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Karnataka: शिवकुमार गुट के विधायकों के शक्ति प्रदर्शन पर कांग्रेस सख्त, सुरजेवाला बोले- अनावश्यक बयान न दें
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Fri, 21 Nov 2025 05:16 PM IST
सार
Karnataka Politics: कर्नाटक कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर बढ़ते विवाद पर एआईसीसी महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने विधायकों को चेतावनी दी है कि वे इस मुद्दे पर सार्वजनिक बयान न दें। शिवकुमार समर्थक विधायकों के दिल्ली दौरे के बाद विवाद और तेज हुआ।
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रणदीप सिंह सुरजेवाला, कांग्रेस महासचिव
- फोटो : संवाद
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विस्तार
कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के भीतर नेतृत्व को लेकर उठ रही चर्चाओं ने राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है। इसी बीच, एआईसीसी ने राज्य के विधायकों और नेताओं को सख्त चेतावनी जारी की है कि वे नेतृत्व से जुड़े किसी भी मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से बयान न दें। यह कदम उस समय उठाया गया है जब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के ढाई साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है।
एआईसीसी महासचिव और कर्नाटक प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने शुक्रवार को कहा कि पार्टी ने सभी विधायकों को निर्देश दिए हैं कि वे मीडिया में नेतृत्व से जुड़े मुद्दों पर अनावश्यक बयानबाजी न करें। उन्होंने कहा कि कुछ नेताओं की ओर से दिए जा रहे बेवजह बयानों से भ्रम और सियासी अटकलें बढ़ी हैं, जिससे पार्टी और सरकार दोनों की छवि प्रभावित हो रही है।
दिल्ली दौरे से बढ़ा विवाद
सुरजेवाला की चेतावनी उस समय आई जब एक मंत्री और शिवकुमार समर्थक कई विधायक गुरुवार को दिल्ली में कांग्रेस हाईकमान से मिलने पहुंचे। यह घटनाक्रम संकेत देता है कि पार्टी के भीतर शक्ति संतुलन को लेकर तनाव एक बार फिर सामने आ रहा है। इन नेताओं की दिल्ली यात्रा को डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार की दावेदारी को दोबारा मजबूत करने की कोशिश के रूप में देखा गया।
ये भी पढ़ें- पांच साल में विश्व का सबसे आधुनिक 'सीमा सुरक्षा बल' होगा बीएसएफ, 'ऑपरेशन सिंदूर' में PAK को दिया था करारा जवाब
भाजपा पर ‘दुष्प्रचार’ का आरोप
सुरजेवाला ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि एक “पराजित और गुटबाजी वाली भाजपा” कुछ मीडिया समूहों के साथ मिलकर कांग्रेस सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार चला रही है। उनके अनुसार, सरकार की पांच गारंटियों और उसकी उपलब्धियों को कमजोर करने के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और शिवकुमार से इस संबंध में बात की गई है और वे इस पर एकमत हैं।
रोटेशनल फॉर्मूला पर अब भी सस्पेंस
मई 2023 में विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर सिद्धारमैया और शिवकुमार में कड़ी टक्कर थी। तब यह खबरें चली थीं कि पार्टी ने एक रोटेशन फॉर्मूला तय किया है, जिसके तहत ढाई साल बाद शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। हालांकि, पार्टी ने इसे कभी आधिकारिक रूप से स्वीकार नहीं किया। अब सिद्धारमैया ने स्पष्ट कहा है कि वे पांच साल का पूरा कार्यकाल पूरा करेंगे।
कर्नाटक में नेतृत्व को लेकर उठ रहा राजनीतिक विवाद फिलहाल पार्टी के भीतर अनुशासन लागू करने के फैसले के साथ शांत करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन आने वाले महीनों में पार्टी नेतृत्व के फैसलों और विधायकों के व्यवहार से यह स्पष्ट हो जाएगा कि कर्नाटक में सत्ता संतुलन किस दिशा में आगे बढ़ता है।
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एआईसीसी महासचिव और कर्नाटक प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने शुक्रवार को कहा कि पार्टी ने सभी विधायकों को निर्देश दिए हैं कि वे मीडिया में नेतृत्व से जुड़े मुद्दों पर अनावश्यक बयानबाजी न करें। उन्होंने कहा कि कुछ नेताओं की ओर से दिए जा रहे बेवजह बयानों से भ्रम और सियासी अटकलें बढ़ी हैं, जिससे पार्टी और सरकार दोनों की छवि प्रभावित हो रही है।
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दिल्ली दौरे से बढ़ा विवाद
सुरजेवाला की चेतावनी उस समय आई जब एक मंत्री और शिवकुमार समर्थक कई विधायक गुरुवार को दिल्ली में कांग्रेस हाईकमान से मिलने पहुंचे। यह घटनाक्रम संकेत देता है कि पार्टी के भीतर शक्ति संतुलन को लेकर तनाव एक बार फिर सामने आ रहा है। इन नेताओं की दिल्ली यात्रा को डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार की दावेदारी को दोबारा मजबूत करने की कोशिश के रूप में देखा गया।
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भाजपा पर ‘दुष्प्रचार’ का आरोप
सुरजेवाला ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि एक “पराजित और गुटबाजी वाली भाजपा” कुछ मीडिया समूहों के साथ मिलकर कांग्रेस सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार चला रही है। उनके अनुसार, सरकार की पांच गारंटियों और उसकी उपलब्धियों को कमजोर करने के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और शिवकुमार से इस संबंध में बात की गई है और वे इस पर एकमत हैं।
रोटेशनल फॉर्मूला पर अब भी सस्पेंस
मई 2023 में विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर सिद्धारमैया और शिवकुमार में कड़ी टक्कर थी। तब यह खबरें चली थीं कि पार्टी ने एक रोटेशन फॉर्मूला तय किया है, जिसके तहत ढाई साल बाद शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। हालांकि, पार्टी ने इसे कभी आधिकारिक रूप से स्वीकार नहीं किया। अब सिद्धारमैया ने स्पष्ट कहा है कि वे पांच साल का पूरा कार्यकाल पूरा करेंगे।
कर्नाटक में नेतृत्व को लेकर उठ रहा राजनीतिक विवाद फिलहाल पार्टी के भीतर अनुशासन लागू करने के फैसले के साथ शांत करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन आने वाले महीनों में पार्टी नेतृत्व के फैसलों और विधायकों के व्यवहार से यह स्पष्ट हो जाएगा कि कर्नाटक में सत्ता संतुलन किस दिशा में आगे बढ़ता है।