होंगे और सभी चिंताओं पर चर्चा हो जाएगी। इसके साथ अमित शाह ने अपील की कि अब सीएए, एनपीआर आदि को लेकर देश में किसी भी तरह की भ्रामक स्थिति न पैदा की जाए।

जवाब में राजनीति से किनारा कर दिया ठोस आश्वासन

कपिल सिब्बल ने एफआईआर का जिक्र किया था। गृहमंत्री ने कहा कि वह उसका संदर्भ दे दें, सरकार उस पर ध्यान देगी। गृहमंत्री ने अपने जवाब में अपनी चिरपरिचित शैली से अलग रुख लिया। जवाब में राजनीति का स्थान बहुत ही सीमित रखा। शाह ने कहा कि जांच के नाम पर किसी को प्रताड़ित नहीं किया जाएगा।

पूरी जांच वैज्ञानिक आधार पर की जा रही है और पूरी प्रमाणिकता के साथ दिल्ली में हिंसा का षडयंत्र रचने वाले या इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। दोषियों को पाताल से भी ढूंढकर लाया जाएगा। शाह ने सदन को आश्वस्त किया कि इसके लिए अत्याधुनिक तकनीक का सहारा लिया जा रहा है।

उन्होंने दंगाइयों से दंगे में हुए नुकसान का जुर्माना वसूलने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर जज की मांग करने की जिम्मेदारी दी। शाह ने दिल्ली पुलिस को केवल 12 पुलिस थाने तक दंगा सीमित रखने, इसे न फैलने देने तथा 36 घंटे में दंगा नियंत्रित कर लेने के लिए उसकी पीठ थपथपाई।

दिल्ली सरकार के साथ मिलकर कर रहे हैं काम

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद की चिंता का जवाब दिया। आजाद ने पुनर्वास और दंगे में नुकसान उठाए लोगों के मुआवजे के बारे में जानकारी चाहते थे। केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार इस बारे में दिल्ली सरकार के साथ मिलकर काम कर रही है। पहले से अच्छा पुनर्वास और मुआवजा का पैकेज तैयार किया गया है। वह इसका विवरण शुक्रवार को आजाद के दफ्तर में भेज देंगे।

 

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