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ICMR Report: साइलेंट संक्रमण...डेंगू-डिप्थीरिया व हेपेटाइटिस-ए 10 वर्ष में सर्वाधिक, गांव से शहरों तक चपेट में

परीक्षित निर्भय Published by: दीपक कुमार शर्मा Updated Fri, 04 Jul 2025 07:27 AM IST
सार

अध्ययन के अनुसार, देश की एक बड़ी आबादी इन बीमारियों के संपर्क में आ चुकी है, फिर चाहे उन्हें लक्षण दिखे हों या नहीं। शोधकर्ताओं ने देश के विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों से 5 से 90 वर्ष आयु वर्ग के करीब 30,000 लोगों के ब्लड सैंपल लेकर इन बीमारियों से जुड़ी एंटीबॉडी की जांच की। 

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ICMR report reveals dengue diphtheria and hepatitis A their highest in 10 years
मच्छर (प्रतीकात्मक फोटो) - फोटो : अमर उजाला/एजेंसी
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विस्तार
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कोरोना के अलावा देश में तीन बड़ी संक्रामक बीमारियों का पता चला है, जिन्होंने 10 साल में लगभग हर दूसरे भारतीय को अपनी चपेट में लिया है। बीते एक दशक में डेंगू, हेपेटाइटिस ए और डिप्थीरिया भारत में सबसे व्यापक संक्रामक रोग रहे हैं।

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यह खुलासा नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की एक रिपोर्ट में हुआ है, जिसके मुताबिक राष्ट्रीय महामारी विज्ञान संस्थान (एनआईई) के वैज्ञानिकों ने पहली बार भारत की आबादी में सबसे ज्यादा प्रसारित संक्रामक बीमारियों का पता लगाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सीरो सर्वे किया। अध्ययन के अनुसार, देश की एक बड़ी आबादी इन बीमारियों के संपर्क में आ चुकी है, फिर चाहे उन्हें लक्षण दिखे हों या नहीं। शोधकर्ताओं ने देश के विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों से 5 से 90 वर्ष आयु वर्ग के करीब 30,000 लोगों के ब्लड सैंपल लेकर इन बीमारियों से जुड़ी एंटीबॉडी की जांच की। अध्ययन में पाया गया कि डेंगू वायरस से जुड़ी एंटीबॉडी 77%लोगों में पाई गईं जबकि 70 फीसदी आबादी में हेपेटाइटिस ए को लेकर विकसित एंटीबॉडी मिली हैं। इसी तरह डिप्थीरिया टॉक्सिन के खिलाफ एंटीबॉडी 60% से अधिक लोगों में मौजूद हैं। राष्ट्रीय महामारी विज्ञान संस्थान (एनआईई) के निदेशक डॉ. मनोज वी. मुरहेकर ने कहा कि हमारा यह अध्ययन देश में साइलेंट संक्रमणों की वास्तविक स्थिति को सामने लाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।
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डेंगू-हर साल बदलते स्ट्रेन, हर जगह खतरा
डेंगू संक्रमण का प्रसार शहरी, ग्रामीण और पर्वतीय इलाकों तक है। आईसीएमआर-एनआईई के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. हेमंत शेवडे के अनुसार, हर साल डेंगू के अलग-अलग स्ट्रेन फैलते हैं, जिससे प्रतिरोधक क्षमता के बावजूद दोबारा संक्रमण का खतरा बना रहता है। इस सीरो सर्वे में यह भी सामने आया कि कई मामलों में संक्रमण के कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते, लेकिन व्यक्ति पहले से संक्रमित हो चुका होता है। 2017 से 2018 के बीच देश के 60  जिलों में पांच से 45 वर्ष की आयु के 49 फीसदी लोगों में डेंगू के खिलाफएंटीबॉडी मिलीं। उत्तर, पश्चिम और दक्षिण भारत में यह संक्रमण अधिक रहा है।

हेपेटाइटिस-ए बचपन में ही संक्रमण
डॉ. हेमंत ने बताया कि हेपेटाइटिस ए वायरस (एचएवी) से जुड़ेएंटीबॉडी मुख्यतः 10 वर्ष से कम आयु के बच्चों में अधिक पाए गए। इसका संकेत है कि भारत में गंदे पानी और दूषित भोजन के चलते यह संक्रमण बचपन में ही हो जाता है, और कई बार बिना किसी रिपोर्टेड केस के शरीर प्रतिरक्षा विकसित कर लेता है।

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डिप्थीरिया-टीकाकरण के बावजूद खतरा बरकरार
डिप्थीरिया के खिलाफ बचाव के लिए देश में व्यापक टीकाकरण कार्यक्रम चल रहे हैं, लेकिन सीरो सर्वे में डिप्थीरिया के प्रति प्रतिरक्षा स्तर उम्र बढ़ने के साथ घटता हुआ पाया गया। उन्होंने बताया कि पांच से 17 वर्ष के बच्चों में से केवल 30% में पर्याप्त इम्युनिटी पाई गई जबकि 60% बच्चे आंशिक रूप से सुरक्षित मिले। इनके अलावा 10%बच्चे पूरी तरह असुरक्षित पाए गए जिनमें सबसे अधिक संख्या उत्तर-पूर्व भारत में देखने को मिली है।

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