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COP30 शिखर सम्मेलन: PM मोदी नहीं जाएंगे! भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे राजदूत; बाद में जुड़ेंगे भूपेंद्र यादव
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: लव गौर
Updated Thu, 06 Nov 2025 01:13 AM IST
सार
ब्राजील के बेलेम में आयोजित होने वाले COP30 नेताओं के शिखर सम्मेलन में भारत के राजदूत भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। वहीं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव बाद में जलवायु सम्मेलन के दूसरे सप्ताह में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे।
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पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव
- फोटो : Facbook profile
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विस्तार
ब्राजील के बेलेम शहर में 6 और 7 नवंबर को होने वाले COP30 नेताओं के शिखर सम्मेलन में भारत की ओर से भारतीय राजदूत प्रतिनिधित्व करेंगे। पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव बाद में जलवायु सम्मेलन के दूसरे सप्ताह में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। ध्यान रहे कि भूपेंद्र यादव बाकू में आयोजित COP29 में शामिल नहीं हुए थे, जहां भारत ने 300 अरब अमेरिकी डॉलर के जलवायु वित्त पोषण लक्ष्य को अपर्याप्त बताते हुए इसका कड़ा विरोध किया था।
पीएम मोदी नहीं होंगे शामिल
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के COP 30 में शामिल नहीं होने की संभावना है, जो 10-21 नवंबर तक आयोजित होगा। ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस द्वारा आयोजित नेताओं के शिखर सम्मेलन में 57 राष्ट्राध्यक्षों और 39 मंत्रियों सहित 140 से अधिक प्रतिनिधिमंडलों के शामिल होने की उम्मीद है।
6 और 7 नवंबर होने वाला यह दो दिवसीय आयोजन COP30 के लिए राजनीतिक दिशा निर्धारित करेगा, जो पेरिस समझौते के एक दशक पूरे होने का प्रतीक है और वन, नवीकरणीय ऊर्जा, अनुकूलन, खाद्य सुरक्षा और जलवायु वित्त पर केंद्रित होगा।
COP 30 में यह मुद्दा उठाएगा भारत
सूत्रों के अनुसार COP30 में भारत यह मुद्दा उठाएगा कि विकसित देश विश्वास बहाली के लिए अपने पुराने वादों को निभाएं और विकासशील देशों के लिए पूर्वानुमानित व अनुदान-आधारित फंडिंग को बढ़ाएं। ब्राजील देश की राजधानी ब्रासीलिया में पिछले महीने हुई COP पूर्व बैठक में पर्यावरण मंत्री यादव ने कहा था कि COP30 को "अनुकूलन का COP" होना चाहिए और ध्यान संवाद से हटकर जमीनी स्तर पर ठोस कार्रवाई पर केंद्रित होना चाहिए।
उन्होंने कहा, "संवाद महत्वपूर्ण है, लेकिन कार्रवाई भी अनिवार्य है। अब हमें महत्वाकांक्षी जलवायु उपायों को लागू करने और सबसे बढ़कर, सबसे बड़ी चुनौती विकासशील देशों के लिए अनुकूलन और शमन के लिए संसाधनों की तत्काल कमी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।"
ये भी पढ़ें: US-Russia: अमेरिकी परमाणु परीक्षण पर रूस का सख्त रुख, पुतिन ने भी परीक्षण शुरू करने की योजना पर मांगी रिपोर्ट
बता दें कि ब्राजील इस नेताओं के शिखर सम्मेलन का उपयोग "ट्रॉपिकल फॉरेस्ट फॉरएवर फैसिलिटी" की शुरुआत के लिए भी करेगा, जिसका उद्देश्य अगले दशक में परिणाम-आधारित भुगतानों के माध्यम से वन संरक्षण के लिए 125 बिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाना है। संयुक्त राष्ट्र रोडमैप के साथ इस पहल के बेलेम में वित्तीय चर्चाओं में छाए रहने की उम्मीद है।
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पीएम मोदी नहीं होंगे शामिल
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के COP 30 में शामिल नहीं होने की संभावना है, जो 10-21 नवंबर तक आयोजित होगा। ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस द्वारा आयोजित नेताओं के शिखर सम्मेलन में 57 राष्ट्राध्यक्षों और 39 मंत्रियों सहित 140 से अधिक प्रतिनिधिमंडलों के शामिल होने की उम्मीद है।
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6 और 7 नवंबर होने वाला यह दो दिवसीय आयोजन COP30 के लिए राजनीतिक दिशा निर्धारित करेगा, जो पेरिस समझौते के एक दशक पूरे होने का प्रतीक है और वन, नवीकरणीय ऊर्जा, अनुकूलन, खाद्य सुरक्षा और जलवायु वित्त पर केंद्रित होगा।
COP 30 में यह मुद्दा उठाएगा भारत
सूत्रों के अनुसार COP30 में भारत यह मुद्दा उठाएगा कि विकसित देश विश्वास बहाली के लिए अपने पुराने वादों को निभाएं और विकासशील देशों के लिए पूर्वानुमानित व अनुदान-आधारित फंडिंग को बढ़ाएं। ब्राजील देश की राजधानी ब्रासीलिया में पिछले महीने हुई COP पूर्व बैठक में पर्यावरण मंत्री यादव ने कहा था कि COP30 को "अनुकूलन का COP" होना चाहिए और ध्यान संवाद से हटकर जमीनी स्तर पर ठोस कार्रवाई पर केंद्रित होना चाहिए।
उन्होंने कहा, "संवाद महत्वपूर्ण है, लेकिन कार्रवाई भी अनिवार्य है। अब हमें महत्वाकांक्षी जलवायु उपायों को लागू करने और सबसे बढ़कर, सबसे बड़ी चुनौती विकासशील देशों के लिए अनुकूलन और शमन के लिए संसाधनों की तत्काल कमी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।"
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बता दें कि ब्राजील इस नेताओं के शिखर सम्मेलन का उपयोग "ट्रॉपिकल फॉरेस्ट फॉरएवर फैसिलिटी" की शुरुआत के लिए भी करेगा, जिसका उद्देश्य अगले दशक में परिणाम-आधारित भुगतानों के माध्यम से वन संरक्षण के लिए 125 बिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाना है। संयुक्त राष्ट्र रोडमैप के साथ इस पहल के बेलेम में वित्तीय चर्चाओं में छाए रहने की उम्मीद है।