भारत-पाक के बीच एलओसी पर संघर्ष विराम, सेना ने कहा- हम आशावादी हैं और सतर्क भी
भारत और पाकिस्तान नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर संघर्ष विराम, सभी समझौतों व सहमतियों का कड़ाई से पालन करने और मौजूदा व्यवस्था के जरिए किसी भी अप्रत्याशित स्थिति का समाधान करने या गलतफहमी को दूर करने पर सहमत हुए हैं। भारतीय सेना के अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
भारतीय सेना के अधिकारियों ने इस संबंध में कहा कि भारत और पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशकों (डीजीएमओ) के बीच स्थापित हॉटलाइन संपर्क व्यवस्था के जरिए 22 फरवरी को एक चर्चा हुई थी। इसी दौरान दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम लागू करने पर सहमति बनी थी।
इस सवाल पर कि क्या भारत ने यह फैसला चीन के साथ सीमा पर बने तनाव के कारण लिया है, अधिकारियों ने कहा कि उत्तरी सीमाओं पर स्थिति का पश्चिमी मोर्चे की स्थिति से कोई संबंध नहीं है। हम सभी चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। इस फैसले का चीन के साथ स्थिति से कोई संबंध नहीं है।
इस सवाल पर कि भारत कहीं ऐसा करके गलती तो नहीं कर रहा है, सेना ने कहा कि बीते समय में आतंकी घटनाओं या पाक सेना की हरकतों के चलते शांति की प्रक्रिया पटरी से उतर गई थी। हम हर स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहे हैं। लेकिन, आशावादी होते हुए पूरी तरह से सावधान और सतर्क हैं।
Peace processes in past derailed either because of acts of terror or Pak army’s belligerence.We always remain prepared to meet any eventuality. But, we remain cautiously optimistic: Army officials on whether India was committing mistake by having a ceasefire agreement with Pak
— ANI (@ANI) February 25, 2021
इसे लेकर जारी एक संयुक्त बयान में दोनों पक्षों ने कहा कि नियंत्रण रेखा एवं सभी अन्य क्षेत्रों में हालात की सौहार्दपूर्ण और खुले माहौल में समीक्षा की। दोनों पक्ष ने दोहराया कि किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने या गलतफहमी दूर करने के लिए हॉटलाइन संपर्क और फ्लैग मीटिंग व्यवस्था का इस्तेमाल किया जाएगा।
पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी जैसे संबंध चाहते हैं...
विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत, पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी जैसे रिश्ते चाहता है और शांतिपूर्ण तरीके से सभी मुद्दों को द्विपक्षीय ढंग से सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है। मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, 'महत्वपूर्ण मुद्दों पर हमारे रूख में कोई बदलाव नहीं आया है। और मुझे यह दोहराने की जरूरत नहीं।' सैन्य अधिकारियों ने कहा कि संघर्ष विराम का यह मतलब नहीं कि आतंकवाद के खिलाफ सेना का अभियान थम जाएगा। सतर्कता में किसी भी प्रकार की कमी नहीं की जाएगी। बता दें कि भारत और पाकिस्तान ने 2003 में संघर्ष विराम समझौता किया था लेकिन पिछले कुछ वर्षों से शायद ही इस पर अमल हो पाया।
‘डॉन’ अखबार ने पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार के हवाले से कहा है, ‘1987 से ही भारत और पाकिस्तान के बीच हॉटलाइन स्तर पर संपर्क हो रहा है। इस स्थापित तंत्र के जरिए दोनों देशों के डीजीएमओ संपर्क में रहते हैं।’ उन्होंने कहा कि 2014 के बाद से एलओसी पर संघर्ष विराम समझौता के उल्लंघन की घटनाओं में वृद्धि हुई है। बयान में कहा गया, ‘दोनों डीजीएमओ ने सहमति जताई कि 2003 की मौजूदा सहमति का अक्षरश: पालन करना चाहिए।’ दोनों अधिकारी इसे टिकाऊ बनाने पर राजी हुए और इस आधार पर कदम उठाने की मंशा जतायी।
जम्मू-कश्मीर: नेशनल कॉन्फ्रेंस-पीडीपी ने किया स्वागत
जम्मू कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी ने भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच एलओसी व अन्य क्षेत्रों में संघर्ष विराम समझौते का स्वागत किया। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने एक बयान में कहा, ‘हम इसका स्वागत करते हैं और आशा है कि बयान का अक्षरश: पालन होगा। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने एलओसी पर संघर्षविराम का हमेशा से जोरदार समर्थन किया है। इससे एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा के आसपास रह रहे लोग बिना किसी खतरे के सामान्य जीवन गुजार सकेंगे।’
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने एक ट्वीट कर संघर्ष विराम समझौते के संबंध में घोषणा का स्वागत किया और कहा कि वार्ता ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है। महबूबा ने कहा, ‘यह बड़ा और स्वागत योग्य घटनाक्रम है कि भारत और पाकिस्तान के बीच एलओसी पर संघर्ष विराम के लिए समझौता हुआ है। अगर दोनों देश, जम्मू कश्मीर और सीमाओं पर हिंसा के कुचक्र और रक्तपात को रोकना चाहते हैं तो वार्ता ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है।’
थल सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने दिया था संकेत
थल सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने बुधवार को पाकिस्तान के मोर्चे पर कुछ घटनाक्रम का संकेत दिया था। एक वेबिनार में नरवणे ने भरोसा जताया था कि पाकिस्तान के साथ जारी बातचीत से कुछ सहमति बनने की संभावना है क्योंकि अनसुलझी सीमा और सीमा पर हिंसा किसी के भी हित में नहीं है। नरवणे ने कहा था, ‘हम हमेशा से अपने सीमाई इलाके में अमन-चैन चाहते हैं, चाहे पश्चिमी मोर्चा हो या उत्तरी मोर्चा अथवा एलएसी या भारत-म्यांमार सीमा।’
तीन साल में संघर्ष विराम उल्लंघन की 1075 घटनाएं
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने इस महीने की शुरुआत में लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया था कि पिछले तीन साल में पाकिस्तान के साथ लगती भारत की सीमा पर संघर्ष विराम समझौते के उल्लंघन की कुल 10,752 घटनाएं हुईं, जिनमें 72 सुरक्षा कर्मियों और 70 आम लोगों की जान गई। 2018, 2019 और 2020 में जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा व एलओसी के पास सीमा पार गोलीबारी में 364 सुरक्षाकर्मी और 341 आम नागरिक घायल हुए।
उत्तरी सीमा की स्थिति पर नहीं पड़ेगा इसका असर
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास सैनिकों की तैनाती जारी रहने के बीच सूत्रों ने कहा कि एलओसी और पश्चिमी मोर्चे को लेकर हुए फैसले का असर उत्तरी सीमा की स्थिति पर नहीं पड़ेगा। एक अधिकारी ने कहा, ‘हमारा घुसपैठ रोधी ग्रिड मजबूत बना रहेगा। हम घुसपैठ रोधी और आतंकवाद रोधी अभियान जारी रखेंगे। खतरे को कम करने के लिए सभी विकल्प खुले रहेंगे।’ पिछले कुछ वर्षों में एलओसी के जरिए आतंकियों की घुसपैठ मुश्किल हुई है।